लखनऊ - फर्रखाबाद के डॉ. राममनोहर लोहिया अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के कारण एक महीने में 49 बच्चों की मौत के मामले में योगी आदित्यनाथ सरकार बेहद गंभीर है। मामला संज्ञान में आने के बाद सरकार ने फर्रुखाबाद के जिलाधिकारी के साथ ही सीएमओ व सीएमएस का तबादला कर दिया है।
फर्रुखाबाद में ऑक्सीजन की कमी से 49 बच्चों की मौत के मामले में आज सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है। फर्रुखाबाद के डॉ. राममनोहर लोहिया अस्पताल में एक महीने से लगातार बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है। जिलाधिकारी की रिपोर्ट में इन बच्चों की मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई है। डीएम की रिपोर्ट आने के बाद से खलबली मच गई। डीएम की रिपोर्ट आने के बाद सीएमओ, सीएमएस तथा डाक्टर्स के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।
इसके बाद सरकार ने एक ओर बड़ी कार्रवाई की है। सरकार ने फर्रुखाबाद के सीएमओ तथा सीएमएस (महिला) को हटा दिया गया है। साथ ही वहां के जिलाधिकारी को लापरवाही बरतने के कारण हटाया गया है। सरकारी प्रवक्ता ने कहा है कि शासन स्तर पर इस मामले की छानबीन कराई जाएगी। इसके अलावा जिम्मेदार कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया गया है.
लोहिया अस्पताल के एसएनसीयू में 49 बच्चों की मौत के पीछे ऑक्सीजन की कमी को बड़ी वजह बताया गया है। इस पूरे मामले में शहर कोतवाली में सीएमओ, सीएमएस तथा कई डॉक्टर के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है। फर्रुखाबाद एसपी दयानंद मिश्र के अनुसार, रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है। इसके बाद आगे की कार्रवाई की जा रही है बच्चों की मौत के पीछे इनकी लापरवाही की बात जिलाधिकारी की रिपोर्ट में है।
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने आज बताया कि 20 जुलाई से 21 अगस्त, 2017 के बीच जिला महिला चिकित्सालय फर्रूखाबाद में प्रसव हेतु 461 महिलाएं एडमिट की गईं, जिनके द्वारा 468 बच्चों को जन्म दिया गया। इनमें 19 बच्चे स्टिलबार्न (पैदा होते ही मृत्यु हो जाना) थे। अवशेष 449 बच्चों में से जन्म के समय 66 क्रिटिकल बच्चों को न्यू बार्न केयर यूनिट में भर्ती कराया गया, जिनमें से 60 बच्चों की रिकवरी हुई, शेष 06 बच्चों को बचाया नहीं जा सका। 145 बच्चे विभिन्न चिकित्सकों एवं अस्पतालों से जिला महिला अस्पताल, फर्रूखाबाद के लिए रेफर किए गए, जिनमें से 121 बच्चे इलाज से स्वस्थ हो गए। इस प्रकार 20 जुलाई से 21 अगस्त, 2017 के बीच 49 नवजात शिशुओं की मृत्यु हुई, जिसमें 19 स्टिलबार्न बच्चे भी हैं।
मीडिया में खबर आने के बाद जिलाधिकारी ने मुख्य चिकित्साधिकारी की अध्यक्षता में समिति बनाकर जांच करायी। समिति के निष्कर्षों से संतुष्ट न होने के बाद जिलाधिकारी द्वारा अपर जिलाधिकारी से मजिस्ट्रेटी जांच करायी गयी। उक्त के आधार पर जिलाधिकारी द्वारा प्राथिमिकी दर्ज करायी गयी है। डायरेक्टर जनरल मेडिकल हेल्थ ने बताया कि पैरीनेटल एस्फिक्सिया के कई कारण हो सकते हैं। मुख्यतः प्लेसेंटल ब्लड फ्लो की रुकावट भी हो सकती है। सही कारण तकनीकी जांच के माध्यम से ही स्पष्ट हो सकता है। प्रवक्ता ने कहा कि शासन स्तर से टीम भेजकर जांच कराने के निर्देश दिए गए हैं ताकि बच्चों की मृत्यु के वास्तविक कारणों का पता लगाया जा सके।
गौरतलब है कि गोरखपुर के बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में भी इसी प्रकार का मामला सामने आया था। उस वक्त सरकार ने ऑक्सीजऩ की कमी के कारण मौत की बात को खारिज कर दिया था। इस मामले के बाद में वहां के प्राचार्य समेत नौ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।