संतकबीरनगर शहर के मिश्रौलिया में चल रही संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन श्री धाम वृंदावन से पधारे अजयकृष्ण शास्त्री ने सृष्टि प्रक्रिया के वर्णन से कथा प्रारंभ करते हुए हिरण्याक्ष वध, कपिलोपाख्यान, दक्ष प्रजापति अभिमान, शिव चरित्र, ध्रुव चरित्र एवं पुरंजन उपाख्यान की कथा सुनाई।
शिवचरित्र का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा परिवार में सामंजस्य रखें। अगर सामंजस्य नहीं है तो ये मान लें कि कहीं न कहीं सत्संग की कमी है। सामंजस्य बनाना सीखना है तो महादेव के परिवार से सीखना चाहिए। भोले बाबा की सवारी नंदी बैल और माता पार्वती की सवारी सिंह है। बैल व सिंह दोनों एक दूसरे के घोर विरोधी होने के बावजूद भी महादेव की कृपा से साथ-साथ रहते हैं। भोले बाबा के गले में सर्प और उनके पुत्र कार्तिकेय का वाहन मोर है। दोनों एक दूसरे के शत्रु फिर भी एक ही घाट का पानी पीते हैं। इससे सीख लेना चाहिए कि विरोधाभास छोड़कर सामान्य रहें। जिससे आपका परिवार सर्वोच्च बनेगा। बाबा अमरनाथ की महिमा, महाभारत की कथा का हवाला देते हुए महाराज जी ने कहा कि हर धर्म का अपना एक अलग ग्रंथ है। जिसमें जीवन से जुड़ी सभी समस्याओं का हल छिपा है।
यही ग्रंथ हमें एक बेहतर मनुष्य की तरह जीना सिखाते हैं। इन्हीं धर्म ग्रंथों में से एक है भागवत पुराण जिसमें हिंदुओं की गहरी आस्था है। महाभारत के अनुसार कुरुक्षेत्र युद्ध में भगवान कृष्ण ने गीता का संदेश अर्जुन को सुनाया था। गीता सिर्फ भारत ही नहीं दुनियाभर को नई दिशा देने वाला ग्रंथ माना जाता है।
इस दौरान राजेन्द प्रसाद त्रिपाठी , लीलावती त्रिपाठी, हीरालाल त्रिपाठी , रूद्रनाथ मिश्र, रामकृष्ण त्रिपाठी , नवनीत, अभिषेक , सुनील, संस्कार , रामदेव आदि लोग मौजूद रहे.