समाजवादी पार्टी के जिला उपाध्यक्ष हाजी तालिब अंसारी ने ए आई एम आई एम के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी और पश्चिम बंगाल टी एम सी से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर को एक कड़वा, दूसरा नीम चढ़ा की संज्ञा देते हुए कहा कि आज के सांप्रदायिक राजनीतिक वातावरण में, जहाँ एक तरफ लोकतंत्र, इंसानियत, भाईचारा और सौहार्द का दम घुट रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ असदुद्दीन ओवैसी और हुमायूं कबीर जैसे लोग मुस्लिम क़यादत और पश्चिम बंगाल में बाबर के नाम पर बाबरी मस्जिद तामीर जैसे संवेदनशील मुद्दों पर समाज को विभाजित कर रहे हैं।नफरत की हवाओं को नफरती सुनामी में बदलने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि बिहार विधानसभा चुनाव की तरह पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव में कुछ मुस्लिम बहुल सीटों पर विधायक जितवाकर वोटों का ध्रुवीकरण किया जाए और सांप्रदायिक शक्तियों को फायदा पहुँचाया जाए।हाजी तालिब अंसारी ने कहा कि हुमायूं कबीर 2019 में भाजपा के टिकट पर मुरशिदाबाद लोकसभा चुनाव लड़कर हार चुके हैं। उनका भाजपा से पुराना संबंध जगजाहिर है। वहीं, सलार-ए-मिल्लत सलाहुद्दीन ओवैसी के बेटे और AIMIM के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी गठबंधन दलों के खिलाफ तीखे बयान देते हैं, जबकि उनके पिता का कांग्रेस से पुराना राजनीतिक संबंध रहा है।
उन्होंने सवाल किया कि ओवैसी साहब और उनके नेता एक तरफ समाजवादी पार्टी के खिलाफ जहर उगलते हैं और दूसरी तरफ गठबंधन की उम्मीद रखते हैं – आखिर क्यों? दरअसल,उन्होंने साफ कहा कि इन नेताओं का मकसद मुस्लिम समुदाय को असली क़यादत या बाबरी मस्जिद जैसे मुद्दों से नहीं, बल्कि इन विवादास्पद विषयों पर माहौल बिगाड़कर सांप्रदायिक शक्तियों को मजबूत करना है।ये भाजपा की बी-टीम नहीं, बल्कि खुले तौर पर ध्रुवीकरण की राजनीति कर रहे हैं, जिससे मुस्लिम समुदाय भड़कता है और देश का भाईचारा-सौहार्द बिगड़ता है।
उन्होंने अवाम से अपील करते हुए कहा ऐसे लोगों से देश की जनता को सतर्क रहना चाहिए और भाईचारा बनाए रखना चाहिए।उन्होंने समाजवादी पार्टी के संदर्भ में कहा कि आज देश में केवल समाजवादी पार्टी और इसके मुखिया अखिलेश यादव ही सड़क से सदन तक सांप्रदायिक शक्तियों से लड़ रहे हैं। वे गठबंधन दलों की निस्वार्थ मदद कर रहे हैं। बिहार में गठबंधन उम्मीदवारों के समर्थन में रैलियाँ और रोड शो किए, जबकि सपा ने वहाँ कोई उम्मीदवार नहीं उतारा।अगर ओवैसी साहब सांप्रदायिक शक्तियों को हराना चाहते हैं, तो अपना नफरती एजेंडा छोड़कर बिना शर्त गठबंधन का समर्थन करें और हुमायूं कबीर किसी दूसरे नाम से मस्जिद तामीर करें तो ज्यादा बेहतर रहेगा।