नेहरू जयंती के उपलक्ष्य में विचार गोष्ठी का आयोजन

Update: 2019-11-14 14:13 GMT

आज दिनाँक 14 नवंबर को हिरापुरी कॉलोनी स्थित डॉ हरिश्चंद्र पाण्डे जी (समन्वयक, राजीव गांधी स्टडी सर्कल विश्विद्यालय इकाई ) के आवास पर नेहरू जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए डॉ हरिश्चन्द्र पाण्डे ,सहायक आचार्य, विधि विभाग , दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ,गोरखपुर ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में भागीदारी के चलते नेहरु जी को नौ बार जेल भेजा गया और उन्होंने अपने जीवन के 3259 दिन (लगभग 9 साल) जेल में बिताए। भारत के पहले प्रधानमंत्री होने के नाते उन्होंने समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र सरीखे मूल्यों के आधार पर स्वतंत्र आधुनिक भारत को ढालने का काम किया। इन मूल्यों को लेकर अपने असम्मत रवैये के चलते उन्हें

कई बार न सिर्फ अपने साथी राजनीतिज्ञों बल्कि करीबी लोगों की आलोचना भी झेलनी पड़ी।

अटल जी ने लोकसभा में नेहरू जी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा था ,कि नेहरू जी स्वाधीनता के समर्थक थे किन्तु आर्थिक समानता लाने के लिए प्रतिबद्ध थे। उन्होंने समझौता करने में किसी से भय नहीं खाया, किन्तु किसी से भयभीत होकर समझौता नहीं किया। पाकिस्तान और चीन के प्रति उनकी नीति इसी अद्भुत सम्मिश्रण की प्रतीक थी। उसमें उदारता भी थी, दृढ़ता भी थी। यह दुर्भाग्य है कि इस उदारता को दुर्बलता समझा गया, जबकि कुछ लोगों ने उनकी दृढ़ता को हठवादिता समझा।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ प्रमोद कुमार शुक्ला , समन्वयक , राजीव गांधी स्टडी सर्किल ,गोरखपुर ने कहा कि फेक न्यूज और प्रोपोगंडा मशीनरी के दौर में नेहरु सरीखे व्यक्तित्वों के बारे में फैलाये गए झूठ और असलियत में फर्क करना बेहद मुश्किल हो गया है। दुर्भाग्यपूर्ण है की आधुनिक भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण और सकारत्मक भूमिका अदा करने वाले नेहरु को देश की हर समस्या का जड़ बताया जा रहा है। शायद यह जनसामान्य तक तथ्यपरक इतिहास की सही जानकारी नहीं पहुंचने का नतीजा है कि ज्यादातर भारतवासी जवाहरलाल नेहरु के प्रति फैलाई जाने वाली भ्रांतियों को सच मानकर उन पर यकीन कर लेते हैं। हमे अपने राष्ट्र नायक , नव भारत के सृजक को उन्हीं के पुस्तकों की समीक्षा से विश्लेषित करना चाहिए।

जवाहरलाल नेहरु के जन्मदिवस पर जरूरी है कि इतिहास के पन्ने पलटकर भारतीय लोकतंत्र की नीव रखने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री के विचारों की पड़ताल की जाए। उन्हें और भारत के भविष्य को लेकर उनकी दृष्टि, उनके डर, उनकी आशाएं और आशंकाओं को करीब से जानने और समझने का प्रयास किया जाए।

इस विचार गोष्ठी में डॉ सत्यवान यादव, डॉ मुस्तफा , डॉ रघुवर , डॉ संजय कुमार, डॉ गंगेश पांडेय, श्री उमेश खन्ना,अजय कुमार मिश्र , अंशुमान पाठक, कलांजय त्रिपाठी, सुमित पांडेय उपस्थित रहे।

डॉ प्रमोद कुमार शुक्ला

समन्यवय , राजीव गांधी स्टडी सर्किल

गोरखपुर

Similar News