कोरोना संक्रमण को लेकर इस समय एक तरह से पढ़ाई ठप सी पड़ी हुई हैं। हालांकि ऑनलाइन पढ़ाई द्वारा उसकी क्षतिपूर्ति के रूप में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा किया जा रहा है। लेकिन इसका अभ्यस्त और संसाधनों की कमी होने की वजह से सभी तक ऑनलाइन एजुकेशन नही पहुच पा रही है । इसके साथ साथ नीट और जेईई परीक्षा को लेकर भी दो तरह के लोग आमने सामने खड़े हो गए हैं। उत्तर प्रदेश के संदर्भ में एक ओर ऐसे लोग खड़े है, जो जो कोरोना संकट के कारण इन प्रवेश परीक्षाओं को टालना चाहते है। दूसरे वे लोग हैं, जो इन परीक्षाओं को कराना चाहते हैं । इसी संदर्भ में कल उत्तर प्रदेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश की राज्यपाल को ज्ञापन देने के लिए राजभवन गए। वहां क्या हुआ ? मैं उसकी तह में नही जाना चाहता । किंतु इतना कहना चाहता हूं कि उनके ऊपर लाठी चार्ज हो गया। इसके बाद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि कोरोना संकट काल में नीट और जेईई की परीक्षा कराने के भाजपा की केन्द्र सरकार के निर्णय के विरोध में लखनऊ में राजभवन के सामने प्रदर्शन कर रहे समाजवादी पार्टी के युवा संगठनों के शान्तिपूर्ण अहिंसक प्रदर्शन पर बर्बर लाठीचार्ज की निंदा करते हुए इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया है। भाजपा की राज्य सरकार का यह कृत्य अलोकतांत्रिक है और असहमति की आवाज को दबाने का संविधान विरोधी कदम है। भाजपा इससे बेनकाब हो गई है।
आज राजभवन पर सैकड़ों की संख्या में समाजवादी युवा प्रधानमंत्री जी को राज्यपाल महोदय द्वारा ज्ञापन देने के लिए राजभवन पर एकत्र हुए थे। ज्ञापन में मांग की गई है कि आज के संकट काल में नीट-जेईई परीक्षाएं कराना लाखों की जिन्दगी से खिलवाड़ होगा। ज्ञापन देने गए नौजवानों पर लाठीचार्ज पर लाठी चार्ज कर दिया ।
भाजपा सरकार ने शान्तिपूर्ण प्रदर्शन पर अपनी क्रूरता का नंगानाच कर युवाओं की आवाज को कुचलने का काम किया है। पुलिस ने लक्ष्य बनाकर युवा कार्यकर्ताओं पर अमानुषिक लाठीचार्ज किया है। पुलिस निर्दोषों पर लाठी चलाकर शायद अपने को गौरवान्वित महसूस करती है। भाजपा सरकार के लिए पुलिस लाठीचार्ज सुखी होने का क्षण होता है। इस सरकार को यह अन्यायपूर्ण आचरण मंहगा पड़ेगा। उन्होंने कहा कि नकारात्मक व हठधर्मी बदले की राजनीति करने वाली भाजपा व उसकी सहयोगी पार्टियों के खिलाफ देश में एक नई युवा क्रान्ति जन्म ले रही है।
परीक्षार्थियों तथा अभिभावकों के समर्थन में तथा परीक्षाओं और भाजपा के खिलाफ खुला पत्र लिखा है और कहा है कि जान के बदले एग्जाम, यह नहीं चलेगा। कोरोना महामारी का भय और असुविधा के कारण पूरी एकाग्रता से परीक्षा दे पाना सम्भव नहीं होगा। दुविधाग्रस्त स्थिति में नीट और जेईई के प्रतियोगी कैसे परीक्षा दे पाएंगे?
कोरोना व बाढ़ में जबकि बस, ट्रेन बाधित है तो बच्चे दूर-दूर से कैसे परीक्षा केन्द्रों पर पहुंचेंगे? गरीब ग्रामीण ही नहीं बल्कि वे मां-बाप भी पैसा कहां से लाएंगे जिनका रोजगार बाढ़ व कोरोना में छिन गया है।
अगर भाजपा गम्भीर हालात में परीक्षा कराने के हठ पर अड़ी है तो उसे परीक्षार्थियों के आने-जाने खाने-पीने व ठहरने का वैसा ही प्रबन्ध करना चाहिए जैसा वे विधायकों की खरीद फरोख्त के समय करती है। भाजपा का यह कथन हास्यास्पद है कि जब दूसरे कामों के लिए लोग घर से निकल रहे है तो वह परीक्षा क्यों नहीं दे सकते?
