शाहीन बाग प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में गुहार

Update: 2020-02-04 03:17 GMT

 नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ पिछले साल 15 दिसंबर से शाहीन बाग में डटे प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने की मांग के साथ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है। इसमें कहा गया है कि इस विरोध प्रदर्शन की वजह से दिल्ली-नोएडा को जोड़ने वाली सड़क को बंद कर दिया गया है जिससे लोगों को काफी मुश्किल हो रही है।

याचिका में धरनों या विरोध प्रदर्शनों की वजह से लगने वाले पूर्ण प्रतिबंधों के संबंध में व्यापक और संपूर्ण दिशानिर्देश तय करने की मांग की गई है। दिल्ली के पूर्व विधायक नंद किशोर गर्ग की ओर से अधिवक्ता शशांक देव सुधि के जरिये दाखिल याचिका में कहा गया है कि प्रदर्शनकारियों की जिद की वजह से प्रशासनिक मशीनरी को बंधक बनाया जा रहा है जिन्होंने दिल्ली और नोएडा को जोड़ने वाली सड़क पर वाहनों और पैदल लोगों की आवाजाही बंद कर दी है।

याचिका के मुताबिक, 'यह बेहद निराशाजनक है कि प्रदर्शनकारियों की गुंडागर्दी और उपद्रव के प्रति सरकारी मशीनरी चुप है और मूकदर्शक बनी हुई है जो लोकतंत्र के अस्तित्व व कानून के शासन को खतरा पैदा कर रहे हैं और कानून-व्यवस्था की स्थिति को पहले ही अपने हाथ में ले चुके हैं।' याचिका में कहा गया है कि शाहीन बाग का विरोध प्रदर्शन निश्चित तौर पर संवैधानिक मानकों के दायरे में है, लेकिन इस पूरे विरोध प्रदर्शन ने उस वक्त अपनी कानून वैधता खो दी जब परोक्ष उद्देश्य के लिए संविधान प्रदत्त संरक्षण का गंभीर रूप से उल्लंघन किया गया।

इधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कड़कड़डूमा के सीबीडी ग्राउंड में आयोजित एक चुनावी जनसभा में शाहीन बाग के मसले पर कहा कि यह संयोग नहीं प्रयोग है। देश के टुकड़े-टुकड़े करने वाले गैंग को बचाया जा रहा है। मालूम हो कि शाहीन बाग में करीब डेढ़ महीने से जारी विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों की सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए पुलिस ने वहां मेटल डिटेकटर लगाया है। इसके साथ ही वहां सुरक्षा बढ़ा दी गई है। शाहीन बाग में सुरक्षा के मद्देनजर सोमवार शाम को रैपिड एक्शन फोर्स को तैनात किया गया है।  

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