सूबे के चुनावी समर की तैयारी में जुटी भाजपा जीत की खातिर कोई कोर-कसर नहीं उठा रखना चाहती है। पार्टी के रणनीतिकारों ने इसी सिलसिले में अलग-अलग जातियों के बीच पूजे जाने वाले महापुरुषों का भी सहारा लेने का फैसला किया है।
हालांकि इस रणनीति पर भाजपा सीधे काम नहीं करेगी बल्कि उस समाज से जुड़े किसी संगठन को यह जिम्मेदारी दी जाएगी। पर, किसी प्रमुख नेता या केंद्रीय मंत्री को इन कार्यक्रमों में भेजकर भाजपा उस समाज के महापुरुष के प्रति आदरभाव दिखाएगी और प्रदेश में सरकार बनने पर महत्व देने का संदेश देकर उन्हें साधने की कोशिश करेगी।
माना जाता है कि भगवा रणनीतिकारों की इस योजना के पीछे सूबे के सामाजिक समीकरण हैं। भाजपा महापुरुषों के जरिये इन समीकरणों को साधकर सत्ता की राह आसान बनाना चाहती है। राजनीतिक समीक्षकों के अनुसार, रणनीतिकारों ने काफी सोच-समझकर इन कार्यक्रमों को सीधे अपने हाथ में न लेकर अलग-अलग संगठनों के सहारे एजेंडे को धार देने की रणनीति बनाई है।
दरअसल, रणनीतिकार जानते हैं कि इस तरह के कार्यक्रम अगर पार्टी की तरफ से आयोजित किए गए तो उनका वैसा संदेश नहीं जाएगा जो उस समाज से जुड़े संगठन की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में शामिल होकर बात कहने से जाएगा।
इस एजेंडे पर इस तरह काम कर रही है भाजपा
भाजपा इस एजेंडे पर फरवरी से ही काम शुरू कर चुकी है। इसमें संत रविदास जयंती पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का वाराणसी के संत रविदास मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना करना और प्रसाद ग्रहण करना शामिल है।
अमित शाह भी फरवरी में पासी और राजभर समाज के बीच काफी महत्वपूर्ण और सम्मान पाने वाले महाराजा सुहेलदेव की प्रतिमा का बहराइच में अनावरण और उनकी स्मृति में आयोजित सभा में जा चुके हैं।
डॉ. भीमराव अंबेडकर को लेकर भाजपा सत्ता में आने के साथ ही सक्रिय है। पर, अब अन्य महापुरुषों के नाम और काम के सहारे भी भाजपा इस अभियान को आगे बढ़ाएगी।
अमित शाह भी फरवरी में पासी और राजभर समाज के बीच काफी महत्वपूर्ण और सम्मान पाने वाले महाराजा सुहेलदेव की प्रतिमा का बहराइच में अनावरण और उनकी स्मृति में आयोजित सभा में जा चुके हैं।
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