भाजपा सरकार बेरोजगारी से जूझ रहे युवा तथा कोरोना, बाढ़ एवं अर्थव्यवस्था की बदइंतजामी से त्रस्त गरीब, निम्न मध्यम वर्ग युवाओं और अभिभावकों के खिलाफ प्रतिशोधात्मक कार्रवाई कर रही है। भाजपाई सत्ता के मद में चूर होकर जनतांत्रिक मान्यताओं एवं अपने संवैधानिक दायित्व का भी निर्वहन नहीं कर रहे है।
इस संबंध में कुछ समविचारी देश की सबसे बड़ी अदालत में गए थे। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने भी कोरोना संक्रमण के समय तमाम जरूरी ऐतिहात बरतते हुए नीट और जेईई परीक्षा कराने का निर्देश दिया। लेकिन भाजपा ने अखिलेश यादव के इस विरोध आंदोलन का सीधे विरोध नही किया। समाजवादी पार्टी के इस विरोध प्रदर्शन के खिलाफ सौ से अधिक बुद्धिजीवी खड़े हुए। उन लोगों ने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिख कर इस बात की मांग की कि यथासमय और समस्त ऐतिहातों का पालन करते हुए नीट और जेईई की परीक्षाएं कराई जाए। इस आंदोलन का उनकी पार्टी और सरकार पर कोई प्रभाव न पड़े, इसलिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक संक्षिप्त बयान दिया कि कुछ लोग परीक्षा के नाम पर अपनी राजनीति चमकाना चाह रहे हैं । इसलिये विरोध कर रहे हैं ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रकट किए गए इस संक्षिप्त विचार के बाद यह तय हो गया कि नीट और जेईई की परीक्षायें समय से कराई जाएगी । मैं इस समय कोरोना - पर्यावरण जागरूकता अभियान शहीद सम्मान सायकिल यात्रा के तहत अमरोहा जिले में हूँ । मौके पर मैं एक पत्रकार के रूप में मौजूद नही था, लेकिन जो वीडियो मुझे देखने को मिला, उसमें आंदोलन कारियों को बुरी तरह पीटा जा रहा था। जो लोग नीट - जेईई परीक्षा न कराने के लिए राज्यपाल को ज्ञापन देने गए थे, ऐसा क्या हो गया कि उन्हें किसी गंभीर अपराधी की तरह बुरी तरह पीटा गया। इस पर सोशल मीडिया पर भी समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं द्वारा कड़ी प्रतिक्रिया भी पढ़ने को मिली। जो लोग ज्ञापन देने गए थे, उनसे सरकार डर गई हो, ऐसा तो नही है, उनका ज्ञापन ले लिया जाता और और आश्वासन दे दिया जाता कि ठीक है, इस पर विचार किया जाएगा। लेकिन ऐसा नही हुआ। लाठी चार्ज के क्या कारण रहे हैं, मैं यह तो नही जानता हूँ, लेकिन इतना जरूर जनता हूँ कि इससे भविष्य में एक बार फिर सपा के कार्यकर्ता जब भी कोई ज्ञापन देने जाएंगे, तो इस विश्वास के साथ जाएंगे कि उन पर लाठी चार्ज भी हो सकता है।
लेकिन इस लेख के माध्यम से मैं इतना कहना चाहता हूं कि उनके पक्ष को भी सुन कर सरकार को सारे ऐतिहातों के साथ परीक्षा कराना चाहिए। जिससे जिसकी आशंका समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता कर रहे हैं, वह सही साबित न हो जाये। बच्चों का भविष्य सुरक्षित रखना सरकार की जिम्मेदारी है। लेकिन भविष्य की सुरक्षा के लिए उनकी जान पर न बन आये, उसे वचाने की भी जिम्मेदारी है । इसलिए केंद्र और प्रदेश सरकार दोनों को अति सावधानी बरतने की जरूरत हैं । मैं तो इतना जानता हूँ कि दोनों चाहे वे समाजवादी हों, या सरकार, दोनों ही नीट और जेईई परीक्षार्थियों का कल्याण चाहती हैं ।
प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव
पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट