लखनऊ। कई बार असफलता भी सफलता की सीढ़ी बनती है, इसलिए चिंता की कोई बात नहीं। नतीजे मनमाफिक न तो ऐसा कुछ भी नहीं करें जिससे आपके अभिभावकों को तकलीफ हो। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से लेकर पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम तक को शैक्षिक जीवन में असफलता का सामना करना पड़ा था, लेकिन उन्हें इसे चुनौती के रूप में लिया और इतिहास बन गए।यूपी बोर्ड हो अथवा सीबीएसई बोर्ड, नतीजा आने पर असफल बच्चों को उनके साथी तो साथी, अभिभावक भी ताना मारने से नहीं चूकते। इससे नकारात्मक सोच पैदा होती है, और बच्चे डिप्रेशन में गलत कदम उठा लेते हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर एक परीक्षा में असफल होने पर इतना हंगामा क्यों? शायद ही किसी के पास इसका तार्किक जवाब हो। खैर, दुनिया में कई ऐसे महापुरूष हुए हैं जो जिंदगी में कई परीक्षाओं में असफल हुए, लेकिन जिंदगी से हार नहीं मानी।
महात्मा गांधी हाईस्कूल की परीक्षा में इतिहास विषय में फेल हो गए थे किंतु उन्होंने इसे अपना अंतिम पड़ाव नहीं माना। मिसाइल मैन और देश के सबसे लोकप्रिय राष्ट्रपति रहे डा.एपीजे अब्दुल कलाम (अब दिवंगत) भी इंडियन एयरफोर्स में पायलट की परीक्षा में सफल नहीं हो सके थे।
अल्बर्ट आइंस्टीन को कौन नहीं जानता। वह पढ़ाई के दौर में कई बार फेल हो चुके हैं। सबसे पहले तीसरी कक्षा की परीक्षा में फेल हुए थे। नौ साल की उम्र तक ठीक से बोल भी नहीं पाते थे। १५ साल की उम्र में स्कूल छोडऩा पड़ा था। पॉलीटेक्निक इंस्टीट्यूट के एंट्रेंस एग्जाम में भी वह फेल हो चुके थे। बाद में थ्योरी ऑफ रिलेटिव जैसी कई बेहतरीन थ्योरी दी। उनके योगदान के लिए उन्हें फिजिक्स का नोबेल पुरस्कार दिया गया। महान गणितज्ञ भी श्रीनिवास रामानुजन इंटरमीडिएट की परीक्षा में गणित को छोड़ अन्य सभी विषयों में फेल हो गए थे। उन्होंने भी हार नहीं मानी और उनके तेज-तर्रार दिमाग को देखते हुए महान गणितज्ञ जीएच हॉर्डी ने उन्हें अपने साथ काम करने के लिए बुलाया। रामानुजन ने मैथमेटिक्स की कई थ्योरीज दीं। विकासवाद सहित कई सिद्धांत देने वाले चाल्र्स डार्विन मेडिसिन की स्टडी में फेल हो गए थे। यही नहीं उन्हें कॉलेज से निकाल भी दिया गया था। लेकिन उन्होंने इसे अपनी जिंदगी का आखिरी पल नहीं माना। संघर्ष किया और दुनिया भर में आज उनके सिद्धांत पढ़े जाते हैं। ई-बाजार की दुनिया में अलीबाबा डॉट कॉम को कौन नहीं जानता। चीन के जैक मा ने इसकी शुरूआत की थी। आज वह करीब २४ अरब डॉलर की संपत्ति के मालिक हैं। वह दो बार प्राइमरी और तीन बार मिडिल स्कूल में फेल हुए थे। दो बार कॉलेज एंट्रेंस एग्जाम में भी असफल रहे थे।
हाईस्कूल में फेल, बने आइएएस
हाल ही में संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सर्विसेज में सहसों के लाल बहादुर पुष्कर ताजे उदाहरण हैं। शारीरिक रूप से अक्षम लालबहादुर फूल बेचा करते थे। हाईस्कूल में फेल हो गए, लेकिन हार नहीं मानी। उन्होंने सिविल सर्विसेज परीक्षा में ७१वीं रैंक हासिल की। परीक्षा में अगर आपके रिजल्ट अच्छे नहीं आएं हैं तो इसमें अपनी हार न मानें। बल्कि यह सोचें की ईश्वर शायद आपको इससे भी अच्छा कोई मुकाम दिलाना चाहता है। मनोवैज्ञानिक डा.अजय प्रकाश तिवारी बताते हैं कि कोई भी व्यक्ति तभी सफल होता है, जब उसने जिंदगी में कुछ ठोकरें खाई होती हैं। ठोकरें ही इंसान को आगे की लड़ाई के लिए मजबूत करती हैं। बच्चों और उनके अभिभावकों के लिए उनकी टिप्स कुछ इस तरह है...
छात्रों के लिए
एक बार असफल हुए तो इसका मतलब यह नहीं कि आगे अच्छा नहीं कर सकते।
हौसला बरकरार रखें और आगे के लिए प्रयासरत रहें। मेहनत का फल जरूर मिलेगा।
खुद को अकेला नहीं रखें, अपनी बातों को दोस्तों-परिजनों से शेयर करें।
घबराएं नहीं। कुछ दिन खुद को मानसिक रूप से आराम दें, फिर तैयारी शुरू करें।
अभिभावक रखें ध्यान
बच्चों से उनकी क्षमता से अधिक अपेक्षा नहीं रखें। यह पूरा न तो डांट फटकार नहीं लगाएं।
अपने बच्चे की तुलना किसी और से नहीं करें।
डांटने और ताने देने की बजाय उन्हें समझाएं कि वह बेहतर कर सकते हैं।