मुज़फ़्फ़रनगर में एक गाँधी आजतक बैठा है सत्यग्रह पर

Update: 2016-05-15 20:29 GMT
 

दशरथ कुमार माँझी की ज़िन्दगी पर नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी ने और मिल्खा सिंह की ज़िन्दगी पर फरहान अख्तर ने फ़िल्म बनाई है,और उनका किरदार निभाया है।आने वाले समय में कोई अभिनेता मास्टर विजय सिंह की ज़िन्दगी पर फ़िल्म बनायेगा तब जाकर पता चलेगा मुज़फ़्फ़रनगर के जनपद वासियों को किसी मास्टर विजयपाल सिंह का,तब किसी गरीब मज़दूर दशरथ माँझी की ज़िन्दगी लोगो को इतनी पसन्द आती है उसको ऑस्कर अवार्ड मिल जाता है लेकिन दशरथ माँझी को कभी उसकी ज़िन्दगी में चैन ओ सुकून नसीब नही हुआ,ऐसे ही ना जाने कितने दशरथ कुमार माँझी हमारे बीच में जनम लेते हैं और मर जाते हैं जिनके किस्से सिर्फ गाँव मोहल्लों की चौपालों या नुक्कड़ों पर सुनने को मिलता है या हमने अपने दादा दादी से किस्से कहानी में सूना है ।


सात लाख बीघा ज़मीन आज भी भुमाफियाओ के क़ब्ज़े में है जैसे दशरथ माँझी ने गाँव और शहर के बीच में रास्ता बनाने के लिये पहाड़ तोड़ा था,और राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने अंग्रेज़ो के खिलाफ चरखा चलाकर अहिंसा का पाठ पढ़ाया था,ऐसे ही आज भी दो दशकों से चोरों मक्कारों और डकैतों लड़ते हुए एक शख्स ने अपनी जवानी क़ुरबान करदी है,गाँधी के देश में गाँधीवादी को इन्साफ नही मिल पारहा है ।



जनपद मुज़फ़्फ़रनगर का कचहरी भवन बना हुआ है किसी क्रांतिकारी का भवन


जिलाधिकारी के दफ्तर बाईं तरफ टाँट का पर्दा पड़ा हुआ नज़र आता है,कुछ लोग इसको मामूली समझ कर अनदेखा करदेते हैं,अनजान लोगों के लिये तो ये कोई एहमियत नही रखता लेकिन आने वाले कल में सोशियोलॉजी Sociology  के छात्र इसको ज़रूर पढ़ेंगे,दुनिया भर से शोधकर्ता अपनी ज्ञानी जिज्ञासा मिटाने के लिये मुज़फ़्फ़रनगर कचहरी ज़रूर आएँगे और अपने रिसर्च में फ़ख्र से लिखेंगे             "मास्टर विजय सिंह ने जिस जगह पर दुनिया का सबसे लम्बा धरना प्रदर्शन किया है हा मैंने अपने रिसर्च के समय उस जगह को देखा है"



कौन है विजय सिंह ?


चोसाना इण्टर कॉलेज में बच्चों को अर्थशास्त्र का ज्ञान बाँटते थे यानी लेक्चरार थे,बच्चों में ज़िन्दगी की उमँग और उत्साह और ज़िन्दगी के रँग भरते थे,रोटी कपड़ा और मकान के तीन सूत्रीय फॉर्मूला पढ़ाते पढ़ाते 1994 में  3200 बीघा सरकारी ज़मीन जिसको भू माफ़ियाओ ने क़ब्ज़ा ली थी को आज़ाद कराने और उनको हक़दार तक पहुंचाने के लिये लड़ाई लड़नी शुरू की,गरीब लेक्चरार की बात में कुछ असर ना हुआ तो दो साल बाद 1996 में  भु माफियाओ के वरोध धरनाप्रदर्शन शुरू किया और 20 साल बीत चुके हैं लड़ाई लड़ते लड़ते गाँधीवादी विचारधारा गाँधी के देश में नाकाम साबित होरही है,20 सालो में मास्टर विजय सिंह के प्रयासों से सिर्फ 300 बीघा ज़मीन खाली हुई और हकदारों को मिली है अभी भी 2900 बीघा की लड़ाई जारी है ।

