दस साल में ना दरवाजा लगा, ना योजनाएं उतरी ज़मीन पर; स्वास्थ्य केंद्र और समिति भवन भी बदहाली का शिकार
विशेष रिपोर्ट: ओ पी श्रीवास्तव संग नवीन राय...
कमालपुर (बरहनी):जहां सरकार गांव-गांव तक डिजिटल सचिवालय पहुंचाने और योजनाओं को पारदर्शी बनाने की बात कर रही है, वहीं चंद कदम दूर देवकली गांव का सचिवालय हकीकत में सरकार के दावों को आईना दिखा रहा है। दस साल पहले बना यह सचिवालय आज तक उपयोग में नहीं आ सका। ना खिड़कियां हैं, ना दरवाजे, और ना ही कोई बैठक या सूचना का कोई प्रसार।
देवकली गांव में बने ग्राम सचिवालय का भवन एक दशक से वीरान पड़ा है। यहां न कोई ग्राम पंचायत की बैठक होती है और न ही गांव के प्रतिनिधियों को पता होता है कि योजनाएं कैसे बनती हैं और कब लागू होती हैं। सरकारी तंत्र की लापरवाही इस बात से साफ झलकती है कि जिस भवन के निर्माण पर लाखों खर्च हुए, वह आज भी अधूरा है।
इसी कैंपस में दो साल पहले हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बना, लेकिन आज तक इसमें खिड़की-दरवाजे नहीं लगे और न ही किसी डॉक्टर की तैनाती हुई। ग्रामीणों को इससे कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। बरहनी पीएचसी अधीक्षक डॉ. शैलेन्द्र कुमार का कहना है कि कार्यदायी संस्था ने अभी तक केंद्र को स्वास्थ्य विभाग को हैंडओवर नहीं किया है।
विडंबना देखिए—जो भवन पूरी तरह तैयार है, वह बंद है, और जो पूरी तरह जर्जर है, उसमें जिला सहकारी समिति का खाद, बीज और क्रय केंद्र संचालित किया जा रहा है। हर दिन किसान जान जोखिम में डालकर वहां पहुंचते हैं।
गांव में आज तक आंगनबाड़ी केंद्र की स्थापना नहीं हो सकी। छोटे बच्चों को कंपोजिट विद्यालय से जोड़ दिया गया है, जिससे पोषण योजना का लाभ भी अधूरा रह गया है। बाल पुष्टाहार विभाग की सीडीपीओ नंदिनी शुक्ला ने बताया कि प्रस्ताव भेजा जा चुका है और बजट मिलते ही केंद्र का निर्माण शुरू होगा।गांव के लोगों का कहना है कि सचिवालय और सरकारी इमारतें महज़ कागज़ी खानापूर्ति बनकर रह गई हैं। उन्हें न तो योजनाओं की जानकारी मिलती है, न कोई सुविधा। सरकार की घोषणाएं और जमीनी सच्चाई में फर्क साफ नज़र आता है।