भाजपा के अखबार को क्यों फायदा पहुंचाने में लगे हैं अखिलेश के मुख्य सचिव, सपा नेता भड़के
नई दिल्लीः जिस अखबार को धार्मिक भावना भड़काने वाली खबर छापने पर पिछले साल तत्कालीन एसएसपी ने रजिस्ट्रेशन रद करने के लिए रिपोर्ट भेजी, उसी अखबार 'प्रतिदिन' पर सपा सरकार के मुख्य सचिव आलोक रंजन मेहरबान हैं। भाजपा समर्थित कहे जा रहे इस अखबार को चार करोड़ का सरकारी विज्ञापन देकर मालामाल करने की शिकायत मुख्यमंत्री से हुई है। खास बात है कि विज्ञापन देने में मुख्यमंत्री का आदेश भी दरकिनार हो गया।
अखबार पर क्या हैं आरोप
लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार हिसाम सिद्दीकी कहते हैं कि दिसंबर 2015 में पैगंबरे इस्लाम की तौहीन करने वाली खबर 'प्रतिदिन' अखबार में छपी थी। हिंदू महासभा के कमलेश तिवारी के बयान की शक्ल में खबर छपी थी। जिससे लखनऊ सहित पूरे प्रदेश के जिलों में मुसलमानों ने उग्र विरोध प्रदर्शन किया। माहौल खराब होते-होते बचा। जिस पर लखनऊ के तत्कालीन एसएसपी राजेश पांडेय ने अखबार पर माहौल खराब करने की बात कहते हुए पंजीकरण रद करने की संस्तुति की। मगर कमाल रहा कि दो दिन बाद इनाम के तौर पर मुख्य सचिव ने प्रतिदिन अखबार के मालिक की पत्रिका आखिर कब तक को नौ लाख का विज्ञापन जारी कर दिया। हिसाम सिद्दीकी के मुताबिक सपा नेता भी अब मानने लगे हैं कि मुख्य सचिव भाजपा के लिए काम कर रहे हैं।
शिकायत पर सीएम ने विज्ञापन बंद करने को कहा
जब पार्टी के लोगों ने ही भाजपा समर्थित अखबार को लाखों का विज्ञापन देने का मुद्दा उठाया तो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गंभीरता से लिया। उन्होंने 15 दिसंबर को अखबार का विज्ञापन बंद करने को कहा। मगर मजे की बात है कि मुख्य सचिव ने मुख्यमंत्री के आदेश को दरकिनार कर मनाही के अगले दिन ही एक पेज और कलर विज्ञापन दे दिया। शिकायत के मुताबिक तब से अब तक चार करोड़ रुपये का विज्ञापन अखबार व सहयोगी प्रकाशनों को मुख्य सचिव दिला चुके हैं।
मोदी सरकार का नजदीकी होने से मिला ेसेवा विस्तार
डीजीपी जगमोहन यादव ने जब रिटायरमेंट की उम्र सीमा बीत जाने के बाद तीन महीने के एक्सटेंशन की फाइल मुख्यमंत्री से केंद्र को भिजवाई तो नहीं मंजूर हुई। जबकि मुख्य सचिव आलोक रंजन ने 31 मार्च 2016 को अपने रिटायरमेंट की तारीख नजदीक होने पर मुख्यमंत्री से पैरवी कर अपने तीन महीने के सेवा विस्तार की फाइल भेजवाई तो मोदी सरकार ने हरी झंडी दे दी। वरिष्ठ पत्रकार हिसाम सिद्दीकी इसकी वजह आलोक रंजन की राजनाथ सिंह, और मोदी से नजदीकियां बताते हैं।
मुख्य सचिव के एक्सटेंशन में रोड़े के लिए क्या विरोध कर रहे
उधर प्रतिदिन अखबार को चार करोड़ रुपये तक का विज्ञापन दिलाने के मामले में सपा नेताओं के एक गुट का मुख्य सचिव के खिलाफ अंदर ही अंदर मोर्चा खोलने की कुछ दूसरी वजहें भी बताई जा रहीं। कहा जा रहा कि सरकार आलोक रंजन की कार्यप्रणाली से संतुष्ट है। लिहाजा उन्हें एक और सेवा विस्तार देने की तैयारी चल रही है। सरकार में बैठे कुछ लोग ऐसा नहीं चाहते हैं। जिससे अब मुख्य सचिव के खिलाफ पुराने-नए मामले खोज-खोज कर लाए जा रहे। उधर शासन में बैठे कुछ लोगों का कहना है कि विज्ञापन देने में किसी तरह की कोई मेहरबानी नहीं हुई। हर मान्यता प्राप्त अखबार को रोटेशन में जितना विज्ञापन मिलता है, उतना ही प्रतिदिन को मिला।
