राष्ट्रीय सुरक्षा एक मानसिक स्थिति है जिसे निरंतर निरीक्षण की आवश्यकता है:ले जनरल डॉ मोहन भंडारी

Update: 2018-02-13 13:10 GMT
फैज़ाबाद। अवध विश्वविद्यालय के संत कबीर सभागार में आज 'थ्रेटस टू इंडिया: इंटरनल टू ग्लोबल' विषय पर राष्ट्रीय सेमीनार का आयोजन किया गया।यह दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन रक्षा एवं सामरिक अध्ययन विभाग का सु साकेत अयोध्या,डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय एवं डॉ दीन दयाल उपाध्याय अंतरराष्ट्रीय संस्थान,लखनऊ द्वारा किया गया।कार्यक्रम में आये बिशिष्ट अतिथि श्री सुशील पंडित ने कहा कि पहले हमें पता नही था कि शत्रु कौन है इसलिए हम परतंत्र हुए थे और आज भी हम इस बात का अंदाज़ा नही लगा पा रहे कि आज हमारा दुश्मन कौन है जो हमे आंतरिक रूप से और बाहरी रूप से कमजोर कर रहा है ।मैं कश्मीर में हिन्दू पंडितों के निर्वासन से हुई मानसिक उत्पीड़न का दर्द साझा करता हूँ जब 1990 में सातवीं बार हमें निर्वासन की पीड़ा को झेलना पड़ा था वो भी तब जब हम सबसे शक्तिशाली थे।आज देश को आंतरिक सुरक्षा की सबसे बड़ी चुनौती आज हमे कश्मीर से मिल रही है।और इस बात की गम्भीरता को हमे समझना होगा।लेफ्टिनेंट जनरल डॉ मोहन भंडारी ने कहा कि हमारे सैनिकों को तो मजबूत होना ही होगा पर आन्तरिक व्यव्यस्थायों से भी मज़बूती से लड़ना होगा।राजनैतिक लाभ के लिए हमे अपनी सुरक्षा सीमाओं से समझौता नही करना चाहिए।उन्होंने कहा कि भारत तिब्बत सीमा पर पिछले 20 सालों से एक भी गोली नही चली,चीन से ज्यादा संवेदनशील बॉर्डर हमारे लिए एल ओ सी है।बैकिंग सिस्टम और साइबर हमले से भी बचने के पुरजोर इंतजाम करना होगा। राष्ट्रीय सुरक्षा एक मानसिक स्थिति है जिसकी निरंतर मोनिटरिंग की आवश्यकता है।मुख्य अतिथि जे नंद कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि हमे आंतरिक खतरों से निपट कर ही हम अपने को मजबूत कर पायेंगे, और आंतरिक हम जितने मजबूत होंगे उतने ही बाहरी खतरों से निपटने में सक्षम होंगे।उन्होंने केरल के राजनैतिक स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि कश्मीर जैसे हालात वाली मानसिकता वहां भी पनप रही है जो दुख का विषय है।हम भारतीयता के अस्तित्व के अभाव से गुज़र रहे है।कश्मीर में आज के युवा को भटकाया जा रहा है।आंतरिक माहौल को बिगाड़ने के लिये कुछ तथाकथित लोग आतंकवाद को फंडिंग कर रहे है।उन्होंने अपना मत रखने के लिए सात आई का भी उल्लेख किया जिसमे इग्नोरेंस,इंकॉन्सियस, इर्रेलेवेन्ट,इलविल,इनैक्शन, इनकंबुटैनस और आइडेंटिटी क्राइसिस शामिल है।उन्होंने कहा कि राष्ट्रीयता को समझते हुए हमें इनसभी बिंदुओं पर कार्य करना होगा और कम से कम सैनिकों को धन्यवाद कहने में तो कोई गुरेज न करते हुए उनका सम्मान करना होगा।इस दौरान डॉ अजय मोहन श्रीवास्तव द्वारा लिखी पुस्तक 'अवध का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का सैनिक मूल्यांकन' का भी विमोचन किया गया।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जे नंद कुमार रहे।विशिष्ठ अतिथियों में आयोजन सचिव डॉ अजय मोहन,सुशील पांडेय,ले जनरल डॉ मोहन भंडारी,का सु साकेत प्राचार्य प्रो प्रदीप खरे और अवैतनिक सचिव श्री दीप कृष्णा वर्मा रहे।कार्यक्रम का सफल संचालन श्री अनुराग मिश्रा ने किया।इस मौके पर विश्वविद्यालय के सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, शिक्षक गण एवं बड़ी संख्या में छात्र छात्राये उपस्थित रहे।

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