घोसी उपचुनाव की घोषणा से पहले प्रत्याशी घोषित कर सपा ने बनायी बढ़त, श‍िवपाल यादव ने की सुजीत सिंह के नाम की घोषणा

Update: 2025-12-27 11:19 GMT

मऊ। घोसी के समाजवादी पार्टी (सपा) विधायक सुधाकर सिंह के निधन को एक माह से अधिक समय हो चुका है। इस बीच, चुनाव आयोग की ओर से उपचुनाव की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन सपा ने स्व. सुधाकर सिंह के परिवार के प्रति सहानुभूति जताते हुए उनके पुत्र, घोसी के पूर्व ब्लाक प्रमुख सुजीत सिंह को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है। इस कदम से पार्टी ने राजनीतिक बढ़त हासिल कर ली है। पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भी मऊ में श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सुजीत को चुनाव लड़ाने का आश्वासन दिया था।

एक द‍िन पूर्व ही गाजीपुर में सपा विधायक ओम प्रकाश सिंह के भतीजे के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त करने पहुंचे सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव ने सुजीत को टिकट देने की घोषणा कर इस पर मुहर लगा दी। पिछले घोसी उपचुनाव में पार्टी ने शिवपाल सिंह के निर्देशन में चुनाव लड़कर सफलता प्राप्त की थी। अब उन्होंने जिला स्तरीय पार्टी पदाधिकारियों को हर स्तर पर तैयारी शुरू करने का निर्देश दिया है, ताकि आगामी उपचुनाव में पार्टी की स्थिति मजबूत हो सके।

 

वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और सुभासपा भी अपने प्रत्याशियों की स्थिति तय करने के लिए माथापच्ची कर रही हैं। पिछले उपचुनाव में भाजपा का पूरा आला कमान घोसी में सक्रिय रहा था, लेकिन फिर भी यह सीट भाजपा को नहीं मिल सकी थी। इस बार भाजपा नई रणनीति के तहत चुनावी मैदान में उतरेगी। 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा के प्रत्याशी दारा चौहान ने 108430 मत प्राप्त कर भाजपा के विजय राजभर को 22216 मतों से पराजित किया था।

वर्ष 2023 के उपचुनाव में विधायक चुने गए सुधाकर सिंह ने 124295 मत प्राप्त कर भाजपा प्रत्याशी को 42672 मतों से हराया था। इस उपचुनाव में भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंकी थी, जिसमें डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक, केशव मौर्य, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी सहित सभी दिग्गजों ने भाग लिया था।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जनसभाएं भी हुई थीं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भाजपा इस उपचुनाव को हलके में नहीं लेगी। पिछली हार से सबक लेते हुए भाजपा अपनी नई रणनीति के साथ चुनावी मैदान में उतरेगी। सपा ने सुजीत सिंह को प्रत्याशी बनाकर न केवल अपने कार्यकर्ताओं में उत्साह भरा है, बल्कि यह भी दर्शाया है कि पार्टी अपने पूर्व विधायक के परिवार के प्रति कितनी संवेदनशील है।

सुजीत सिंह के चुनावी मैदान में उतरने से पार्टी को एक युवा चेहरा मिलेगा, जो स्थानीय मुद्दों को समझता है और जनता के बीच अपनी पहचान बना चुका है। भाजपा की रणनीति इस बार अधिक प्रभावी हो सकती है, क्योंकि पार्टी ने पिछले चुनावों से मिली हार के बाद अपनी कमियों को दूर करने का प्रयास किया है। भाजपा के नेता इस बार अधिक सक्रियता से चुनावी प्रचार में जुटेंगे और जनता के बीच अपनी उपलब्धियों को उजागर करने का प्रयास करेंगे।

घोसी उपचुनाव में सपा और भाजपा दोनों ही अपनी-अपनी रणनीतियों के साथ तैयार हैं। सपा ने जहां अपने प्रत्याशी की घोषणा कर पहले ही बढ़त बना ली है, वहीं भाजपा भी अपनी नई रणनीति के साथ चुनावी मैदान में उतरने के लिए तैयार है। यह उपचुनाव न केवल घोसी के लिए, बल्कि प्रदेश की राजनीति के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगा। इस चुनावी माहौल में जनता की भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि वे ही तय करेंगे कि किस पार्टी का प्रत्याशी उनके मुद्दों को सही तरीके से उठाता है और उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरता है। घोसी उपचुनाव की तैयारी में सभी दल अबअपनी पूरी ताकत झोंकने के लिए तैयार हैं।

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