उत्तर प्रदेश की वर्तमान भाजपा सरकार पूर्ववर्ती समाजवादी सरकार की तर्ज पर बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे का निर्माण कर रही है। इसका शिलान्यास करने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद चल कर चित्रकूट आये थे और आप के संबोधन में उत्तर प्रदेश की इस महत्वकांक्षी योजना के संबंध में जनता को अपने उद्बोधन द्वारा अवगत कराया था। इस महत्त्वाकांक्षी योजना को समय से पूरा करने के लिए आवश्यक धनराशि की भी व्यवस्था की गई है ।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए यह एक महत्वपूर्ण योजना है जो चित्रकूट, झांसी हमीरपुर, बाँदा, इटावा, औरैया, जालौन होते हुए ताखा तहसील के उदरैल गांव के पास लखनऊ आगरा एक्सप्रेस वे के चैनल 133 पर जुड़ेगी।
अब मैं अपने मूल विषय पर आता हूँ। बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे में इटावा के ताखा तहसील की करीब 15 किलोमीटर लंबाई उपयोग हो रही है। जिस समय बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे के लिए जमीन अधिकृत की जा रही थी, इस समय सबंधित अधिकारियों द्वारा किसानो को यह आश्वासन दिया गया था कि मुआवजे के साथ आप लोगों को यहां से एक कट भी दिया जाएगा। जहां से आप चढ़ उत्तर सकेंगे। लेकिन अब जब बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे का निर्माण शुरू हो गया है, और वहां कोई कट न बनता देख वहां की जनता ने जब कार्यदायी संस्था के वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क किया, तो पता चला कि यहां किसी कट का कोई प्रस्ताव ही नही है । इससे यहां की स्थानीय जनता में आक्रोश छा गया। दूसरी ओर ताखा तहसील के तहसीलदार श्रीराम यादव के अनुसार उदरैल गांव के पास दोनो ओर दो गुणा दो किलोमीटर के दो पार्क बनाने का प्रस्ताव सरकार और शासन की ओर से आया है । मुश्किल यह हो रही है कि आसपास गांव होने की वजह से इतनी जमीन मिलना मुश्किल है। लेकिन यहां जितनी जमीन उपलब्ध है, उसके ब्यौरे के साथ प्रस्ताव बना कर भेज दिया गया है । जिस पर अंतिम निर्णय सरकार और शासन के बड़े अधिकारियों को करना है।
लेकिन कट न होने की वजह से यहां के किसान काफी उत्तेजित हैं। जब मैंने यहां के किसानों से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि यहां अगर कट नही दिया गया, तो हम लोगों को 15 किलोमीटर दूर चौपला कट से एक्सप्रेस वे पर चढ़ना पड़ेगा। जिसमें हमारा समय और पैसे दोनो का अपव्यय होगा। और हमारे जमीन में से इस एक्सप्रेस वे बनने के बाद भी कोई लाभ नही मिलेगा। ताखा तहसील मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है । इस कारण यहां के कुछ किसान इसे नेताजी की प्रतिष्ठा से जोस कर देख रहे है। उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जानबूझकर यहां कोई कट नही दे रहे हैं । इसे वे नेताजी मुलायम सिंह यादव का अपमान बता रहे हैं और कह रहे हैं कि वे जल्द ही इस सबंध में नेताजी से मिल कर पूरी स्थिति से अवगत कराएंगे। उन्हें आशा है कि इस संबंध में नेताजी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात करके यहां से कट की व्यवस्था करा देंगे। कुछ लोगों का कहना है कि अगर नेताजी के अनुरोध को अनदेखी किया गया, तो वे कट करवाने के लिए आंदोलन रत होने को बाध्य हो जाएंगे।
