इलाहाबाद हाईकोर्ट का कड़ा रुख, 'पाकिस्तान जिंदाबाद' पोस्ट शेयर करने वाले की जमानत याचिका खारिज; सुनाया बड़ा फैसला

Update: 2025-07-01 05:25 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 'पाकिस्तान जिंदाबाद' जैसे नारे वाले फेसबुक पोस्ट शेयर करने के आरोप में गिरफ्तार अंसार अहमद सिद्दीकी की जमानत याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी देश विरोधी गतिविधियों को लेकर अदालतों की सहनशीलता ही इन मामलों की बढ़ती संख्या का कारण बन रही है। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने कहा कि यह मामला जमानत देने योग्य नहीं है।

कोर्ट का कड़ा रुख

न्यायाधीश ने कहा कि “ऐसे अपराध अब आम होते जा रहे हैं क्योंकि अदालतें ऐसे लोगों के प्रति उदार और सहिष्णु हैं जिनकी सोच देश विरोधी है। यह ऐसा मामला नहीं है जिसमें आरोपी को इस समय जमानत दी जा सके।”

कोर्ट ने कहा कि आरोपी का कृत्य संविधान और उसकी मूल भावना के प्रति अपमानजनक है। यह भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता के खिलाफ है। आरोपी की उम्र 62 वर्ष है और वह स्वतंत्र भारत में जन्मा है, ऐसे में उससे जिम्मेदार व्यवहार की अपेक्षा की जाती है।

न्यायालय ने यह भी कहा कि ऐसे व्यक्ति को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिलने वाले व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का संरक्षण नहीं दिया जा सकता।

आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज

FIR के अनुसार, आरोपी अंसार सिद्दीकी ने 3 मई को फेसबुक पर एक वीडियो साझा किया था जिसमें 'पाकिस्तान जिंदाबाद' का नारा था और मुसलमानों से अपने 'पाकिस्तानी भाइयों' का समर्थन करने की अपील की गई थी। यह पोस्ट देश की अखंडता और संप्रभुता को ठेस पहुंचाने वाला बताया गया।

यह मामला उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के छतारी थाना क्षेत्र में दर्ज किया गया है। आरोपी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 152 (संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालना) और धारा 197 (राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुँचाने वाले कृत्य) के तहत केस दर्ज किया गया है।

कोर्ट का फैसला

सुनवाई के दौरान, आरोपी के वकील ने कहा कि अंसार सिद्दीकी सिर्फ एक वीडियो शेयर किया था उसने खुद कुछ नहीं लिखा था। वह बुजुर्ग हैं और इलाज के दौर से गुजर रहे हैं।

वहीं, सरकारी वकील ने इसका विरोध करते हुए कहा कि आरोपी का कृत्य देश विरोधी है और वह जमानत के योग्य नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि वीडियो 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद साझा किया गया, जिससे साबित होता है कि आरोपी उस हमले का समर्थन कर रहा था।

26 जून को हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए याचिका खारिज कर दी और संविधान के अनुच्छेद 51A(a) और 51A(c) का हवाला देते हुए कहा कि हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह संविधान, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करे और देश की एकता व अखंडता की रक्षा करे।

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