साइकिल यात्रा में युवा राजनीति में भविष्य तलाशते नज़र आये : मणेन्द्र मिश्रा ‘मशाल’

Update: 2016-05-13 01:53 GMT
 

तपती दोपहरी में जब पारा औसत तापमान से काफी अधिक हो तो ऐसे में साइकिल चलाना अपने आप में एक बड़ी चुनौती का काम है.फिर भी यूपी की सत्ताधारी समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं का लगातार दस दिन तक साइकिल यात्रा के माध्यम से सरकार की उपलब्धियों को आम जन तक पहुँचाने का कार्य प्रतिबद्द राजनैतिक कैडर का ही उदाहरण है.मौजूदा राजनीति में राजनैतिक दलों में जिस तरह अवसरवादिता और पदलोलुपता की लालसा में नेताओं की संख्या बढ़ी है,उसमें दल के प्रति समर्पण और संघर्ष करने वालों का अभाव खुल कर सामने आ रहा है.सरकार बनने पर रातों रात दलीय निष्ठा में तेजी से बदलाव सहज दिखाई पड़ता है,साथ ही तात्कालिक लाभ को देखते हुए ही राजनैतिक दलों का चयन करना फैशन भी हो गया है.इस समस्या से लगभग सभी पार्टिया गुजर रही हैं.ऐसे में राजनैतिक दलों को सत्ता में रहते हुए रचनात्मक कार्यक्रमों में पार्टी कैडर की सक्रियता बनाये रखनी चाहिए.जिससे सरकार में विशेष लाभ न मिलने के बाद भी उसका गहरा जुड़ाव पार्टी से बना रहे.जबकि विपक्ष में रहते हुए विरोध प्रदर्शन से आगे बढ़कर पार्टी के नीतियों और सिद्धांत के प्रचार-प्रसार में सक्रिय रहा जाए.गहराई से इन विमर्शो के आलोक में सत्ताधारी समाजवादी पार्टी के साइकिल यात्रा को नई राजनैतिक कार्य संस्कृति के रूप में समझा जा सकता है.

देश की आज़ादी के बाद समाजवादी आन्दोलन में लोहिया के नेतृत्व में सोशलिस्टों ने रचनात्मक कार्यों को विशेष महत्व दिया.वोट,फावड़ा और जेल के माध्यम से संघर्ष की लड़ाई लड़ते हुए आम जन के सवालों को उठाते हुए उनके सार्थक समाधान की राह भी तैयार करने में सोशलिस्टों की भूमिका को नजरअंदाज नही किया जा सकता.एक पाँव रेल में,एक पाँव जेल में की कार्ययोजना से जनता से जुड़ाव रखकर बुनियादी मसलों को अंजाम तक पहुँचाया गया.लोहिया की परम्परा की अनुगामी और सोशलिस्टों की पार्टी समाजवादी पार्टी सत्ता में रहने के बाद भी लगातार सोशललिस्ट परिपाटी वाले जन जुड़ाव के रचनात्मक कार्यक्रमों को विशेष महत्व दे रही है.अभी बीते महीने सरकार के चार वर्ष पूरा होने पर समाजवादी विकास दिवस के माध्यम से जन जागरूकता करते हुए लोगों को शासन की नीतियों से अवगत कराने के साथ उनकी सहभागिता का कार्य जनता में विशेष रूप से प्रशंसनीय रहा.इसके अतिरिक्त गाँवों की ओर कार्यक्रम के द्वारा ग्रामीण यूपी को विकास में समुचित हिस्सेदारी देने का प्रयास सूबे के बदलाव की दिशा में महत्वपूर्ण कदम के तौर पर जान पड़ता है.

साइकिल यात्रा को सिर्फ सरकारी नीतियों के बखान के सन्दर्भ में समझना एकांगी दृष्टीकोण होगा जबकि इसका दूसरा पक्ष युवाओं का जुड़ाव और सक्रियता है.जिस तरह सूबे के युवा मुख्यमंत्री की युवाओं में लोकप्रियता है,उसका प्रदेश की राजनीति में अन्यत्र अभाव बना हुआ दिखाई पड़ता है.चिलचिलाती धूप और गर्मी के बाद भी सड़को पर लाल टोपी पहने नौजवान लड़कों के नारों ने अखिलेश के निर्विवाद नेतृत्वकर्ता की पहचान को मजबूती दिया है.जिसकी पुष्टि सोशल मीडिया के ट्वीटर एकाउंट पर युवा मुख्यमंत्री के फालोवर की संख्या का दस लाख पहुँचने से भी हो रही है.मूलतः समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका मिलने के बाद ही अखिलेश यादव ने जिस तरह उत्तर प्रदेश में निराश हो चुके युवाओं में न केवल राजनैतिक अभिरुचि विकसित किया बल्कि उनमें इच्छाशक्ति मजबूत करते हुए राजनीति में मुक्कमल पहचान बनाने के लिए जरुरी संघर्ष करने की प्रेरणा भी दिया.जिसकी झलक समाजवादी पार्टी के सभी यूथ फ्रंटल संगठनों में वैचारिक और संघर्षशील नौजवान नेताओं की अधिक संख्या से पता चलता है. .विकास,योजनाओं और कार्यशैली से इतर युवाओं में लोकप्रिय होना साथ ही अपनी सहजता,विनम्रता सहित मुख्यमंत्री होने की स्वाभाविक व्यस्तता के बाद भी जरुरतमंदों के लिए सर्वसुलभता वाला गुण युवा मुख्यमंत्री में राष्ट्रीय नेतृत्व के लिए भरपूर संभावना दिखलाता है.संगठन से आगे बढ़कर हाल ही में विधान मंडल के उच्च सदन में पार्टी की तरफ से उम्मीदवारों के चयन और उन्हें विजय श्री दिलाने में पूरी तरह नौजवानों को तरजीह देने का साहसिक निर्णय नौजवान मुख्यमंत्री के युवा सोच को ही दर्शाता है.युवाओं को जोड़ना और उन्हें जोड़े रखने का करिश्माई अंदाज़ की झलक अनेक सार्वजनिक कार्यक्रमों में बखूबी दिखाई भी पड़ती है.

ऐसे दौर में जब केंद्र की दिल्ली सरकार सहित अन्य प्रदेशों में सत्ताधारी दल के प्रति आम जनता विशेषकर नौजवानों की सोच क्रमिक रूप से उदासीन होती जा रही है.ऐसे में सरकार के चार साल बीतने के बाद भी साइकिल यात्रा में जिस जोश और ज़ज्बे के साथ पार्टी से जुड़े व्यक्ति अपनी उपयोगिता के प्रति समर्पित दिख रहे है,यह सरकार के लोकप्रिय कार्यशैली एवं संगठन और सरकार के बीच बेहतर समन्वय का ही उदाहरण है.किसी भी सरकार का फिर से सत्ता में आना बहुत हद तक उसके कार्यकर्ताओं के उत्साह पर ही निर्भर करता है.जिस तरह से युवा मुख्यमंत्री प्रदेश के सभी कोनों में अपनी  जनसभाओं के माध्यम से उपलब्धता बढ़ा रहे है,वह कार्यकर्ताओं के लिए संजीवनी का काम कर रही है.जिसका भरपूर लाभ आगामी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को मिलने की सम्भावना है.

 

 

                                    मणेन्द्र मिश्रा मशाल

 

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