वहीं इस संबंध में जब कांग्रेस के पूर्व जिला अध्यक्ष उदयभान सिंह से चर्चा हुई, तो उन्होंने कहा कि जिस समय बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे के लिए जमीन अधिग्रहित की जा रही थी, उसी समय संबंधित अधिकारियों को कट बनाने का की वायदा नही करना चाहिए था। जिन किसानों ने सिर्फ इसलिये अपनी जमीन स्वेच्छा से दे दी कि बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे बन जाने के बाद उन्हें 15 - 20 किलोमीटर पीछे न जाकर यहीं से एक्सप्रेस वे पर चढ़ने को मिलेगा। वहां पर कट की व्यवस्था न होने पर यहां का किसान खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है। वैसे यह जगह मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में आती है । इस कारण उनके समर्थक यह भी कह रहे हैं कि जैसे ही नेताजी मुलायम सिंह यादव के संज्ञान में पूरा प्रकरण आएगा। वह बातचीत से हल हो जाएगा । लेकिन कांग्रेस ने इस कट को लेकर स्थानीय किसानों के साथ मेरी अध्यक्षता में कई बैठके हो चुकी है। जिसकी सूचना और अनुमति के लिए शीघ्र ही लिखा पढ़ी हो जाएगी । उनकी अनुमति मिले या न मिले, किसान आंदोलन करने के लिए संकल्पबद्ध हो चुका है। उन्होंने यह भी बताया कि कोरोना काल होने की वजह से वे ऐसा आन्दोलन तो नही करना चाहते । लेकिन अगर अभी आंदोलन नही किया गया, तो यहां कट की व्यवस्था नही हो पाएगी । लेकिन हमारी कोशिश रहेगी सभी आंदोलन रत किसान मुंह पर मास्क बांधे रहें या गमछा लपेटे रहें और साथ ही दो गज की दूरी का भी पालन करें । लेकिन इसका शत प्रतिशत पालन हो पायेगा, इसमें संदेह है ।
समस्या उतनी बड़ी नही है, जितना बड़ा इसे स्वरूप दिया जा रहा है । इस एक्सप्रेस वे बनाने के पीछे जो योगी सरकार की मंशा है, जिसका उल्लेख देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषणों में किया। उसके अनुसार बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे किसानों के हितों को ध्यान में रख कर बनाया जा रहा है। लेकिन सवाल यह है कि अगर कट ही नही दिया जाएगा, तो किसान इस पर अपने वाहन के साथ चढ़ेगा। मैं यह नही कहता कि हर गांव के पास कट दिए ही जाएं । लेकिन जहां तक इटावा की बात है, उस जिले में एक कट तो दिया ही जा सकता है। यह देना उनके लिये तब और जरूरी हो जाता है, जब जमीन ग्रहण करते समय उन्होंने कट देने का वायदा किया था।
इस संबंध में जब इस क्षेत्र के कुछ बुद्धिजीवियों से चर्चा हुई, तो उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने जब ताखा तहसील के उदरैल गांव के पास दोनों ओर 2 गुणा 2 किलोमीटर का औद्योगिक पार्क प्रस्तावित किया है, और उसके लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। ऐसे में कार्यदायी संस्था को कट देना उनकी मजबूरी हो जाएगी । अगर पहले से कट का प्रावधान नही होगा, तो औद्योगिक पार्क के प्रावधान के बाद कट की व्यवस्था हो जाएगी। जो तार्किक दृष्टि से उचित भी जान पड़ता है ।
कुछ भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को इस प्रकरण का संज्ञान लेकर ताखा मेँ कट बनाने की अधिकृत घोषणा कर देना चाहिए। जिससे किसानों के मन मे जो नाना प्रकार के विचार उठ रहे हैं । वे शांत हो सकें । ऐसे समय मे जब कोरोना संक्रमण बड़ी तेजी से फैल रहा है । किसी प्रकार का आंदोलन या भीड़ उचित नही है। किसानों को भी अपने इस कदम पर पुनर्विचार कर उनका पांच सदस्यीय एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले और पूरी बात उनके सामने रखे । जिससे समस्या का समाधान भी हो जाये और आंदोलन भी न करना पड़े।
प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव
पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट