दिल्ली धमाका : कांग्रेस ने की सर्वदलीय बैठक की मांग — कहा, “बार-बार खुफिया विफलता पर जवाबदेही तय हो”
रिपोर्ट : विजय तिवारी
नई दिल्ली।
दिल्ली में लाल क़िले के पास हुए भीषण आतंकवादी हमले के बाद देशभर में आक्रोश और चिंता का माहौल है। इस बीच भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने केंद्र सरकार से तुरंत सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की है और कहा है कि यह केवल सुरक्षा विफलता नहीं, बल्कि नीति और नेतृत्व की चूक भी है।
कांग्रेस ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ पूरे देश को एकजुट रहना चाहिए, लेकिन इसके साथ ही खुफिया एजेंसियों की बार-बार विफलता पर सरकार को जवाब देना होगा।
कांग्रेस का बयान : “प्रधानमंत्री स्वयं सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता करें”
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता और मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने प्रेस वार्ता में कहा,
> “स्थिति बेहद गंभीर है। प्रधानमंत्री को स्वयं सभी राजनीतिक दलों को बुलाकर बैठक करनी चाहिए। यह वक्त राजनीति करने का नहीं, बल्कि एकजुट होकर राष्ट्रीय सुरक्षा पर ठोस रणनीति बनाने का है।”
उन्होंने कहा कि राजधानी के सबसे सुरक्षित माने जाने वाले क्षेत्र में हमला होना, सरकार के सुरक्षा ढांचे और खुफिया प्रणाली पर गंभीर सवाल उठाता है।
कांग्रेस की तीन प्रमुख मांगें
1. गृह मंत्री की जवाबदेही तय की जाए:
कांग्रेस ने कहा कि हर हमले के बाद वही सवाल दोहराए जाते हैं — चेतावनी थी, इनपुट था, फिर भी हमला कैसे हुआ?
> “अब सिर्फ बयानबाज़ी नहीं, जवाबदेही चाहिए। गृह मंत्री को खुफिया नाकामियों पर स्पष्ट उत्तर देना होगा।”
2. प्रधानमंत्री बुलाएं सर्वदलीय बैठक:
पार्टी ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा का विषय किसी एक दल का नहीं, बल्कि पूरे देश का है।
> “प्रधानमंत्री को तुरंत सर्वदलीय बैठक बुलाकर विपक्ष को विश्वास में लेना चाहिए और ठोस रणनीति पर साझा निर्णय लेना चाहिए।”
3. ‘नई सामान्य स्थिति’ पर सरकार दे स्पष्ट जवाब:
कांग्रेस ने सवाल उठाया कि क्या प्रधानमंत्री की “नई सामान्य स्थिति” (New Normal) नीति का अर्थ यह है कि अब आतंकी हमलों को सामान्य माना जाएगा?
> “अगर ऐसा है, तो यह बेहद खतरनाक दृष्टिकोण है। देश आतंकवाद को कभी सामान्य नहीं मान सकता।”
“खुफिया तंत्र की लगातार विफलता पर मौन क्यों?”
पवन खेड़ा ने कहा,
> “हर बार हमले से पहले खुफिया एजेंसियों के पास इनपुट होते हैं, फिर भी कार्रवाई नहीं होती। आखिर यह चूकें कब तक चलेंगी? कौन जिम्मेदार है कि आतंकवादी 2,900 किलोमीटर दूर से राजधानी तक पहुँच गए? देश जवाब चाहता है।”
उन्होंने जोड़ा कि सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि उसने पिछले हमलों से क्या सबक लिया और कौन-से सुरक्षा सुधार लागू किए गए।
कांग्रेस का राष्ट्रीय एकता संदेश
कांग्रेस ने कहा कि यह समय आरोप-प्रत्यारोप का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकजुटता और ठोस नीति निर्माण का है।
> “विपत्ति के समय सभी राजनीतिक दलों को एक साथ आकर कार्य करना चाहिए। आतंकवादी हमला बाहरी शक्तियों के समर्थन से हुआ है — इसलिए देश के हर नागरिक और सरकार को एकजुट होकर कार्य करना होगा।”
पार्टी ने विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर, दिल्ली और सीमावर्ती क्षेत्रों में नागरिकों व पर्यटकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की मांग की।
कांग्रेस के सवाल केंद्र सरकार से
1. क्या सरकार संसद सत्र से पहले लाल क़िले धमाके पर चर्चा के लिए विशेष बैठक बुलाएगी?
2. क्या प्रधानमंत्री स्वयं सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता कर विपक्ष को भरोसे में लेंगे?
3. क्या गृह मंत्री बार-बार की खुफिया नाकामियों की जिम्मेदारी स्वीकार करेंगे?
“देश भरोसा चाहता है, न कि बहाने”
पवन खेड़ा ने कहा,
> “प्रधानमंत्री ने अगर कहा है कि देश ने ‘नई सामान्य स्थिति’ में जीना सीख लिया है, तो यह बेहद चिंताजनक है। आतंकवाद को सामान्य नहीं बनाया जा सकता। देश को नई सुरक्षा नीति और निर्णायक कार्रवाई की जरूरत है, न कि नई शब्दावली की।”
उन्होंने कहा कि कांग्रेस हर उस कदम में सरकार के साथ है जो देश की सुरक्षा को मजबूत करेगा, लेकिन जवाबदेही और पारदर्शिता के बिना जनता का भरोसा बहाल नहीं हो सकता।
लाल क़िले के पास हुए धमाके को अब आधिकारिक रूप से आतंकवादी हमला घोषित किया गया है। जांच एजेंसियां विदेशी नेटवर्क्स और आतंकी संगठनों की संलिप्तता की जांच कर रही हैं। धमाके में कई निर्दोष नागरिकों की मौत हुई है और दर्जनों घायल हुए हैं। राजधानी में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।
कांग्रेस का रुख स्पष्ट है — एकजुटता के साथ जवाबदेही।
पार्टी ने जहां राष्ट्रीय एकता का संदेश दिया, वहीं सरकार से यह भी पूछा कि “हर बार चेतावनी के बावजूद चूक क्यों होती है?”
अब नज़रें प्रधानमंत्री कार्यालय पर हैं कि क्या वह विपक्ष की इस मांग को स्वीकार कर सर्वदलीय बैठक बुलाकर राष्ट्रीय सुरक्षा पर साझा कदम उठाएगा।