कल से नैना मंगलानी पर लिखी जा रही पोस्ट पढ़ रहा हूँ! चुपचाप। समझ नहीं आता कि क्या कहूँ... इस विषय पर जो कुछ भी कहना था, वह सब पहले ही परत में कह दिया है। फिर भी...
नैना के लिए किसी के अंदर संवेदना नहीं है, अधिकांश लोग कह रहे हैं कि अच्छा हुआ। मैं कहने वालों के विरुद्ध भी नहीं हूँ, क्योंकि वे न कहते तब भी नैना का यही अंत होना था। पर रुकिए...
कोई भी घटना जैसी दिखती है, हर बार वैसी होती नहीं है। जब कोई लड़का किसी लड़की को फँसाने के लिए नाम बदल कर फर्जी रूप धरता है, तो वह पूरी तैयारी के साथ उतरा होता है। इतनी जबरदस्त तैयारी के साथ, कि एक बार फँस जाने के बाद शिकार के पास कोई मार्ग न बचे। वह चाह कर भी न निकल सके।
जानते हैं, जब नैना को पता चला होगा कि उसका रोहित, रोहित नहीं अयाज है, तबतक अयाज के मोबाइल में नैना के एक दो नहीं बीसों अश्लील वीडियो इकट्ठे हो गए होंगे। आश्चर्य न कीजियेगा, दिल्ली के oyo होटलों की दशा देख कर लौटा हूँ जहाँ दो घण्टे के लिए बारह सौ में कपल को कमरे दिए जाते हैं। oyo का कारोबार इसी से चल रहा है। वीडियो वायरल करने की धमकी में कितना दम होता है, यह बताने की आवश्यकता नहीं।
इतना ही नहीं, मेरा दावा है कि जब नैना को अयाज की सच्चाई पता चली होगी तब अयाज ने उसे ऐसे बीसों लोगों-लड़कियों से मिलवाया होगा जिन्होंने नैना को पूरी तरह समझा दिया होगा कि जाति-धर्म की बात बकवास है, तुमको अयाज से अधिक प्यार कोई कर ही नहीं सकता। और यकीन कीजिये, इन बीस लोगों में से पन्द्रह हिन्दू होंगे। है न?
नैना की वाल पर तस्वीरें देखिये। अनेक तस्वीरों में उसकी मांग में सिंदूर है। वह अपने बेटे को कन्हैया कहती है। भाई साहब! वह न हिन्दू से दूर हुई है न हिंदुत्व से... बस उस नरक से निकलने का मार्ग नहीं उनके पास।
जानते हैं दोष कहाँ है? दोष है उस व्यस्त जीवनशैली में, जहाँ बेटियों के लिए न पिता के पास समय है, न माता के पास... घर में माता पिता के प्रेम को तरसती लड़कियां वह प्रेम प्रेमी में तलाशती हैं, और यहीं रोहित बन कर घात लगाए बैठा कोई अयाज उसे लूट लेता है। अयाज का जाल इतना तगड़ा होता है कि लड़की छटपटा के मर जाती है पर निकलने की हिम्मत नहीं कर पाती। यही नैना की कहानी का सच है...
अखबार में छपी छह हजार फॉलोवर की कहानी पूरी तरह फर्जी है, क्योंकि नैना की प्रोफाइल में तीन हजार फॉलोवर दिख रहे हैं। इससे अधिक फॉलोवर तो लड़के फर्जी आईडी बना कर ले लेते हैं। नैना को मारा गया है क्योंकि जैसे तैसे कर के ही वह नरक से निकलना चाह रही थी।
भाई साहब! फिर कहता हूँ, अपने आँगन की तुलसी सम्भालिए। हमारे ही बुजुर्गों ने कहा था कि लड़कियां कोंहड़ा के फूल की तरह मासूम होती हैं, इन्हें राक्षसों की दृष्टि से बचाना आपका कर्तव्य है।
ऐसी नैनाओं के लिए ही परत लिखी गयी है। यदि सचमुच कुछ करना ही चाहते हों तो हर नैना के हाथ तक #'परत' पहुँचाइए। नहीं तो गालियां तो हैं ही...
सर्वेश तिवारी श्रीमुख
गोपालगंज, बिहार