महाराष्ट्र के नासिक में आयोजित होने वाले सिंहस्थ कुंभ मेले 2027-28 की तारीखों का ऐलान धर्म संसद के बाद किया गया। यह महापर्व 31 अक्टूबर 2026 को ध्वजारोहण के साथ शुरू होगा और 20 फरवरी 2028 को समाप्त होगा। "श्री गंगा गोदावरी प्रसन्न" के जयघोषों के बीच सिंहस्थ के पुण्यकाल का आरंभ हुआ।
सिंहस्थ महापर्व की कब होगी शुरुआत?
पवित्र सिंहस्थ महापर्व की आधिकारिक शुरुआत 31 अक्टूबर 2026, शनिवार दोपहर 12:02 बजे रामकुंड, पंचवटी स्थित साधुग्राम में ध्वजारोहण के साथ होगी। इस शुभ अवसर पर नगर प्रदक्षिणा का आयोजन भी संपन्न होगा।
प्रमुख धार्मिक तिथियां और पर्वस्नान
आखाड़ा ध्वजारोहण: शनिवार, 24 जुलाई 2027 (आषाढ़ कृष्ण पंचमी)
प्रथम अमृतस्नान: गुरुवार, 29 जुलाई 2027 (आषाढ़ कृष्ण एकादशी)
द्वितीय अमृतस्नान (महाकुंभस्नान): सोमवार, 2 अगस्त 2027 (सोमवती अमावस्या)
तृतीय अमृतस्नान: तिथियां अगले चरण में घोषित की जाएंगी।
अन्य प्रमुख पर्वस्नान
ऋषि पंचमी: 5 सितंबर 2027
भाद्रपद शुद्ध एकादशी: 11 सितंबर 2027
भाद्रपद पौर्णिमा: 15 सितंबर 2027
आश्विन शुद्ध एकादशी एवं पौर्णिमा: 11 और 15 अक्टूबर 2027
कार्तिक शुद्ध एकादशी एवं पौर्णिमा: 10 और 14 नवंबर 2027
गंगा दशहरा उत्सव: 25 मई से 2 जून 2028
महाशिवरात्रि: 27 फरवरी 2028
वसंत पंचमी: 1 फरवरी 2028
मौनी अमावस्या: 26 जनवरी 2028
गंगा-गोदावरी महोत्सव एवं समापन
गंगा-गोदावरी महोत्सव: 8 फरवरी 2028
सिंहस्थ समाप्ति: 20 फरवरी 2028 दोपहर 3:36 बजे
इस महाकुंभ आयोजन की अध्यक्षता श्री सतिश शंकर शुक्ल, अध्यक्ष, श्री गंगा गोदावरी पंचकोठी पुरोहित संघ, नासिक द्वारा की जा रही है। महंत भक्तीचरण दासजी, प्रवक्ता, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे शास्त्रसम्मत विधि से पुण्यकाल में स्नान कर धर्मलाभ प्राप्त करें।
त्र्यंबकेश्वर को हाईवे से जोड़ने का काम किया जाएगा: हरि गिरि महाराज
नासिक कुंभ की तैयारियों को लेकर हरि गिरि महाराज ने संतोष व्यक्त किया है। उन्होंने कहा, "हम सरकार और प्रशासन के साथ हैं।" उन्होंने कहा कि गोदावरी नेरी में नालों और गटरों का गंदा पानी नहीं छोड़ा जाएगा। साथ ही, उन्होंने कुशावर्त तीर्थ पर ब्राह्मणों के घरों को न उजाड़ने की मांग की। साथ ही, कहा कि त्र्यंबकेश्वर को हाईवे से जोड़ने का काम किया जाएगा।
बता दें कि सिंहस्थ का यह आयोजन नासिक में 12 वर्षों में एक बार होता है, जिसमें देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु स्नान, तप और साधना के लिए एकत्र होते हैं।