कुशवाहा परिवार में बढ़ती हलचल—साक्षी मिश्रा के बयान से सियासी गर्मी तेज क्या दीपक प्रकाश के बाद अब उनकी पत्नी भी दिखेंगी राजनीति में?
बिहार की नई सत्ता संरचना के बीच उपेंद्र कुशवाहा के परिवार को लेकर सियासी चर्चाएँ लगातार सुर्खियों में हैं। पहले बेटे दीपक प्रकाश को बिना चुनाव लड़े मंत्री बनाए जाने पर सवाल उठे, फिर विभाग संभालते ही उनकी पत्रकारों से बहस चर्चा में रही—और अब पूरा ध्यान उनकी पत्नी साक्षी मिश्रा पर आ गया है।
दीपक प्रकाश की ताजपोशी के बाद साक्षी मिश्रा ने ऐसा बयान दिया है, जिसने राजनीतिक गलियारों में नई बहस छेड़ दी है। मंत्री बनने की संभावना पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने बेहद सधे हुए अंदाज में कहा—
“अचानक कुछ नहीं होता… हर चीज़ का एक प्रोसेस होता है और एक टाइम होता है। अगर किसी को लगता है कि मैं मंत्री बन सकती हूँ, तो थैंक-यू इन एडवांस।”
उनका यह बयान सीधे-सीधे किसी दावे जैसा नहीं था, मगर सियासत में संकेत भी आधी कहानी समझे जाते हैं। इसी वजह से अब चर्चा यह है कि क्या कुशवाहा परिवार में अगली पारी साक्षी खुद खेलने वाली हैं?
कौन हैं साक्षी मिश्रा?
मूल रूप से उत्तर प्रदेश से ताल्लुक
पिता एस. एन. मिश्रा प्रदेश के वरिष्ठ सेवानिवृत्त IAS अधिकारी
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में पति दीपक के लिए सक्रिय रूप से प्रचार में नजर आईं
सोशल मीडिया पर पहले से ही बड़ी उपस्थिति और युवा फॉलोइंग
साक्षी ने स्पष्ट किया कि दीपक प्रकाश के चयन में पहले से पार्टी की “कोर टीम” सक्रिय थी और संगठन के स्तर पर चर्चा के बाद ही मंत्री पद पर नाम तय हुआ। इस बयान से यह संकेत भी मिला कि परिवार की युवा पीढ़ी राजनीतिक ढांचे में पहले से तैयार की जा रही थी।
सियासत में कौन-सी लाइन पकड़ी?
साक्षी ने न सीधे इनकार किया, न स्वीकार—बल्कि वही “राजनीति वाला सुरक्षित जवाब” दिया:
प्रक्रिया चलती रहती है, समय आने पर सब दिखेगा।
यही वजह है कि अब कई राजनीतिक विश्लेषक यह मान रहे हैं कि
दीपक प्रकाश की एंट्री शुरुआतभर है
पार्टी में भविष्य की रणनीति तय करते समय साक्षी मिश्रा की भूमिका भी मजबूत हो सकती है
खासकर महिला चेहरा, युवा अपील और यूपी-बिहार कनेक्ट—तीनों वजहें उन्हें संभावित चेहरे के तौर पर आगे ला सकती हैं
क्या यह परिवारवाद की नई बहस बनेगा?
सियासी विरोधी इसे “पारिवारिक विस्तार” कहकर निशाना बना रहे हैं, मगर समर्थक इसे नए नेतृत्व की तैयारी बताते हैं।
साक्षी का नपा-तुला बयान इस आग में घी डालने जैसा ही रहा—इसीलिए चर्चा तेज है।