पाकिस्तान समर्थक देशों के उत्पादों के खिलाफ काशी से भड़की स्वदेशी चिंगारी ।

Update: 2025-05-21 17:31 GMT

वाराणसी -

अपने स्थापना के समय से ही स्वदेशी जागरण मंच भारत के आर्थिक और सामरिक हितों की रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय नीतियों, संस्थाओं और देशों का विरोध करता रहा है।

भारत के आर्थिक हितों के विरुद्ध WTO की नीतियों का विरोध भारत WTO के मंच पर ब्रिक्स जैसी संस्थाओं के माध्यम करता रहा है। जीविका के क्षेत्र जैसे कृषि और पशुपालन से संबंधित समझौतों पर स्वदेशी जागरण मंच सदैव सरकारों को चेताया है। खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश के विरुद्ध मंच का अभियान इसका प्रमाण है। ई-कॉमर्स के क्षेत्र में अमेजॉन और फ्लिपकार्ट जैसी भीमकाय बहुराष्ट्रीय कंपनियों के विरोध का अभियान अभी भी प्रगति पर है ।ऐसी बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत के लगभग 6 करोड़ छोटे व्यापारी परिवारों की आजीविका के लिए खतरा बनते जा रहे हैं।

भारत के विदेशी व्यापार में लगभग 100 अरब डॉलर का घाटा केवल चीन के साथ है ।सस्ते चीनी माल के आगे विवश भारतीय उत्पादकों को सशक्त बनाने के लिए मंच बहुत पहले से ही चीनी वस्तुओं और निवेश को नियंत्रित करने हेतु जन जागरण अभियान चला रहा है। डोकलाम में भारत और चीन की सेनाओं के बीच संघर्ष के समय से ही चीनी संचार उपकरणों और इलेक्ट्रानिक उत्पादों के बहिष्कार का आंदोलन देश भर में चलाया । व्यापार में लाभ हानि तो सामान्य बात है पर व्यापार के लाभ का उपयोग जब चीन भारत के सामरिक हितों पर कुठाराघात हेतु करने लगा तब ''एक धक्का और दो चीन का मुंह तोड़ दो " जैसा नारा देश में खूब प्रचलित हुआ । चीन स्वयं तो भारतीय सुरक्षा चुनौतियों को बढ़ाता ही है वह सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पड़ोसी देश पाकिस्तान को भी सहायता और संरक्षण देता है अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ मुहिम में आतंकवाद को सामरिक नीति के रूप में प्रयोग करने वाले पाकिस्तान का साथ देकर चीन हमेशा भारतीय हितों को नुकसान पहुंचता है। पाकिस्तान की 80% रक्षा जरूरत को पूरा करने वाला चीन टैरिफ वार में एक तरफ भारत से दोस्ती करना चाहता है और दूसरी ओर भारत को अशांत कर विकास की गाड़ी को रोकने के लिए पाकिस्तान के आतंकवाद को खाद पानी देता है । इसलिए इस संक्रमण काल में "मुख में राम बगल में छुरी" वाले चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है ।स्वतंत्रता के पश्चात सभी सरकारों ने चीन के साथ संबंधों को दोस्ताना बनाने का प्रयास किया है पर हर बार चीन ने पाकिस्तान की तरह ही भारत की पीठ में छुरा घोंपा है । चीन की ही तरह तुर्किये भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का साथ देने में आनाकानी करता रहा है। स्वतंत्रता से पूर्व 1920 से ही भारत तुर्किये से दोस्ती का प्रयास करता रहा है ।भारत 1920 में तुर्की के स्वतंत्रता का मुखर समर्थक था। 1948 से दोनों देशों के बीच राजनीतिक संबंध स्थापित हुए और भारत के लगभग सभी राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति , प्रधानमंत्री लोकसभा के स्पीकर और अन्य महत्वपूर्ण नेता तुर्किये का दौरा करते रहे । शिक्षा के क्षेत्र में जेएनयू, जामिया मिलिया एवं अन्य अनेक विश्वविद्यालयों ने तुर्किये के विश्वविद्यालयों के साथ समझौता किया है और पर्यटन की दृष्टि से भी भारतीयों के लिए तुर्किये एक महत्वपूर्ण गंतव्य बन गया है। इधर तैय्यप आर्दोगन जो कि अपने को इस्लामी दुनिया का खलीफा मानते हैं, के

