UIDAI ने मृतक आधार नंबरों की पहचान के लिए देशभर में अभियान शुरू किया

Update: 2025-11-13 10:58 GMT

राज्यों से मांगे गए रिकॉर्ड, पहचान प्रणाली को पारदर्शी और सुरक्षित बनाने की पहल

डेस्क रिपोर्ट : विजय तिवारी | नई दिल्ली

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने आधार प्रणाली की सटीकता और विश्वसनीयता को मजबूत बनाने के लिए देशव्यापी सत्यापन अभियान की शुरुआत की है।

इस अभियान का उद्देश्य उन व्यक्तियों के आधार नंबरों की पहचान और निष्क्रियता सुनिश्चित करना है, जिनका निधन हो चुका है लेकिन उनके आधार अभी भी सक्रिय हैं।

UIDAI का मुख्य उद्देश्य — पारदर्शी और अद्यतन डेटा

जनवरी 2009 में आधार योजना शुरू होने के बाद अब तक देशभर में 142 करोड़ से अधिक आधार नंबर जारी किए जा चुके हैं।

आंकड़ों के अनुसार, करीब 8 करोड़ आधार धारकों की मृत्यु हो चुकी है, लेकिन केवल 1.83 करोड़ कार्ड ही अब तक निष्क्रिय किए जा सके हैं।

यानी लगभग 6 करोड़ मृत व्यक्तियों के आधार नंबर अब भी सक्रिय हैं।

पश्चिम बंगाल में सर्वाधिक 34 लाख मृतक आधार कार्ड अभी भी सक्रिय बताए गए हैं, जिससे बैंकिंग धोखाधड़ी, फर्जी खातों और सरकारी योजनाओं में गड़बड़ी की आशंका बनी हुई है।

राज्यों से मांगा गया मृत्यु पंजीकरण डेटा

UIDAI ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (CRS) के तहत मृत्यु प्रमाणपत्रों का डेटा साझा करने को कहा है।

UIDAI के CEO भुवनेश कुमार के अनुसार, अब तक भारत के महापंजीयक (RGI) से 1.55 करोड़ मृतकों का डेटा प्राप्त हुआ है।

नवंबर 2024 से सितंबर 2025 के बीच 38 लाख नए रिकॉर्ड जोड़े गए, जिनमें से 1.17 करोड़ की पहचान की पुष्टि कर उनके आधार निष्क्रिय कर दिए गए।

UIDAI का लक्ष्य दिसंबर 2025 तक 2 करोड़ मृतक आधार नंबरों को निष्क्रिय करने का है।

“मृतक सूचना सेवा” से परिवारजन कर सकेंगे सूचना साझा

UIDAI ने हाल ही में “मृतक सूचना सेवा (Deceased Member Information Service – DMIS)” शुरू की है।

इस सुविधा के माध्यम से परिवारजन किसी सदस्य की मृत्यु की जानकारी ऑनलाइन देकर उनके आधार को निष्क्रिय करा सकते हैं।

अब तक करीब 3,000 नागरिकों ने इस सेवा का उपयोग किया है, जिनमें से 500 मामलों में सत्यापन के बाद आधार निष्क्रिय किए गए हैं।

दुरुपयोग की संभावना और UIDAI की चेतावनी

UIDAI के CEO ने कहा —

> “जहां मोबाइल OTP आधारित ऑथेंटिकेशन होता है, वहां मृतकों के कार्ड के दुरुपयोग की संभावना रहती है। यह बैंक खाता खोलने या सरकारी सेवाओं में इस्तेमाल किया जा सकता है।”

उन्होंने यह भी माना कि देश में मृत्यु पंजीकरण प्रणाली अब भी कमजोर है।

फिलहाल केवल 25 राज्यों से ही डिजिटल मृत्यु रिकॉर्ड उपलब्ध हो रहे हैं, जबकि बाकी राज्यों से डेटा संग्रह जारी है।

डेटा सत्यापन में चुनौतियाँ

UIDAI के अनुसार, अब तक 48 लाख रिकॉर्ड का सटीक मिलान नहीं हो सका है।

करीब 4–5% रिकॉर्ड क्षेत्रीय भाषाओं में होने के कारण सत्यापन में कठिनाई आ रही है।

सत्यापन प्रक्रिया के दौरान 80 ऐसे मामले भी सामने आए, जिनमें मृत घोषित व्यक्ति जीवित पाए गए। इन मामलों की जांच चल रही है।

100 वर्ष से अधिक आयु वाले आधार धारकों की समीक्षा

UIDAI के डेटाबेस में 8.3 लाख ऐसे आधार नंबर दर्ज हैं जिनके धारक 100 वर्ष से अधिक आयु के हैं।

इनमें सबसे अधिक—

महाराष्ट्र : 74,000

उत्तर प्रदेश : 67,000

आंध्र प्रदेश : 64,000

तेलंगाना : 62,000 से अधिक

अब तक राज्यों ने इनमें से 3,086 मामलों की पुष्टि की है — जिनमें 629 जीवित, 783 मृत, और 1,674 अस्पष्ट पाए गए हैं।

बैंक और योजनाओं में गड़बड़ी के संकेत

UIDAI की जांच में पाया गया कि मृत व्यक्तियों के सक्रिय आधार कई जगह उपयोग में हैं —

SBI के 22 करोड़ आधार-लिंक्ड खातों में से 8 लाख मृतकों के खाते बंद किए गए।

PNB में 14 करोड़ खातों में से 4 लाख खातों की मृत्यु पुष्टि हुई।

राशन कार्ड सत्यापन में 4.5 लाख मृतकों के कार्ड सक्रिय मिले।

पेंशन योजनाओं में 22 लाख मृतक लाभार्थी चिन्हित हुए।

बीमा कंपनियों को भी करीब 5 लाख मृतकों का डेटा मिला है।

तकनीकी सत्यापन और डेटा सुरक्षा

UIDAI ने बताया कि मृतक आधार नंबरों की पहचान के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और डेटा मिलान तकनीक (Data Matching Tools) का उपयोग किया जा रहा है।

सभी सूचनाएं डेटा प्राइवेसी मानकों के तहत सुरक्षित रखी जा रही हैं।

UIDAI की अपील

UIDAI ने नागरिकों से अपील की है कि परिवार में किसी सदस्य के निधन की स्थिति में “मृतक सूचना सेवा” के माध्यम से सूचना दें, ताकि उनका आधार निष्क्रिय किया जा सके।

यह कदम न केवल पहचान प्रणाली को पारदर्शी बनाएगा, बल्कि बैंकिंग फ्रॉड, सब्सिडी दुरुपयोग और फर्जी खातों की रोकथाम में भी मदद करेगा।

UIDAI का यह राष्ट्रीय अभियान भारत की पहचान प्रणाली को जन्म से मृत्यु तक अद्यतन और विश्वसनीय बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम साबित हो सकता है।

यह पहल देश में डिजिटल पारदर्शिता, डेटा सुरक्षा और नागरिक विश्वास को नई ऊँचाई पर ले जाने की क्षमता रखती है।

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