लखनऊ : पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष विजय बहादुर यादव और उनकी पत्नी व जिला पंचायत अध्यक्ष माया यादव ने सत्ता की हनक और रसूख के बूते चंद साल में ही अपना साम्राज्य बढ़ा लिया। बड़े नेताओं के वरदहस्त के चलते विजय ने पार्टी में भी अपने पैतरों से कई को पटकनी देते हुए पत्नी को जिला पंचायत अध्यक्ष का टिकट दिलाकर जीत दिला दी।
चिनहट में दो दिन पूर्व जमीन कब्जे के मामले में विजय बहादुर की गिरफ्तारी और पार्टी से बाहर किए जाने से एक बार फिर विजय के साम्राज्य पर विरोधियों की नजर है। दरअसल विजय ने कुछ ही साल में राजधानी में ही सैकड़ों बीघे जमीन बना ली। जिला पंचायत सदस्य के चुनाव के दौरान विजय ने जो पर्चा दाखिल किया उसमें दाखिल शपथ पत्र में ही करीब नौ करोड़ रुपये की संपति का जिक्र किया था। सूत्रों का कहना है कि यह तो वह संपति जो खुद विजय बहादुर और उनकी पत्नी माया के नाम पर है। इसके अलावा भी संपत्तियों का जाल राजधानी के कई इलाकों में फैला है। सत्ता के बूते विजय बहादुर ने अपना साम्राज्य तो बढ़ाया ही पार्टी में भी कुछ नेताओं से बहुत करीबी बना ली। गत जिला पंचायत चुनाव में जब मुख्यमंत्री के बेहद करीब नेता के कहने पर पार्टी ने रीता सिंह को लखनऊ से अपना प्रत्याशी घोषित किया तो विजय बहादुर ने इसी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया।
विजय बहादुर के बेहद करीबी माने जाने वाले राजधानी के एक कद्दावर पदाधिकारी ने लॉबिंग कर न केवल रीता का टिकट कटवाकर माया यादव को टिकट दिलाया बल्कि रीता को टिकट दिलाने वाले को बाहर का रास्ता तक दिखला दिया। यही नहीं विजय ने पत्नी माया को चिनहट के वार्ड नंबर एक से खड़ा किया तो उनके सामने सपा के एक पूर्व और वर्तमान विधायकों की चुनौती थी। इसके बावजूद माया ने बाजी मारी। सूत्रों का कहना है कि विजय बहादुर ने टिकट के बदले नेता को बड़ा गिफ्ट दिया। चिनहट से लेकर गोमतीनगर तक पूरे इलाके में विजय की कई संपत्तियां और प्लाट हैं। विजय के पार्टी से बाहर हुए अभी दो दिन ही हुए हैं, लेकिन अभी से उनके राजनीतिक आकाओं ने पार्टी में फिर से इंट्री का भरोसा दिलाने में जुटे हैं।
राह पर कई सफेदपोश : विजय बहादुर यादव ही नहीं राजधानी में कई सफेदपोश जो सत्ता के मद में सरकारी जमीनों पर तक कब्जा कर रहे हैं। खुद प्रशासन के आंकड़ों के मुताबिक करीब 1400 हेक्टेयर जमीन पर अभी भी अवैध कब्जा है। बीते दिनों सरोजनीनगर के पूर्व एसडीएम ज्वाइंट मजिस्टेट प्रेम रंजन सिंह ने एक कद्दावर विधायक के कब्जे से करीब 20 बीघे सरकारी जमीन मुक्त कराई। विधायक ने एसडीएम तक को घुड़की दी, लेकिन बात ऊपर तक जाने के डर से वह पीछे हट गए। काकोरी और सरोजनीनगर इलाके में ही एक पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ने सैकड़ों बीघे जमीन पर कब्जा कर रखा है।
चिनहट में दो दिन पूर्व जमीन कब्जे के मामले में विजय बहादुर की गिरफ्तारी और पार्टी से बाहर किए जाने से एक बार फिर विजय के साम्राज्य पर विरोधियों की नजर है। दरअसल विजय ने कुछ ही साल में राजधानी में ही सैकड़ों बीघे जमीन बना ली। जिला पंचायत सदस्य के चुनाव के दौरान विजय ने जो पर्चा दाखिल किया उसमें दाखिल शपथ पत्र में ही करीब नौ करोड़ रुपये की संपति का जिक्र किया था। सूत्रों का कहना है कि यह तो वह संपति जो खुद विजय बहादुर और उनकी पत्नी माया के नाम पर है। इसके अलावा भी संपत्तियों का जाल राजधानी के कई इलाकों में फैला है। सत्ता के बूते विजय बहादुर ने अपना साम्राज्य तो बढ़ाया ही पार्टी में भी कुछ नेताओं से बहुत करीबी बना ली। गत जिला पंचायत चुनाव में जब मुख्यमंत्री के बेहद करीब नेता के कहने पर पार्टी ने रीता सिंह को लखनऊ से अपना प्रत्याशी घोषित किया तो विजय बहादुर ने इसी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया।
विजय बहादुर के बेहद करीबी माने जाने वाले राजधानी के एक कद्दावर पदाधिकारी ने लॉबिंग कर न केवल रीता का टिकट कटवाकर माया यादव को टिकट दिलाया बल्कि रीता को टिकट दिलाने वाले को बाहर का रास्ता तक दिखला दिया। यही नहीं विजय ने पत्नी माया को चिनहट के वार्ड नंबर एक से खड़ा किया तो उनके सामने सपा के एक पूर्व और वर्तमान विधायकों की चुनौती थी। इसके बावजूद माया ने बाजी मारी। सूत्रों का कहना है कि विजय बहादुर ने टिकट के बदले नेता को बड़ा गिफ्ट दिया। चिनहट से लेकर गोमतीनगर तक पूरे इलाके में विजय की कई संपत्तियां और प्लाट हैं। विजय के पार्टी से बाहर हुए अभी दो दिन ही हुए हैं, लेकिन अभी से उनके राजनीतिक आकाओं ने पार्टी में फिर से इंट्री का भरोसा दिलाने में जुटे हैं।
राह पर कई सफेदपोश : विजय बहादुर यादव ही नहीं राजधानी में कई सफेदपोश जो सत्ता के मद में सरकारी जमीनों पर तक कब्जा कर रहे हैं। खुद प्रशासन के आंकड़ों के मुताबिक करीब 1400 हेक्टेयर जमीन पर अभी भी अवैध कब्जा है। बीते दिनों सरोजनीनगर के पूर्व एसडीएम ज्वाइंट मजिस्टेट प्रेम रंजन सिंह ने एक कद्दावर विधायक के कब्जे से करीब 20 बीघे सरकारी जमीन मुक्त कराई। विधायक ने एसडीएम तक को घुड़की दी, लेकिन बात ऊपर तक जाने के डर से वह पीछे हट गए। काकोरी और सरोजनीनगर इलाके में ही एक पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ने सैकड़ों बीघे जमीन पर कब्जा कर रखा है।