बिना मुआवजा लिए नहीं बनेगा भारत माला एक्सप्रेसवे: बहेरा गांव में किसानों का फूटा गुस्सा, निर्माण कार्य रोका
पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू पहुंचे समर्थन में, कंपनी के कर्मचारी भागे, प्रशासन-नेताओं में मची खलबली
रिपोर्ट: ओ पी श्रीवास्तव, चंदौली
चंदौली, बबुरी। भारत सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना 'भारतमाला एक्सप्रेसवे' को लेकर चंदौली जिले के बबुरी थाना क्षेत्र अंतर्गत बहेरा गांव में सोमवार को जबरदस्त हंगामा हो गया। बिना मुआवजा दिए जमीन पर निर्माण कार्य शुरू कराने को लेकर नाराज़ किसानों ने कंपनी के कर्मचारियों को दौड़ा कर भगा दिया और सड़क निर्माण रुकवा दिया।ग्रामीणों की शिकायत है कि बगैर किसी ठोस मुआवजा निर्धारण, बिना सर्विस रोड और पिलर प्लानिंग के जबरन निर्माण कार्य कराया जा रहा है। इसको लेकर ग्रामीणों और निर्माण कंपनी के बीच तीखी झड़प हुई और मामला तनावपूर्ण हो गया।
किसानों की मांगें: मुआवजा, सर्विस रोड और पिलर निर्माण की गारंटी
प्रदर्शन कर रहे किसानों का कहना है कि उनकी जमीनों का अधिग्रहण बिना पारदर्शिता और उचित मुआवजे के किया जा रहा है। साथ ही एक्सप्रेसवे के साथ सर्विस रोड और पिलर निर्माण की कोई व्यवस्था नहीं की जा रही, जिससे गांवों का संपर्क टूट जाएगा और रोज़मर्रा की ज़िंदगी प्रभावित होगी।वहीं घटना की जानकारी मिलते ही समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व सैयदराजा के पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू किसानों के समर्थन में मौके पर पहुंचे। उन्होंने निर्माण कार्य को अविलंब रोकने की मांग करते हुए प्रशासन और कंपनी अधिकारियों को खुलेआम चुनौती दी। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि बिना मुआवजा दिए एक इंच भी सड़क नहीं बनने दी जाएगी। अधिकारियों की मनमानी अब नहीं चलेगी। इस दौरान पूर्व विधायक का आरोप है कि उन्होंने कई बार एसडीएम को कॉल किया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला, जिससे प्रशासन की संवेदनहीनता उजागर होती है।
स्थिति को बिगड़ते देख एसडीएम दिव्या ओझा, सीओ राजीव सिसोदिया, कानूनगो, लेखपाल समेत पुलिस बल की टीम मौके पर पहुंची और किसानों को शांत करने का प्रयास किया।वहीं, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष राणा सिंह, राज्यसभा सांसद साधना सिंह और काशीनाथ सिंह भी मौके पर पहुंचे और किसानों के साथ अन्याय न होने देने का आश्वासन दिया।स्थिति के गंभीर होते देख निर्माण कंपनी ने मशीनें और कर्मचारी वापस बुला लिए, और अधिकारी भी बैरंग लौट गए। फिलहाल मौके पर शांति बनी हुई है लेकिन किसानों का आक्रोश अब भी बरकरार है।प्रशासन की ओर से किसानों को भरोसा दिलाया गया कि उनकी समस्याओं को गंभीरता से लिया जाएगा और समाधान निकाला जाएगा। लेकिन किसानों का कहना है कि जब तक लिखित आश्वासन और भुगतान नहीं होता, तब तक निर्माण शुरू नहीं होने देंगे।