मास्टर विजय सिंह का परिवार


2 लड़की और 1 लड़के के पिता मास्टर विजय सिंह का कहना है की परिवार का गुज़ारा मेरी 23 बीघा ज़मीन की पैदावार से होता है,1996 से में आजतक घर नही गया हूँ,किसी त्यौहार,ख़ुशी ग़मी के मौके पर में हमेशा धरनास्थल पर ही रहता हूँ
परिवार में मास्टर विजय सिंह की धर्मपत्नी भी हैं जो उनसे नाराज़ रहती हैं,कभी कभी खून का रिश्ता अगर जोश मारता है तो आकर उनसे उनके धरनास्थल कचहरी में आकर मिल लेते हैं ।
वो कितना बहादुर और मज़बूत दिल इंसान होगा जो अपने परिवार को बगैर किसी की बन्दिश और रुकावट के उनसे जुदा है ।और कितने बहादुर हैं वो परिवार वाले जो अपने सगे बाप,या पति को अपने से अलग सर्दी गर्मी बरसात में लाचारों और बेबस की तरह ज़िन्दगी गुज़रते हुए देख रहे होंगे। सच मानिये तो ये काम अपने दिल पर पत्थर की सिल रखकर ही किया जासकता है ।

 2012 में मुज़फ़्फ़रनगर से लखनऊ पद यात्रा


इन्साफ और हक़ की लड़ाई लड़ते हुए अपने तन मन धन की बाज़ी लगा देने वाले मास्टर विजय सिंह ने 2012 में पैदल लखनऊ जाकर इन्साफ की गुहार लगाई,शायद किसी को मास्टर विजय सिंह के बुढ़ापे पर तरस आजाता और उनकी जायज़ माँगो को पूरा करते तो उनकी बाक़ी ज़िन्दगी परिवार के साथ सुख और चैन से गुज़रती ।
गरीबों की सुनता ही कौन है???महलों की चकाचौंध में गरीब की चीख़ दब कर रह जाती है,और किसी ना किसी महल के क़रीब एक ना एक दिन बूढ़े भिखारी की लाश मिलती है ।

प्रकाश चौक पर जूते पॉलिश करूँगा


मास्टर विजय सिंह का कहना है अगर लड़ाई लड़ते लड़ते उनकी सारी पूँजी खत्म हो जाती और वो बिलकुल ही उझड़ जाते हैं तब भी हार नही मानूँगा प्रकाश चौक पर  जूते पोलिश करके अपनी लड़ाई जारी रखूंगा,सच्चाई ईमानदारी की लड़ाई लड़ने में शर्म किस बात की

Aims को कर चुके हैं अपने देहदान


मास्टर विजय सिंह ने अपने पुरे शरीर का ऐमस को मृत्यु पश्चात दान किया हुआ है, मुझे किसी बाहुबली या माफिया से डर नही लगता है कियूँकि मैंने अपना देहदान किया हुआ है अगर मुझे कोई मारदेगा तो ऐमस वाले मेरी बॉडी को उठाकर ले जायँगे,और मेडिकल के छात्र उससे कुछ सीखेंगे ।

*गिनीज़_बुक_ऑफ़_वर्ल्ड_रिकॉर्ड_नाम_आ चुका_है*

लिम्का बुक रिकॉर्ड से लेकर दुनिया का सबसे लम्बा धरना प्रदर्शन आज भी जनपद मुज़फ़्फ़रनगर के कचहरी परिसर में चल रहा है जिसको 2016 में गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड बना लिया है ।
किसी भी देश के लिये इस रिकॉर्ड की बड़ी एहमियत होती है लेकिन भारत के लिये दुर्भागयपूण बात है यहाँ पर एक शिक्षक ने इन्साफ के लिये धरनाप्रदर्शन किया है और ऐसा लम्बा धरना जो दुनिया में सबसे लम्बा चलने वाला धरना प्रदर्शन साबित हो चुका है।

*सन्देश*
मास्टर विजय सिंह से मैंने कुछ नसीहत करने को कहा तो उन्होंने कहा     *"भूलकर भी गलत काम मत करना,अगर सर झुकाना है तो गलत काम कर लियो,स्वभिमान के साथ रहना तो सही काम करो"*इंसान का सर हमेशा से बुराई के रास्ते पर चलते हुए झुका है, उसकी इज़्ज़त कभी कम नही हुई लेकिन जब भी अहिंकार की आग मनुष्य के हर्दय में छल कपट पैदा कर देती है उसके सर का झुकना निश्चित हो जाता है ।।


मुफ़्ती उसामा इदरीस की क़लम से

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