माफिया मुख्तार अंसारी के कौमी एकता दल के सपा में विलय को रेड सिग्नल दिखाने के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के रुख से समाजवादी पार्टी और सरकार में उनका कद बढ़ गया है।
चुनावी साल में सीएम ने साफ-सुथरी छवि का संदेश देने के साथ ही यह भी साबित करने की कोशिश की है कि प्रदेश में साढ़े चार सीएम होने के विपक्ष के आरोपों में दम नहीं है। वे फैसले खुद लेते हैं। उनके फैसलों के आगे पार्टी व परिवार को झुकना पड़ा है।
कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर अक्सर समाजवादी पार्टी की आलोचना होती है। हाल के दिनों में मथुरा के बाद कैराना मुद्दे पर सपा सरकार की घेराबंदी हुई। संतों की कमेटी ने भी कैराना में गुंडागर्दी की बात स्वीकार की है।
ऐसे दौर में मुख्तार अंसारी के कौमी एकता दल का विलय करते ही सपा और अखिलेश सरकार विरोधियों के निशाने पर आ गए। 21 जून को जिस समय सपा मुख्यालय में कौमी एकता दल के विलय की घोषणा हो रही थी, सीएम जौनपुर में एक कार्यक्रम में थे।
उन्होंने वहीं इस पर आपत्ति जता दी थी लेकिन लखनऊ आते ही उनका विरोध तीखा हो गया। अगले दिन कारागार मंत्री को तलब करके मुख्तार अंसारी को लखनऊ जेल शिफ्ट करने की वजह पूछी। शिवपाल सिंह यादव से विलय पर नाराजगी जताई।
कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर अक्सर समाजवादी पार्टी की आलोचना होती है। हाल के दिनों में मथुरा के बाद कैराना मुद्दे पर सपा सरकार की घेराबंदी हुई। संतों की कमेटी ने भी कैराना में गुंडागर्दी की बात स्वीकार की है।
ऐसे दौर में मुख्तार अंसारी के कौमी एकता दल का विलय करते ही सपा और अखिलेश सरकार विरोधियों के निशाने पर आ गए। 21 जून को जिस समय सपा मुख्यालय में कौमी एकता दल के विलय की घोषणा हो रही थी, सीएम जौनपुर में एक कार्यक्रम में थे।
उन्होंने वहीं इस पर आपत्ति जता दी थी लेकिन लखनऊ आते ही उनका विरोध तीखा हो गया। अगले दिन कारागार मंत्री को तलब करके मुख्तार अंसारी को लखनऊ जेल शिफ्ट करने की वजह पूछी। शिवपाल सिंह यादव से विलय पर नाराजगी जताई।