अच्छे काम का खामियाजा भुगतना पड़ा, जिलाधिकारी राजशेखर को

Update: 2016-08-27 08:52 GMT

लखनऊ : लंबे समय बाद राजधानी को स्वच्छ, पारदर्शी और बेहतर प्रशासन देने वाले जिलाधिकारी राजशेखर को भी आखिरकार अच्छे काम का खामियाजा भुगतना पड़ा। सरकारी जमीनों पर काबिज अवैध कब्जेदारों को उखाड़ फेंकना और शहर में अवैध बिल्डरों व खनन माफिया पर शिकंजा कसना राजशेखर को भारी पड़ गया।

राजधानी में तैनाती के साथ ही राजशेखर ने अपनी विशिष्ट कार्यशैली से एक ऐसे अफसर की छाप छोड़ी जिसने एयरकंडीशन से निकलकर आम आदमी के सरोकार से खुद को जोड़ा। यही वजह रही कि भारत निर्वाचन आयोग ने राजशेखर को सर्वश्रेष्ठ डीएम के लिए नामांकित किया। मुख्यमंत्री की राजशेखर से करीबी और कार्यशैली सत्ता में काबिज कई कद्दावरों को अखरने लगी। सरोजनीनगर में अरबों रुपये की सरकारी जमीन से अवैध कब्जा हटाना डीएम की सबसे बड़ी भूल साबित हुआ। भूमाफिया के खिलाफ कार्रवाई से कद्दावार मंत्री इतना नाराज हुए कि जिले के प्रशासनिकअफसरों को फोन पर धमकी देते हुए असंसदीय शब्दों तक का इस्तेमाल कर देख लेने की धमकी तक दे डाली।

अवैध खनन करने वालों के खिलाफ प्रशासन का शिकंजा भी कइयों को रास नहीं आ रहा था। 

प्रशासन ने जिस तरह अवैध खनन पर एलडीए से 13 करोड़ की रायल्टी जमा करायी उसे कई बड़े अधिकारियों ने नाक का सवाल बनाते हुए शीर्ष स्तर पर राजशेखर के खिलाफ लाबिंग की। गंजिंग कार्निवाल को दुनिया में पहचान दिलाने वाले राजशेखर ने हेरिटेज जोन सहित शहर की तमाम पर्यटन स्थलों को बेहतर करने की बीड़ा उठाया।



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