अखबार पर क्या हैं आरोप
लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार हिसाम सिद्दीकी कहते हैं कि दिसंबर 2015 में पैगंबरे इस्लाम की तौहीन करने वाली खबर 'प्रतिदिन' अखबार में छपी थी। हिंदू महासभा के कमलेश तिवारी के बयान की शक्ल में खबर छपी थी। जिससे लखनऊ सहित पूरे प्रदेश के जिलों में मुसलमानों ने उग्र विरोध प्रदर्शन किया। माहौल खराब होते-होते बचा। जिस पर लखनऊ के तत्कालीन एसएसपी राजेश पांडेय ने अखबार पर माहौल खराब करने की बात कहते हुए पंजीकरण रद करने की संस्तुति की। मगर कमाल रहा कि दो दिन बाद इनाम के तौर पर मुख्य सचिव ने प्रतिदिन अखबार के मालिक की पत्रिका आखिर कब तक को नौ लाख का विज्ञापन जारी कर दिया। हिसाम सिद्दीकी के मुताबिक सपा नेता भी अब मानने लगे हैं कि मुख्य सचिव भाजपा के लिए काम कर रहे हैं।
शिकायत पर सीएम ने विज्ञापन बंद करने को कहा
जब पार्टी के लोगों ने ही भाजपा समर्थित अखबार को लाखों का विज्ञापन देने का मुद्दा उठाया तो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गंभीरता से लिया। उन्होंने 15 दिसंबर को अखबार का विज्ञापन बंद करने को कहा। मगर मजे की बात है कि मुख्य सचिव ने मुख्यमंत्री के आदेश को दरकिनार कर मनाही के अगले दिन ही एक पेज और कलर विज्ञापन दे दिया। शिकायत के मुताबिक तब से अब तक चार करोड़ रुपये का विज्ञापन अखबार व सहयोगी प्रकाशनों को मुख्य सचिव दिला चुके हैं।
मोदी सरकार का नजदीकी होने से मिला ेसेवा विस्तार
डीजीपी जगमोहन यादव ने जब रिटायरमेंट की उम्र सीमा बीत जाने के बाद तीन महीने के एक्सटेंशन की फाइल मुख्यमंत्री से केंद्र को भिजवाई तो नहीं मंजूर हुई। जबकि मुख्य सचिव आलोक रंजन ने 31 मार्च 2016 को अपने रिटायरमेंट की तारीख नजदीक होने पर मुख्यमंत्री से पैरवी कर अपने तीन महीने के सेवा विस्तार की फाइल भेजवाई तो मोदी सरकार ने हरी झंडी दे दी। वरिष्ठ पत्रकार हिसाम सिद्दीकी इसकी वजह आलोक रंजन की राजनाथ सिंह, और मोदी से नजदीकियां बताते हैं।
मुख्य सचिव के एक्सटेंशन में रोड़े के लिए क्या विरोध कर रहे
उधर प्रतिदिन अखबार को चार करोड़ रुपये तक का विज्ञापन दिलाने के मामले में सपा नेताओं के एक गुट का मुख्य सचिव के खिलाफ अंदर ही अंदर मोर्चा खोलने की कुछ दूसरी वजहें भी बताई जा रहीं। कहा जा रहा कि सरकार आलोक रंजन की कार्यप्रणाली से संतुष्ट है। लिहाजा उन्हें एक और सेवा विस्तार देने की तैयारी चल रही है। सरकार में बैठे कुछ लोग ऐसा नहीं चाहते हैं। जिससे अब मुख्य सचिव के खिलाफ पुराने-नए मामले खोज-खोज कर लाए जा रहे। उधर शासन में बैठे कुछ लोगों का कहना है कि विज्ञापन देने में किसी तरह की कोई मेहरबानी नहीं हुई। हर मान्यता प्राप्त अखबार को रोटेशन में जितना विज्ञापन मिलता है, उतना ही प्रतिदिन को मिला।