मोदी, खजांची, लॉक डाउन और अखिलेश – प्रोफेसर (डॉ.) योगेन्द्र यादव

Update: 2020-05-30 05:14 GMT


इस समय पूरा विश्व कोरेना संक्रमण से बचने के लिए लॉक डाउन से खुद के बचाव के रास्ते खोज रहा है। लॉक डाउन के कारण अपने-अपने घरों में रहते हुए विपक्षी नेता अपने-अपने तरकश के तीर तराश भी रहे हैं और चला भी रहे हैं । बस प्रकरण के बाद से कांग्रेस तो इतनी हमलावर हो चुकी है कि उसने स्पीकअप इंडिया प्रोग्राम चला कर उन्हें चौतरफा घेर रही है। इसके अलावा सरकार से कोई चूक होते ही विपक्षी प्रधानमंत्री, केंद्र सरकार, मुख्यमंत्री और प्रदेश सरकार को कठघरे में खड़ा करने में जरा सा भी संकोच नहीं कर रहे हैं।

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय चार-चार चुनौतियों का एक साथ सामना कर रहे हैं। कोरेना संक्रमण और लॉक डाउन, तिब्बत सीमा पर चीन और भारत के बीच तनातनी, आए दिन आ रहे आँधी तूफान और विपक्ष सभी को झेल रहे हैं। कोरेना संक्रमण से देश की जनता को बचाने के लिए उन्होने लॉक डाउन घोषित किया। इसकी शुरुआत उन्होने 24 मार्च को एकाएक कर दी। उनकी इस घोषणा पर सभी राजनीतिक दलों के साथ साथ पूरा देश उनके साथ खड़ा हुआ । तीन लॉक डाउन पूरे हो चुके हैं। इस समय चौथा लॉक डाउन चल रहा है, जिसकी अवधि परसों समाप्त हो जाएगी। लॉक डाउन में जिस शुचिता की कल्पना प्रधानमंत्री ने की थी, प्रथम इक्कीस दिन तो सभी ने उसका सम्मान किया। लेकिन प्रवासी मजदूरों के गृह प्रेम की वजह से बाद में उसकी धज्जियां उड़ गई। रेलवे स्टेशन हो, बस स्टैंड हो, हाइवे हो, या दो प्रदेशों को जोड़ने वाले राज मार्ग हों, सभी पर प्रवासी मजदूर ही मजदूर दिखाई दे रहे हैं। मीडिया ने भी इसे प्रमुखता के साथ दिखाया और प्रकाशित किया । हालांकि सरकार ने उनके घरों तक पहुंचाने की बात बार-बार कही। लेकिन वे लोग नहीं माने और पैदल, सायकिल या जो भी वाहन मिला, उससे रवाना हो गए। तमाम दुर्घटनाएँ हुई, जिसकी वजह से सरकार की किरकिरी हुई । इसके बाद जब ये प्रवासी मजदूर अपने गाँव पहुंचे, तो उनके गाँव के किसी स्कूल या अन्य जगह उन्हें 14 दिन के लिए क्वारंटीन कर दिया गया। इस पर भी विपक्ष ने तमाम सवाल उठाएँ। शुरू के दिनों में थोड़ी अव्यवस्थाएं जरूर रही, लेकिन उन्हें धीरे-धीरे ठीक कर लिया गया । संक्रमित प्रवासी मजदूरों के आने की वजह से नियंत्रित कोरेना संक्रमण एक बार फिर प्रभावी हो गया। संक्रमित मरीजों की संख्या में एकाएक इजाफा हुआ । आज स्थिति यह है कि देश में एक लाख पचास हजार से ज्यादा मरीज हो गए हैं। चौथा लॉक डाउन समाप्त होने वाला है । लेकिन कोरेना संक्रमण पर नियंत्रण पा लिया गया, ऐसा नहीं कहा जा सकता है। पांचवे चरण के लॉक डाउन को लागू करने के लिए गृहमंत्री ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से सलाह-मशविरा किया है। प्राप्त सूचना के अनुसार लॉक डाउन की अवधि एक बार फिर एक महीने के लिए बढ़ाए जाने के संकेत मिले हैं ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने दूसरी सबसे बड़ी चुनौती चीन का अनाधिकारिक रूप से भारत की सीमा में घुसपैठ करना और सीमा पर चीनी सेना का जमावड़ा होना । कोरेना संक्रमण और लॉक डाउन की वजह से विश्व के सभी देश इस समय उसे नियंत्रित करने में मशगूल हैं। इसी का फायदा उठाने के लिए चीन भारत की जमीन हड़पना चाहता है । हालांकि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे गंभीरता से लिया है। उन्होने मंत्रिमंडलीय बैठक के अलावा सेना के सभी वींग के अधिकारियों के साथ गंभीरतापूर्वक विचार किया। और आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दे दिये । अमेरिका ने इस प्रकरण में हस्तक्षेप की अपनी मंशा जाहीर की, लेकिन भारत की तरफ से इस पर कोई संवाद नहीं किया गया । हालांकि ट्रम्प के हवाले से एक खबर अमेरिकी राष्ट्रपति और भारत के प्रधानमंत्री में चर्चा का समाचार आया, लेकिन भारत ने उसका खंडन कर दिया।

प्रधानमंत्री के सामने तीसरी सबसे बड़ी चुनौती बढ़ती गर्मी, टिड्डियों का हमला, आए दिन आ रहे आँधी तूफान और आसाम राज्य में हुई भीषण बारिश । प्रधानमंत्री इस पर भी बड़े गंभीर हैं। पश्चिमी बंगाल के तटवर्ती इलाके में आए तूफान का उन्होने खुद हवाई सर्वेक्षण किया और एक हजार करोड़ की तुरंत राहत देने की घोषणा की । इसके साथ ही जहां-जहां आँधी-तूफान और ओलावृष्टि से नुकसान हो रहा है, वाहन की राज्य सरकारो ने राहत एवं पुनर्वास कार्यक्रम चलाये हैं । पाकिस्तान की तरफ से आई टिड्डियों से फसलों को बचाने के लिए भी युद्धस्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। राजस्थान, मध्यप्रदेश, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में उनके आगमन की सूचना है । आसाम में हुई बारिश ने तो सारे रिकार्ड तोड़ दिये। चारो तरफ पानी पानी होने के कारण बचाव और राहत कार्य में बड़ी कठिनाई हो रही है। कोरेना संकट की वजह से सोशल डिस्टेन्स भी रखना है। पांचवा भी एक संकट है, आतंकवाद का संकट । लॉक डाउन में आतंकवादी गतिविधियों में इजाफा हुआ है, लेकिन हमारे देश के जाँबाज सैनिकों ने उनका मुंहतोड़ जवाब देते हुए उन्हें कामयाब नहीं होने दिया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने सबसे अधिक प्रखर संकट विपक्ष उपस्थित कर रहा है। चारो ओर से घिरे नरेंद्र मोदी पर वह भी हमले का कोई मौका नहीं चूक रहा है। जरा सी कमी या अव्यवस्था कहीं नजर आने पर पूरा विपक्ष उन पर हमलावर हो जा रहा है ।

कांग्रेस के अलावा समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सबसे अधिक हमले करते हुए दिखाई पड़ रहे हैं। लेकिन वे केवल हमले ही नहीं कर रहे हैं, बल्कि उनका पूरा परिवार और पार्टी लॉक डाउन के दौरान पीड़ितों की सेवा में जुटी हुई है । समाजवादी पार्टी इसे राजनीतिक लाभ में परिवर्तित न कर ले, इसके कारण सरकार की ओर से निर्देश मिलने के बाद कहीं-कहीं उनके खिलाफ मुकदमे भी लिख रहा है । लेकिन इसके बावजूद सभी कार्यकर्ता अपनी – अपनी सामर्थ्य के अनुसार सेवा कार्य कर रहे हैं।

