राष्ट्र ध्वजा को अपमानित कर लाल किले पर चढ़ बैठे
नई कहानी उपद्रवी गढ़ बैठे
वीरों के बलिदान का देखो उनको कैसा मूल्य मिला
आज तिरंगा अपमानित है शर्मिदा है लाल किला
ये उपद्रवी है उपद्रव करने वाले हैं
इनको गंगा मत समझो ये केवल गन्दे नाले हैं
क्या एक प्रदेश के रहने वाले ही किसान कहलाते हैं
जो बाकी किसानो के हक़ को लूट लूट कर खाते हैं
दाता वाता कोई नहीं ने ये उपद्रवी अभिमानी
कुछ बस चाह रहे हैं करना केवल मनमानी
लज्जित करके संविधान को उपद्रवी आग लगाते हैं
उपद्रवी देखो दिल्ली को जलाते हैं
कल तक जिनको मान गर्व का प्रहरी समझा जाता था
गुरुओं सा बलिदानी उनको केहरी समझा जाता था
शौर्य शेर सा बलिदानों परिपाटी ही भूल गए
उपद्रवियों के देखो कैसे इनके नल्ले फूल गए
देश विरोधी धर्म विरोधी क्या किसान हो सकते हैं
देश को आग लगाने वाले भी क्या महान हो सकते हैं
क्या किसान वर्दी वालों पर ले ट्रैक्टर चढ़ सकते हैं
आयाम नए गद्दारी के ये क्या किसान गढ़ सकते हैं
जिन उपद्रवियों ने वर्दी पहने महिलाओं पर वार किया
नारी की मर्यादा भूले कुछ भी नहीं विचार किया
डंडे पत्थर तलवारों से आखिर कैसा इनका नाता है
ऐसा हिंसक ऐसा बर्बर कैसे कहे ये दाता है
बहुत हुआ सम्मान उपद्रवियों का अब उत्तर भी मिल जाने दो
उपद्रवियों को मिलकर लाठी डंडे खाने दो
इनको उत्तर नहीं दिया तो ये दंगे करवा देंगे
हम ऐसे ही चुप बैठे तो देश को भी तुड़वा देंगे
नहीं रगों में दूध दही अब और न दिल में देश रहा
इनकी रगो मे उपद्रवी लहू इसीलिए ये वेश रहा
जान चुके सब तुम्हारी उपद्रवी औकात
उपद्रवियों पर सख्त हो कार्रवाई तब समझ में आयेगी इनको अपनी औकात
साभार .....