ऑनलाइन पोलः यूपी में स्मृति नहीं हैं सीएम पद की पहली पंसद, जानिए कौन है नंबर वन
असम में फतह के बाद भाजपा ने उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 26 मई को सहारनपुर में रैली कर राज्य के पश्चिम छोर से इसका बिगुल बजाया तो भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने बनारस और इलाहाबाद में कार्यक्रम कर राज्य के पूर्वी कोने पर ताल ठोंकने की तैयारी कर ली है।
भाजपा की तैयारियों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि यूपी चुनावों को लेकर वह किस कदर संजीदा है, लेकिन पार्टी की सबसे बड़ी दिक्कत मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर है। जिसको लेकर भाजपा लगातार असमंजस में फंसी हुई है। जातिगत समीकरणों की चासनी में लिपटी यूपी की राजनीति में भाजपा को वो एक चेहरा तलाशना मुश्किल हो रहा है जिसके नाम पर वह सभी जातियों को तो साध सके ही उसे अन्य वर्गों का भी समर्थन मिल जाए।
इसीलिए कभी जातिविहीन कही जाने वाली केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के नाम पर चर्चा चलती है तो कभी युवाओं के हृदय सम्राट कहे जा रहे वरुण गांधी के नाम पर। राज्य की प्रभावशाली पिछड़ी जातियों में काफी लोकप्रिय रहे पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान राज्यपाल कल्याण सिंह का नाम भी काफी दिनों से राजनीतिक फिजा में तैर रहा है।
फायरब्रांड नेता और अपने बयानों से जब तब राजनीतिक तापमान बढ़ा देने वाले महंत आदित्यनाथ भी काफी लोगों की पसंद हैं उन्हें युवा कहकर प्रचारित किया जा रहा है तो हिंदुओं में उनकी मजबूत पकड़ के भी तर्क दिए जा रहे हैं, वो बात और है पार्टी की ओर से अभी तक उनके नाम पर कोई चर्चा नहीं की गई है।
इसीलिए कभी जातिविहीन कही जाने वाली केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के नाम पर चर्चा चलती है तो कभी युवाओं के हृदय सम्राट कहे जा रहे वरुण गांधी के नाम पर। राज्य की प्रभावशाली पिछड़ी जातियों में काफी लोकप्रिय रहे पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान राज्यपाल कल्याण सिंह का नाम भी काफी दिनों से राजनीतिक फिजा में तैर रहा है।
फायरब्रांड नेता और अपने बयानों से जब तब राजनीतिक तापमान बढ़ा देने वाले महंत आदित्यनाथ भी काफी लोगों की पसंद हैं उन्हें युवा कहकर प्रचारित किया जा रहा है तो हिंदुओं में उनकी मजबूत पकड़ के भी तर्क दिए जा रहे हैं, वो बात और है पार्टी की ओर से अभी तक उनके नाम पर कोई चर्चा नहीं की गई है।