आतंक के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में चीन को विश्व की आलोचना झेलनी पड़ रही

Update: 2019-03-17 11:50 GMT

आतंक के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में चीन की दगावाजी फिर देखने को मिली है और एक बार फिर वह मसूद अजहर की ढाल बनता देखा गया है।हालाकि चीन को अपने इस फैसले पर पूरे विश्व की गहरी आलोचना झेलनी पड़ी है और उसके रूख में कुछ वदलाव की आहट भी दिख रही है। गौरतलब है कि आतंकवाद आज विश्व के लिये सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है और पाकिस्तान चीन जैसे कुछ देशों को छोड़ दें तो लगभग छोटे बड़े देश आतंक के शीध्र खात्मे को लेकर एक मत हैं। इसी सोच का परिणाम है कि एक समय जिस मसूद अजहर के प्रतिबंध संवंधी प्रस्ताव को सुरक्षा परिषद में भारत लाया करता था उसे आज विश्व की तीन बड़ी शक्ति ने स्वतः ही लाने का प्रयास किया है। लेकिन दुर्भाग्य है कि कुछ देश अब भी इस खतरे को लेकर जानबूझकर बेखवर बने हुये हैं।

इतिहास गवाह है कि एक समय अमेरिका आतंक के एक धड़े को समर्थन देकर तात्कालिक लाभ तो ले गया था परन्तु 9/11 जैसे हमले ने उसकी रणनीति के परखंचे उड़ा दिये थे और शायद अब वही गलती चीन भी कर रहा है।

आज वक्त है कि सभी देशो को मिलकर आतंक की परिभाषा तय करनी होगी और गुड टैरेरिज्म और बैड टैरेरिज्म की सोच को चितांजली देनी होगी। अन्यथा यही माना जायेगा कि चीन सरीखे देश अमेरिका का उदाहरण अपने देश मे दोहराने के लिये उसी तरह बढ रहे हैं जैसे आग ओर पतंगा बढता जाता है।

सुमित यादव

रावगंज,कालपी

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