राष्ट्रपति चुने जाने के बाद तुर्किये के साथ भारत के संबंधों में तल्खी बढ़ गई है। केवल धार्मिक आधार पर तुर्किये और अजरबैजान जैसे देश पाकिस्तान का प्रत्येक स्तर पर समर्थन करते हैं ।2023 में तुर्किये में आए प्रलयंकारी भूकंप में "ऑपरेशन दोस्त " के तहत सबसे पहले रसद ,दवाइयां, डॉक्टर के साथ एनडीआरएफ की टीम भारत द्वारा भेजी गयी।स्थान स्थान पर कैंप लगाकर और अस्थाई अस्पताल खोलकर भारत ने तुर्किये को उसे संकट से निकलने में महत्वपूर्ण सहायता की। परंतु पहलगाम आतंकी हमले के बाद जिसमें 26 मासूम पर्यटकों की निर्मम हत्या पाकिस्तान पोषित आतंकियों द्वारा की गई थी और भारत पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को नष्ट करने की (आपरेशन सिंदूर) की तैयारी कर रहा था तब एर्दोगन पहले राष्ट्राध्यक्ष थे जिन्होंने पाकिस्तान का दौरा किया और उसे हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। संघर्ष बढ़ने पर तुर्किये ने पाकिस्तान को ड्रोन और अन्य युद्ध सामग्री भी उपलब्ध कराया और भारत की दोस्ती के प्रयास की अनदेखी करते हुए भारत की पीठ में छुरा घोंपा। वैसे तो भारतीय सेनाओं ने चीन के एयर डिफेंस सिस्टम और तुर्की अजरबैजान के ड्रोनों के परखच्चे उड़कर माकूल जवाब दिया है परंतु भारत की जनता को भी अपने स्तर से तुर्की ,चीन और अजरबैजान को मुंहतोड़ जवाब देने का यह माकूल समय है । चीन तुर्किये और अजरबैजान जैसे देशों का संपूर्ण आर्थिक बहिष्कार कर यह कार्य किया जा रहा है। तुर्की और अजरबैजान जाने वाले पर्यटकों की संख्या में अभूतपूर्व कमी हुई है, सरकार की तरफ से भी अनेक कदम उठाए जा रहे हैं ।स्वदेशी जागरण मंच द्वारा इन तीनों देशों के उत्पाद, निवेश और अन्य आर्थिक संबंधों के पूर्ण बहिष्कार, अमेजॉन , फ्लिपकार्ट जैसी अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बहिष्कार के लिए एक प्रदर्शन का आयोजन आज 21 मई 2025 सायं 5:00 पर किया गया।

विरोध मार्च का संयोजन स्वदेशी जागरण मंच की महानगर संयोजिका कविता मालवीय ने किया क्षेत्र संपर्क प्रमुख श्री सत्येंद्र सिंह जी, प्रांत प्रचार प्रमुख डा अवनींद्र राय जी, प्रान्त महिला प्रमुख डॉ माधवी तिवारी, प्रान्त अध्यक्ष लघु उद्योग भारती काशी राजेश सिंह जी, महारानी लक्ष्मी बाई न्यास के महामंत्री एडवोकेट राजेंद्र प्रताप पांडे, स्वदेशी जागरण मंच काशी विभाग संयोजक शैलेन्द्र जी, विभाग पूर्ण कालिक अमरेंद्र जी, भाजपा महानगर कार्य समिति सदस्य रीना सिंह जी, बरैका व्यापार मंडल से योगिता तिवारी, लाजपत नगर संपर्क प्रमुख राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रेम सिंह जी , लघु उद्योग भारती ज्योति शंकर मिश्रा जी अध्यक्ष बनारस जिला , मनीष चौबे जी उपाध्यक्ष बनारस जिला, क्लैट जिला अध्यक्ष श्याम सुंदर गुप्ता जी, सचिव सुभाष गुप्ता जी, त्रिभुवन नाथ शर्मा जी कोषाध्यक्ष, मनीष मुंद्रा जी प्रभारी सहित जिला संयोजक स्कन्द सिंह

जिला सहसंयोजक ए के श्रीवास्तव, जिला सहसंयोजक नीरज श्रीवास्तव, विचार विभाग प्रमुख प्रदीप वर्मा की उपस्थिति रही।

भवदीय।

डा अवनीन्द्र कुमार

प्रांत प्रचार प्रमुख

स्वदेशी जागरण मंच

पूर्वी उत्तर प्रदेश

काशी प्रांत।

9838079379।

Similar News