चंदौली में खुलेआम नियमों की धज्जियां, अफसरों की चुप्पी ने खोला भ्रष्टाचार का पिटारा

Update: 2025-05-29 15:57 GMT


विशेष रिपोर्ट: ओ पी श्रीवास्तव, चंदौली

चंदौली: जिले में सरकारी आदेशों और कानूनों की खुलेआम अनदेखी हो रही है। एनएच 19 पर लगे अनधिकृत होर्डिंग्स और बोर्डिंग्स पर जिला अधिकारी (डीएम) द्वारा चलाए गए हटाओ अभियान की हकीकत अब सवालों के घेरे में है। नगर पंचायत विभाग और एनएचएआई की चुप्पी ने पूरे मामले को और भी संदिग्ध बना दिया है।

डीएम का आदेश, लेकिन अमल नहीं

बता दें कि कुछ सप्ताह पूर्व डीएम द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि एनएच 19 पर लगे सभी अनधिकृत विज्ञापन हटाए जाएं। लेकिन आज तक स्थिति में कोई बदलाव नहीं है। हाईवे आज भी अवैध होर्डिंग्स से पटे पड़े हैं, जो प्रशासनिक व्यवस्था की पोल खोल रहे हैं।विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक नगर पंचायत विभाग कथित रूप से कुछ निजी संस्थानों से धन लेकर उन्हें एनएच की जमीन पर होर्डिंग्स लगाने की मौखिक अनुमति देता है। यह न केवल गैरकानूनी है, बल्कि डीएम के निर्देशों की सीधी अवहेलना भी।

वहीं जब मीडिया ने नगर पंचायत की अधिशासी अधिकारी से इस बाबत सवाल किया, तो उन्होंने सीधे एनएचएआई को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि होर्डिंग हटाने की जिम्मेदारी उनकी है। दूसरी ओर, एनएचएआई के अधिकारी भी मौन साधे हुए हैं। न कोई बयान, न कोई कार्रवाई।

मीडिया में खबर चलने के बाद नगर पंचायत ने कुछ निजी संस्थानों को नोटिस भेजकर खुद को कार्रवाई कर्ता दिखाने की कोशिश की, लेकिन ज़मीनी सच्चाई यह है कि कोई भी होर्डिंग अब तक नहीं हटाया गया।

विदित हो कि एनएच 19 जो कि जिले का सबसे व्यस्त और महत्वपूर्ण मार्ग है, वहां अवैध पार्किंग और होर्डिंग्स से यातायात प्रभावित हो रहा है। यह न केवल दुर्घटनाओं को न्योता दे रहा है, बल्कि सरकार के स्वच्छ और व्यवस्थित शहर अभियान पर भी प्रश्नचिह्न लगा रहा है।

स्थानीय नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि जब डीएम के आदेश की यह दुर्गति है, तो आम जन की शिकायतों का क्या होता होगा? लोग खुलकर कह रहे हैं कि यह 'होर्डिंग माफिया' बिना राजनीतिक या प्रशासनिक संरक्षण के संभव नहीं।इस पूरे मामले ने यह साफ कर दिया है कि चंदौली में प्रशासनिक तंत्र में समन्वय की भारी कमी है। जब अधिकारी आदेश के बाद भी आंखें मूंदे बैठे हैं, तो यह स्पष्ट संकेत है कि मामला केवल लापरवाही का नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार और मिलीभगत का है। सवाल अब यह है — क्या डीएम इन अफसरों पर कार्रवाई करेंगे, या यह मामला भी बाकी कई मामलों की तरह फाइलों में दफ्न हो जाएगा?

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