इसी दौरान समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को एक नया हथियार मिल गया। उस हथियार का नाम है – लॉक डाउन यादव । लॉक डाउन यादव एक बच्चे का नाम है। जिसका जन्म यात्रा के दौरान महाराष्ट्र की सीमा के नजदीक मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में हुआ। उसकी माता का नाम रीना यादव और उसके पिता का नाम उदयभान सिंह यादव है। उसके संबंध में आज अपने ट्वीटर हैंडल पर ट्वीट करते हुए अखिलेश यादव ने लिखा कि कोरोनाबंदी के दौर में ट्रेन में जन्मे 'लॉकडाउन यादव' के उज्ज्वल भविष्य की कामना. आशा है नोटबंदी के समय लाइन में जन्म लेने पर मजबूर 'खजांची' अब अकेला महसूस नहीं करेगा । अब भाजपा सरकार ये सुनिश्चित करे कि इन बच्चों की आगामी यात्रा, इनके जन्म जैसी कटु परिस्थितियों से बहुत बेहतर हो ।

नोटबंदी के दौरान लाइन में लगे एक महिला को जब प्रसव हो गया, और उसकी जानकारी जब अखिलेश यादव को हुई, तो उन्होने उसका नाम खजांची रखा था। और पैदा होते ही उसे दो लाख रुपये की मदद की । दो साल की उम्र में ही यह खजांची दो मकानों का मालिक बन गया। अखिलेश ने एक मकान उसके पैतृक गाँव और दूसरा मकान उसके ननिहाल में बना कर दिया । 625 वर्ग फीट में बनने वाले एक मकान में दो कमरे, एक बाथरूम, किचन, बगीचा और लॉबी है। बालिग होते ही इन दोनों मकानों पर खजांची का मालिकाना हक हो जाएगा ।

समाजवादी पार्टी और उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने नोटबंदी संबंधी जितने भी धरना प्रदर्शन किया। मीडिया के सामने बोले, चुनाव के दौरान उनके भाषणों में भी खजांची ब्रांड अंबेसडर की तरह उपयोग किया गया । समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सिर्फ उसका जन्मदिन ही नहीं मनाया, उसके गाँव भी गए । लोकसभा चुनाव की कोई ऐसी सभा नहीं हुई, जिसमें अखिलेश यादव ने मोदी पर तंज़ न कसा हो । यहाँ तक कि कन्नौज लोकसभा चुनाव में डिम्पल की गोंद में खजांची की एक तस्वीर के साथ ट्वीट भी किया गया।

इसी प्रकार लॉक डाउन यादव को लेकर भी समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव बेहद संजीदा हैं। अपने ट्वीट में उन्होने जो संदेश दिये हैं, उससे साफ जाहीर है कि आने वाले समय में जब – जब उन्हें मौका मिलेगा लॉक डाउन यादव के नाम लेकर मोदी पर हमला बोलेंगे । विधानसभा चुनाव भी अभी दूर है। लेकिन अभी से वे अपने चुनावी हथियार तैयार कर रहे हैं। पहले खजांची अकेला था। अब लॉक डाउन भी हो गया। यानि एक साथ दो-दो हमले । ऐसे हमले जिसकी मोदी के पास कोई काट नहीं है ।

लॉक डाउन को लेकर उनका घेरना खजांची से ज्यादा प्रभावी रहेगा। क्योंकि उत्तर प्रदेश की ही नहीं, पूरे देश की जनता ने वह मंजर देखा है कि किस तरह भूख-प्यास से लड़ते हुए बूढ़े, बच्चे जवान, स्त्री-पुरुष अपने घरों की तरफ अपने छालों के दर्द की परवाह किए हुए चले जा रहे थे, किस तरह पुलिस की ज़्यादतियाँ भी उन्हें नहीं रोक पाई। यह सब इतना हृदय विदारक है, जिसे जनता जल्दी नहीं भूलेगी, बल्कि सदियों तक याद रखेगी। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसी कारण लॉक डाउन यादव को आगामी चुनावों, प्रेस कान्फ्रेंसो, वार्ताओं के लिए अपना हथियार बनाया है। यह तो समय ही बताएगा कि उनके तरकश का यह तीर मोदी और योगी को कितना घायल करता है और कितनी सफलता दिलाता है ।

प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव

पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट

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