आजम खान का व्यंग्य और बयानबाज़ी से सियासत में हलचल: “कुछ हमने हाल-ए-दिल कहा… कुछ उन्होंने कहा” — बोले, “जंगलराज में नहीं जाना चाहता”
डेस्क रिपोर्ट : विजय तिवारी
लखनऊ:
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री आजम खान की राजनीतिक वापसी एक बार फिर सुर्खियों में है। जेल से रिहा होने के बाद पहली बार लखनऊ में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात के बाद उनके व्यंग्यात्मक और तीखे बयानों ने सियासी हलकों और सोशल मीडिया दोनों में हलचल मचा दी है।
मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत में आजम खान का अंदाज़ वही पुराना — तंज, हाज़िरजवाबी और राजनीतिक संकेतों से भरा रहा।
उन्होंने कहा —
> “कुछ हमने हाल-ए-दिल कहा… कुछ उन्होंने कहा।”
इस एक वाक्य में उन्होंने मुलाकात के मायने और सियासी संदेश दोनों समेट दिए।
जब पत्रकारों ने उनसे बिहार चुनाव प्रचार में जाने को लेकर सवाल किया तो आजम खान ने मुस्कराते हुए कहा —
> “मैं जाना चाहता हूं, मगर असुरक्षित नहीं जाना चाहता… जंगलराज में नहीं जाना चाहता।”
उनका यह बयान सीधे तौर पर बिहार की कानून-व्यवस्था पर तंज माना जा रहा है, जो तुरंत सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
बात मुकदमों और आरोपों पर आई तो आजम खान ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा —
> “मेरे पास मेरी सैलरी-पेंशन के पैसे हैं — करोड़ों में हैं। मेरी बीबी एसोसिएट प्रोफेसर से रिटायर हुई हैं। मुझ पर एक मुकदमा भी है… जब मैं चौथी बार मंत्री था, जेड-प्लस सुरक्षा थी, मैंने एक शराब की दुकान लूटी थी!”
उन्होंने आगे कहा —
“गल्ले में रखे 16,900 रुपए भी लूटे थे… अब तो शायद गिनीज बुक में नाम दर्ज होगा!”
भीड़ में हंसी गूंजी, लेकिन उनके व्यंग्य के पीछे की पीड़ा और कटाक्ष दोनों साफ़ झलक रहे थे।
राजनीतिक समीकरणों और अखिलेश यादव से रिश्तों पर बोलते हुए आजम खान ने कहा —
> “हर नेता अपनी कुर्सी और भविष्य के लिए लड़ता है। वो (विरोधी) अपनी पार्टी के लिए कहेंगे, हम उनसे शिकायत क्यों करें।”
इसके बाद उन्होंने अपनी बात को एक प्रतीकात्मक अंदाज़ में रखा —
“जब अखाड़े में दो पहलवान उतरते हैं, तो हर कोई जीत के लिए उतरता है। अब देखना है कि हम लंगोट के साथ लड़ेंगे या बगैर लंगोट के साथ।”
अपने बीते दौर और संघर्षों का ज़िक्र करते हुए आजम खान ने कहा कि उन्होंने बुलडोज़र कार्रवाई, जायदाद के नुकसान और मुकदमों के बीच जो दौर देखा, वह किसी कहानी से कम नहीं।
> “सबसे बड़ा माफिया आपके सामने खड़ा है… मुझसे बड़ा कौन होगा? आने वाले दिनों में लोग मेरे किस्से सुनाया करेंगे। मेरा नाम गिनीज़ बुक में लिखा जाएगा।”
आजम खान के इन बयानों को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज़ है।
विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान सिर्फ तंज नहीं, बल्कि सपा के भीतर बदलते समीकरणों और आने वाले चुनावी संकेतों की ओर इशारा है।
जहां एक तरफ उनके समर्थक इसे “आजम की सियासी वापसी” मान रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दलों ने इसे “सहानुभूति और चर्चा पाने की कोशिश” बताया है।
कुल मिलाकर, आजम खान की यह वापसी सिर्फ एक मुलाकात नहीं, बल्कि राजनीतिक मंच पर दोबारा उपस्थिति दर्ज कराने का संकेत है — और उनके शब्दों में ही कहें तो, “अब कहानी फिर से शुरू होती है।”