लखनऊ - इस्तीफा सौंपने के बाद पूर्व मंत्री अशोक बाजपेयी के दिल के गुबार फूट पड़े। बोले कि आहत मन से सपा से इस्तीफा दे रहा हूं। नेताजी (मुलायम सिंह यादव) ने तिनका-तिनका जोड़कर समाजवादी पार्टी बनाई और शिवपाल सिंह यादव ने अपने संघर्ष से इसे खड़ा किया लेकिन, इन लोगों को हाशिए पर कर अपमानित किए जाने से मेरा मन आहत है। अगले पड़ाव के सवाल को काटते हुए बाजपेयी ने कहा कि वह अपने साथियों और कार्यकर्ताओं के साथ विमर्श के बाद ही कोई फैसला करेंगे।
बड़े-बड़ों को पहचान देने वाले तिरस्कृत
अशोक बाजपेयी ने कहा कि नेताजी सबको साथ लेकर चले और बड़े-बड़ों को राजनीतिक पहचान दी लेकिन, उन्हें तिरस्कृत किया गया है। ऐसे में समाजवादी पार्टी में रहना मुश्किल है। सपा में आज सभी बेगाने हो गए हैं। भाजपा में जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी सोचा नहीं है। लेकिन भाजपा में जाने की पक्की खबर और यह पूछे जाने पर अब तक जिस भाजपा को कोसते रहे, उसका गुणगान कैसे करेंगे? बाजपेयी ने कहा कि सवाल जायज है। मेरा संघर्ष का लंबा इतिहास है लेकिन, कई बार समय और परिस्थिति के हिसाब से भी सियासत करनी पड़ती है। बाजपेयी ने यह भी कहा कि जब 2014 में लखनऊ लोकसभा में उनकी लहर चल रही थी तब अंतिम दौर में टिकट काट दिया। फिर राज्यसभा में भेजा जाना तय हुआ और फिर आखिरी समय में टिकट काट दिया। अपमान का घूंट पीकर भी वहां रहा लेकिन, अब मुश्किल हो गया था।