ममता कुलकर्णी का विवादित बयान: “दाऊद इब्राहिम न आतंकवादी, न उसने कोई धमाका किया” — देशभर में मचा राजनीतिक और सामाजिक बवाल

Update: 2025-10-30 02:51 GMT


डेस्क रिपोर्ट : विजय तिवारी

बॉलीवुड अभिनेत्री से आध्यात्मिक साधिका बनीं ममता कुलकर्णी ने अपने बयान से एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर हलचल पैदा कर दी है। गोरखपुर में आयोजित एक धार्मिक बैठक के दौरान उन्होंने अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम को लेकर चौंकाने वाला दावा करते हुए कहा कि “दाऊद न आतंकवादी है, न उसने किसी बम धमाके में हिस्सा लिया।”

उनका यह बयान सामने आते ही सोशल मीडिया पर तीव्र प्रतिक्रियाएँ शुरू हो गईं और यह मुद्दा राष्ट्रीय बहस का विषय बन गया है।

गोरखपुर में दिया बयान

सूत्रों के अनुसार, ममता कुलकर्णी हाल ही में गोरखपुर में एक धार्मिक आयोजन में शामिल हुई थीं। कार्यक्रम के दौरान मीडिया से बातचीत में उन्होंने अपने 12 वर्षों के ब्रह्मचर्य व्रत और तपस्या का उल्लेख किया। इसी क्रम में जब पत्रकारों ने उनसे दाऊद इब्राहिम पर सवाल किया, तो उन्होंने कहा —

> “दाऊद इब्राहिम के बारे में जो छवि गढ़ी गई है, वह एकतरफा है। वह न आतंकवादी है और न ही किसी ब्लास्ट में उसका हाथ था।”

बयान से मचा हड़कंप

कुलकर्णी का यह बयान सामने आते ही टीवी चैनलों, डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्मों और सोशल मीडिया पर तीखी बहस छिड़ गई। कई लोगों ने इसे “संवेदनशील मुद्दे पर गैरजिम्मेदाराना टिप्पणी” बताया, वहीं कुछ समर्थकों ने कहा कि ममता कुलकर्णी ने अपनी “निडर राय” रखी है।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ऐसा बयान सार्वजनिक भावनाओं को भड़का सकता है, क्योंकि दाऊद इब्राहिम भारत के लिए लंबे समय से मोस्ट वॉन्टेड अपराधियों की सूची में शामिल है।

पृष्ठभूमि और विवाद

ममता कुलकर्णी 90 के दशक की चर्चित अभिनेत्री रही हैं। उन्होंने कई लोकप्रिय फिल्मों में काम किया, लेकिन पिछले कई वर्षों से फिल्म जगत से दूर हैं और आध्यात्मिक जीवन जी रही हैं।

पूर्व में उनका नाम एक अंतरराष्ट्रीय ड्रग तस्करी मामले से भी जुड़ा था, जिसे लेकर उन्होंने खुद को निर्दोष बताते हुए दावा किया था कि वे वर्षों से ब्रह्मचर्य और साधना में लीन हैं।

दाऊद इब्राहिम पर आरोप

दाऊद इब्राहिम पर 1993 के मुंबई बम धमाकों की साजिश और अंडरवर्ल्ड नेटवर्क चलाने के गंभीर आरोप हैं। भारत सरकार ने उसे आतंकवादी घोषित किया है, जबकि इंटरपोल और संयुक्त राष्ट्र ने भी उसके खिलाफ प्रतिबंध लगाए हैं।

ऐसे में ममता कुलकर्णी का बयान राष्ट्रीय सुरक्षा और न्यायिक दृष्टिकोण से एक संवेदनशील विषय बन गया है।

विशेषज्ञों की राय

सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे बयानों को बिना तथ्यात्मक पुष्टि के सार्वजनिक रूप से देना अनुचित है।

मीडिया विश्लेषकों का मानना है कि सार्वजनिक जीवन से जुड़ी हस्तियों को इस तरह के विवादित मुद्दों पर बयान देने से पहले जिम्मेदारी और संवेदनशीलता का ध्यान रखना चाहिए।

ममता कुलकर्णी के बयान ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि उनके वक्तव्य हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। आध्यात्मिक साधना और व्यक्तिगत विश्वास के बीच दिया गया यह बयान अब राष्ट्रीय बहस का केंद्र बन चुका है।

अब देखना यह है कि इस विवाद पर सरकार या जांच एजेंसियों की कोई प्रतिक्रिया आती है या नहीं, क्योंकि मामला सीधे तौर पर देश की सुरक्षा और आतंकवाद से जुड़े संवेदनशील विषय को छूता है।

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