नेहा कक्कड़ के नए गाने पर उठा सवालों का तूफान, मालिनी अवस्थी और वरिष्ठ पत्रकार नवलकांत सिन्हा ने जताई आपत्ति
रिपोर्ट : विजय तिवारी
मुंबई / नई दिल्ली।
बॉलीवुड की चर्चित गायिका नेहा कक्कड़ का हाल ही में रिलीज़ हुआ नया गाना ‘लॉलीपॉप’ सोशल मीडिया और यूट्यूब पर तेजी से व्यूज़ बटोर रहा है, लेकिन इसी के साथ यह गाना अपनी प्रस्तुति और डांस स्टाइल को लेकर तीखे विवाद में भी घिर गया है। गाने में दिखाए गए कुछ दृश्य, हाव-भाव और स्टेप्स को समाज के एक वर्ग ने असहज और आपत्तिजनक बताया है, जिसके बाद यह मुद्दा सार्वजनिक बहस का विषय बन गया है।
इस विवाद पर सबसे मुखर प्रतिक्रिया प्रसिद्ध लोकगायिका मालिनी अवस्थी की ओर से सामने आई है। उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से सीधे तौर पर Sony TV और Indian Idol के निर्माताओं से सवाल किया कि आखिर किन मूल्यों और सामाजिक मानकों के आधार पर नेहा कक्कड़ को वर्षों तक देश के सबसे लोकप्रिय और पारिवारिक सिंगिंग रियलिटी शो में जज की जिम्मेदारी सौंपी गई।
मालिनी अवस्थी की आपत्ति
मालिनी अवस्थी ने कहा कि Indian Idol जैसे मंच पर देशभर से बच्चे और किशोर अपनी प्रतिभा लेकर आते हैं। ऐसे में वहां मौजूद जज केवल तकनीकी मार्गदर्शक नहीं होते, बल्कि वे बच्चों के लिए प्रेरणा और आदर्श भी बनते हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या इस तरह की प्रस्तुतियां बच्चों के सामने एक सकारात्मक उदाहरण के रूप में रखी जा सकती हैं।
उनका मानना है कि रियलिटी शोज़ केवल मनोरंजन का साधन नहीं होते, बल्कि वे समाज की सोच, संस्कृति और आने वाली पीढ़ी के मूल्यों को भी प्रभावित करते हैं। मालिनी अवस्थी के अनुसार, गाने में किए गए कुछ डांस स्टेप्स और हाव-भाव सामाजिक जिम्मेदारी के अनुरूप नहीं हैं और यह प्रस्तुति कई लोगों को असहज करने वाली लगी है।
वरिष्ठ पत्रकार नवलकांत सिन्हा की गंभीर टिप्पणी
इसी विवाद पर वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक नवलकांत सिन्हा ने भी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने X (पूर्व में ट्विटर) पर साझा किए गए अपने पोस्ट में नेहा कक्कड़ के नए गाने ‘लॉलीपॉप’ की प्रस्तुति और डांस स्टेप्स पर आपत्ति जताते हुए इसे असहज करार दिया। उन्होंने आशंका जताई कि इस तरह की अभिव्यक्ति का सीधा असर बच्चों और युवाओं की सोच पर पड़ सकता है।
इसी मुद्दे पर "जनता की आवाज़" (डिजिटल प्लेटफॉर्म) से बातचीत में नवलकांत सिन्हा ने कहा कि आज के दौर में लोकप्रिय कलाकारों की हर प्रस्तुति केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं रहती, बल्कि वह समाज को एक दिशा भी देती है। उन्होंने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि छोटे बच्चे और किशोर अक्सर सोशल मीडिया रील्स और म्यूज़िक वीडियो देखकर उन्हीं स्टेप्स, हाव-भाव और भाषा की नकल करने लगते हैं, बिना यह समझे कि इसका उनके मानसिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
उनका कहना है कि जब प्रसिद्ध चेहरे इस तरह की प्रस्तुतियां देते हैं, तो बच्चों के मन में यह धारणा बनने लगती है कि लोकप्रिय होने के लिए मर्यादा की सीमाएं तोड़ना आवश्यक है। नवलकांत सिन्हा के अनुसार, यह प्रवृत्ति समाज में संवेदनशीलता और सांस्कृतिक संतुलन को धीरे-धीरे कमजोर करती है, जो दीर्घकाल में गंभीर चिंता का विषय बन सकती है।
हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी आपत्ति किसी कलाकार की व्यक्तिगत या रचनात्मक स्वतंत्रता के विरुद्ध नहीं है, बल्कि उस प्रवृत्ति को लेकर है जिसमें लोकप्रियता के नाम पर सार्वजनिक जिम्मेदारी और सामाजिक मर्यादा को नजरअंदाज किया जा रहा है। उनका मानना है कि जब कलाकार टीवी रियलिटी शोज़ और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिए बच्चों और युवाओं के लिए आदर्श बन जाते हैं, तब उनकी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है।
सोशल मीडिया पर बंटी राय
नेहा कक्कड़ के गाने ‘लॉलीपॉप’ को लेकर सोशल मीडिया पर भी तीखी बहस देखने को मिल रही है। कुछ यूजर्स ने इसे शॉक वैल्यू और अनावश्यक बोल्डनेस करार दिया है, जबकि कुछ लोगों का कहना है कि यह लोकप्रियता बनाए रखने की होड़ का नतीजा है। वहीं, एक वर्ग ऐसा भी है जो इसे कलाकार की व्यक्तिगत अभिव्यक्ति और आधुनिक मनोरंजन का हिस्सा मान रहा है।
अब तक नहीं आई प्रतिक्रिया
विवाद गहराने के बावजूद नेहा कक्कड़ या उनकी टीम की ओर से अब तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। दूसरी ओर, गाने के व्यूज़ लगातार बढ़ रहे हैं, जिससे यह साफ है कि इस समय लोकप्रियता और विवाद साथ-साथ चल रहे हैं।
केंद्र में खड़ा सवाल
यह पूरा प्रकरण एक बार फिर यह सवाल खड़ा करता है कि बड़े मंचों पर दिखाई देने वाले कलाकारों और टीवी रियलिटी शोज़ के जजों की भूमिका क्या केवल मनोरंजन तक सीमित होनी चाहिए, या फिर उन्हें समाज, संस्कृति और बच्चों पर पड़ने वाले प्रभाव को भी उतनी ही गंभीरता से समझना चाहिए।