जल जीवन मिशन में गड़बड़ियां उजागर : PM मोदी का सख्त निर्देश — कार्रवाई से पहले एक पैसा नहीं

Update: 2025-11-25 12:59 GMT

रिपोर्ट : विजय तिवारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के महत्वाकांक्षी जल जीवन मिशन में सामने आई अनियमितताओं पर कड़ा रुख अपनाया है। उच्च सरकारी सूत्रों के अनुसार, पीएम मोदी ने यह स्पष्ट निर्देश दिया है कि—

“जहां भी गड़बड़ी साबित हो, वहां दोषियों पर कठोर कदम उठाए जाएं। कार्रवाई पूरी होने तक केंद्र से कोई अतिरिक्त फंड जारी नहीं किया जाएगा।”

पीएम मोदी ने कहा है कि जल जीवन मिशन भ्रष्टाचार से मुक्त होना चाहिए और जीरो टॉलरेंस नीति के तहत ही इसे आगे बढ़ाया जाएगा।

इस मामले में जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल भी पहले ही साफ कर चुके हैं कि— “दोषियों को किसी भी हाल में नहीं छोड़ा जाएगा।”

देशव्यापी ऑडिट में खुलासा: 607 मामले, 621 अफसर-969 ठेकेदारों पर कार्रवाई

जल जीवन मिशन में अनियमितताओं की शिकायतों के बाद केंद्र सरकार ने सभी राज्यों में CNO (Central Audit Officers) की टीम भेजकर व्यापक ऑडिट कराया था।

इन अधिकारियों की रिपोर्ट आने के बाद राज्य सरकारों से विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट मांगी गई।

अब तक 20 राज्यों ने एक्शन-टेकन रिपोर्ट भेजी है, जिनमें शामिल हैं :

असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, लद्दाख, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, ओडिशा, राजस्थान, त्रिपुरा, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पंजाब और पश्चिम बंगाल।

607 मामलों में गड़बड़ी पाई गई।

621 विभागीय अधिकारियों, 969 ठेकेदारों और 153 थर्ड-पार्टी इंस्पेक्शन एजेंसी पर कार्रवाई।

20 अफसर, 10 ठेकेदार और 1 TPIA के खिलाफ FIR

एक पूर्व मंत्री सहित 10 अधिकारी और 8 ठेकेदार गिरफ्तार

राजस्थान में पूर्व मंत्री महेश जोशी की गिरफ्तारी विशेष रूप से चर्चित

कई राज्यों में लगभग 12 करोड़ रुपये की वसूली भी -

कार्रवाई महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, हरियाणा और मिजोरम जैसे राज्यों में की गई है।

12 राज्य पूरी तरह क्लीन—कोई गड़बड़ी नहीं मिली

जिन राज्यों से कोई अनियमितता सामने नहीं आई, वे हैं —

अंडमान-निकोबार, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, बिहार, दमन-दीव व दादरा-नगर हवेली, गोवा, हिमाचल प्रदेश, लक्षद्वीप, मिजोरम, पुड्डुचेरी, सिक्किम और तेलंगाना।

81% घरों तक पहुंचा नलजल, लेकिन 14–16% कनेक्शन फंक्शनल नहीं पाए गए।

ऑडिट में यह भी सामने आया कि कई राज्यों ने केवल पाइपलाइन और कनेक्शन तो दे दिए, लेकिन—

नियमित पानी की सप्लाई नहीं थी

प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 55 लीटर की शर्त पूरी नहीं हुई

BIS 10500 स्टैंडर्ड के अनुरूप पानी की गुणवत्ता नहीं मिली

2022–24 के बीच हुई जांच में लगभग 14–16% कनेक्शन फंक्शनल नहीं मिले।

2019 से शुरू हुआ मिशन, अब 2028 तक बढ़ा — कुल लागत 3.6 लाख करोड़

15 अगस्त 2019 को लॉन्च किए गए जल जीवन मिशन का लक्ष्य था—

हर ग्रामीण परिवार के घर तक सुरक्षित नलजल पहुंचाना।

मिशन की मूल लागत : 3.6 लाख करोड़ रुपये

केंद्र सरकार का हिस्सा : 2.08 लाख करोड़ रुपये

अब मिशन को 2028 तक बढ़ाया गया है।

अब तक 4.33 लाख करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, अतिरिक्त 73 हजार करोड़ भी लगे।

पीएम मोदी ने कहा था:

“सिर्फ बस्ती में पानी पहुंचाना काफी नहीं, हर घर में नल से स्वच्छ जल पहुँचना चाहिए।”

अब नियम सख्त : लम्पसम फंडिंग बंद – डिजिटल डेटा के बाद ही पैसा

केंद्र ने अब जल जीवन मिशन के लिए नया तंत्र लागू किया है—

राज्यों को लम्पसम फंड नहीं मिलेगा

हर जिले की डिजिटल मॉनिटरिंग

हर गांव की पाइप सप्लाई को यूनिक ID

ओ एंड एम (Operation & Maintenance) के लिए 19 मानक

कॉन्ट्रैक्टर द्वारा खरीदी गई सामग्री तक का डिजिटल रिकॉर्ड

24 राज्यों ने नई O&M पॉलिसी अपनाई है।

केंद्र का नया नियम :

“राज्य डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पूरा डेटा अपलोड करेंगे। उसी के आधार पर फंड जारी होगा।”

PM मोदी का अंतिम निर्देश : कार्रवाई पूरी होने तक कोई मंजूरी नहीं

सूत्रों के मुताबिक, जो राज्य अभी तक अपनी एक्शन रिपोर्ट नहीं भेज पाए हैं, उनसे जल्द रिपोर्ट मांगी गई है।

इन रिपोर्टों के बाद प्रधानमंत्री मोदी के समक्ष पूरी स्थिति रखी जाएगी, तभी आगे की फंडिंग पर अंतिम फैसला होगा।

केंद्र के रुख का सार :

पहले दोषियों पर कार्रवाई

फिर जांच रिपोर्ट

उसके बाद ही फंड रिलीज

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