सरयू नदी का भगवान:अयोध्या के भगवानदीन की जीवट कहानी- जहां लोग मरने आते हैं, वहां यह आदमी जिंदगी दे जाता है...
अयोध्या।
सरयू के किनारे हवा में गूंजती एक पुकार — “बचाओ... बचाओ…”
भीड़ जमा होती है, लेकिन कोई आगे नहीं बढ़ता। लहरें उफनती हैं, मौत अपने पंजे फैलाए बैठी है।
और तभी भीड़ को चीरता हुआ एक दुबला-पतला आदमी दौड़ता है, गमछा फेंकता है, और नदी में छलांग लगा देता है।
कुछ ही मिनटों में वह लहरों से जूझते हुए किसी को किनारे खींच लाता है। लोग कहते हैं — “भगवान ने बचा लिया।” और वो मुस्कुरा कर बस इतना कहता है —“नहीं भइया, भगवान नहीं... भगवानदीन हूं मैं।”
345 बार मौत को हराया
अयोध्या के इस सच्चे कर्मयोगी ने अब तक 345 लोगों की जान बचाई है। जिनमें से ज्यादातर वो लोग थे, जो जीवन से हार चुके थे किसी का प्रेम टूटा था, किसी का परिवार, किसी का विश्वास...पर भगवानदीन ने उन सबके लिए “दूसरा मौका” बनाया। मौत के मुंह से जिंदगी खींच लाने की जो कला उन्होंने सीखी, वह किसी ट्रेनिंग सेंटर में नहीं बल्कि सरयू की लहरों में पली है।
ना तनख्वाह, ना सम्मान
भगवानदीन के पास एक सरकारी गोताखोर का कार्ड तो है,
जिस पर लिखा है “₹500 मासिक मानदेय। पर आज तक वह ₹500 कभी मिले नहीं। सुरक्षा उपकरण? — नहीं। रहने को घर? — नहीं।
फिर भी हर बार जब किसी की जान पर बनती है, भगवानदीन तैयार मिलते हैं। “सैलरी नहीं मिलती, पर मन को शांति मिलती है। जब किसी की मां बेटे को गले लगाती है, वो खुशी किसी इनाम से बड़ी है।”
मौत से मुठभेड़ इनका रोज़ का रियाज़ है
कई बार तेज बहाव में खुद बह गए, कई बार पैर पत्थरों में फंसे,
लेकिन हिम्मत नहीं टूटी। लोग कहते हैं “भगवानदीन को डर नहीं लगता?” वो हंसकर कहते हैं “डर तो हर बार लगता है, पर अगर मैं डर जाऊं तो कोई मां अपने बेटे को कैसे देख पाएगी?”
ना मीडिया की चकाचौंध, ना मंच का शोर
भगवानदीन ने कभी कैमरे के आगे पोज़ नहीं दी। ना किसी मंत्री से फोटो खिंचवाई,-ना किसी अखबार में जगह मांगी। लेकिन जिन्होंने अपने खोए हुए को दोबारा पाया है,
उनके लिए भगवानदीन सिर्फ इंसान नहीं जीवित चमत्कार हैं।
सोशल मीडिया पर करें सच्चे नायकों का सम्मान
आज वक्त है कि समाज भगवानदीन जैसे सच्चे नायकों को पहचानें। जो बिना वेतन, बिना पद, बिना पहचान इंसानियत की अंतिम डोर थामे खड़े हैं।
अंत में एक बात...भगवानदीन का जीवन सिखाता है सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। जहां लोग मरने आते हैं, वहां कोई जीना सिखा दे वही असली भगवान होता है।अयोध्या की सरयू नदी आज भी गवाही देती है कि जब लहरें मौत की होती हैं, तो भगवानदीन जिंदगी की नाव लेकर उतर आते हैं।