कैराना के बाद कांधला। इसी कड़ी में भाजपा पश्चिमी यूपी के कुछ और कस्बों से पलायन का मुद्दा उठा सकती है। पिछले कुछ वर्षों से वेस्ट यूपी में धार्मिक आधार पर हिंदू और मुसलमान दोनों ही समुदाय की आबादी की बसावट का खतरनाक रुझान पनप रहा है।
मुस्लिम और हिंदू बहुल इलाकों से एक संप्रदाय के लोगों का दूसरी जगह पलायन आम होता जा रहा है। बड़े शहरों में यही शिफ्टिंग एक मुहल्ले से दूसरे मुहल्ले में हो रही है। इसे सामाजिक सुरक्षा और रोजगार के अवसरों से जोड़कर देखा जा रहा है।
पश्चिमी यूपी में 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों से टूटा सामाजिक ताना-बाना अभी पुराने स्वरूप में लौटा भी नहीं है कि कैराना में धर्म विशेष के लोगों के पलायन को भाजपा ने बड़ा मुद्दा बना दिया है।
सवाल यह नहीं है कि कितने लोगों ने दहशत की वजह से या कितनों ने कारोबार की बेहतरी के लिए कैराना से अपना घर, व्यवसाय कहीं और शिफ्ट कर लिया।
असल बात यह है कि जिस रूप में यह मुद्दा उठाया गया है, वह बेहद गंभीर है। यह पश्चिमी यूपी को ध्रुवीकरण की प्रयोगशाला बनाने के लिए कच्चे माल की तरह काम कर सकता है।
पश्चिमी यूपी में 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों से टूटा सामाजिक ताना-बाना अभी पुराने स्वरूप में लौटा भी नहीं है कि कैराना में धर्म विशेष के लोगों के पलायन को भाजपा ने बड़ा मुद्दा बना दिया है।
सवाल यह नहीं है कि कितने लोगों ने दहशत की वजह से या कितनों ने कारोबार की बेहतरी के लिए कैराना से अपना घर, व्यवसाय कहीं और शिफ्ट कर लिया।
असल बात यह है कि जिस रूप में यह मुद्दा उठाया गया है, वह बेहद गंभीर है। यह पश्चिमी यूपी को ध्रुवीकरण की प्रयोगशाला बनाने के लिए कच्चे माल की तरह काम कर सकता है।