यूपी विधानसभा में विस्फोटक मिलने की घटना को बेहद गंभीरता से लिया गया है। लिहाजा इसे लेकर फूल प्रूफ सुरक्षा के फैसले लिए गए है। सुरक्षा के लिए लिए गए इन फैसलों पर विपक्ष ने भी अपनी सहमति दे दी है।
इसके पहले ही मामले की जांच एनआईए से कराने की विधानसभा अध्यक्ष ने सहमति दे दी थी। विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने सुरक्षा के संबंध में कई कड़े निर्देश भी दिए।
इनमें विधानभवन के सभी गेट पर पीएसी की क्विक रेस्पांस टीम (क्यूआरटी) की तैनाती, पूर्व विधायकों के वाहन पास निरस्त करने केअलावा सचिवालय में बिना पास प्रवेश पर पूरी तरह प्रतिबंध जैसे उपाय शामिल हैं। उन्होंने विधायकों से सदन में मोबाइल न लाने की अपील भी की है।
- विधानभवन के सभी गेटों पर पीएसी की क्यूआरटी की ड्यूटी होगी।
- विधानभवन के छह संवेदनशील पॉइंट पर होल बॉडी स्कैनर व बैगेज स्कैनर लगेगा।
- विधायकों की गाड़ी लोकभवन व विधानभवन की पार्किंग में खड़ी होगी।
- सभी विधायकों के एक वाहन के अलावा सभी वाहन पास निरस्त।
- विधायकों के वाहन चालकों के पास बनेंगे। इसे विधायक प्रमाणित करेंगे।
- विधानभवन सचिवालय में विधायक के साथ वे लोग ही आ सकेंगे जिनके पास होंगे।
- पूर्व एमएलए व अन्य लोगों के सभी वाहन पास निरस्त कर दिए गए हैं।
- एटीएस को विधान भवन में औपचारिक रूप से आने की अनुमति होगी।
- सचिवालय व विधानभवन के सभी कर्मियों का वेरिफिकेशन होगा।
विधानसभा की सुरक्षा के लिए मुख्यमंत्री ने जो विचार व्यक्त किए, नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने उससे विपक्ष की भी सहमति जताई।
उन्होंने कहा कि अध्यक्ष ने जो निर्देश दिया है, विपक्ष उसे स्वीकार करता है। सुरक्षा से खिलवाड़ करने की छूट किसी को नहीं दी जा सकती।
बसपा के उमाशंकर सिंह ने भी समर्थन जताया। उन्होंने सवाल किया कि जब नेता सदन उपस्थित होते हैं और जैमर सक्रिय होता है, तब भी मोबाइल कैसे बजता रहता है।