‘बीजेपी शरणं’ स्वामी कोई और विकल्प नहीं

Update: 2016-06-27 03:05 GMT
बसपा के बागी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा का दामन तो थामेंगे, मगर इसके लिए थोड़ा इंतजार करना होगा। दरअसल भाजपा का दामन थामने से पहले स्वामी बसपा में हलचल मचाने के सारे विकल्प आजमा लेना चाहते हैं। भाजपा नेतृत्व भी इस रणनीति से सहमत है। वैसे भी स्वामी के लिए सपा के दरवाजे बंद हो जाने के बाद भाजपा इस मामले में निश्चिंत है।

नेतृत्व को पता है कि वर्तमान सियासी परिस्थितियों में अब स्वामी के पास भाजपा में शरण लेने के अलावा कोई और विकल्प भी नहीं है। उनके पास अपनी पार्टी खड़ी करने या नया फ्रंट खड़ा करने का विकल्प तो है, मगर उत्तर प्रदेश का सियासी इतिहास बताता है कि ऐसा प्रयास करने वालों ने बाद में दुर्गति ही झेली है। गौरतलब है कि सपा पर सियासी हमला बोलने के बाद दिल्ली आए स्वामी ने भाजपा के यूपी प्रभारी ओम माथुर से गुपचुप मुलाकात की थी।

भाजपा के अतिविशिष्ट सूत्र के मुताबिक मौर्य को पार्टी में शामिल करने पर सैद्घांतिक सहमति बन चुकी है।

भावी योजना बसपा में मौर्य के समर्थक अन्य नेताओं को भी साधने की है। मौर्य इसी रणनीति पर काम कर रहे हैं। वैसे भी एक जुलाई को मौर्य लखनऊ में शक्ति प्रदर्शन करने जा रहे हैं। इस शक्ति प्रदर्शन में ही तय हो जाएगा कि मौर्य के साथ बसपा के कितने और नेता हैं।

उक्त सूत्र के मुताबिक मौर्य को पार्टी ने उचित सम्मान देने का प्रस्ताव रखा है। उनका रुख भी सकारात्मक है। चूंकि स्वामी का सपा में प्रवेश का मामला खत्म हो चुका है। ऐसे में मौर्य के भाजपा में शामिल होने को ले कर अब कोई संदेह नहीं बचा है।

उक्त सूत्र के मुताबिक हालांकि मौर्य बीते तीन महीने से पार्टी के संपर्क में थे, मगर पहले उनकी रणनीति स्पष्ट नहीं थी।

एकबारगी वह सपा में जाने पर हामी भी भर चुकेथे। उनके मन में नई पार्टी खड़ी करने की भी बात थी। हालांकि बाद में कई दौर की बातचीत के बाद उनका मन बदल गया। उक्त सूत्र के मुताबिक पिछड़ा वर्ग का कद्दावर नेता होने केकारण भाजपा को विधानसभा चुनाव में जातिगत समीकरण बिठाने में आसानी होगी। पार्टी की रणनीति वैसे भी गैरयादव पिछड़ा और गैरजाटव दलित को साथ लाने की है।

इस रणनीति के तहत मौर्य गैरयादव पिछड़ा को पार्टी के पक्ष में गोलबंद करने में सहायक हो सकते हैं।

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