दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई तक पैसा मत दो... जल जीवन मिशन में गड़बड़ी पर पीएम मोदी सख्त

Update: 2025-11-25 12:11 GMT

हर घर नल से जल पहुंचाने के महत्वाकांक्षी जल जीवन मिशन में कई राज्यों में गड़बड़ियों की शिकायत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कड़ा रुख अपनाया है. आला सरकारी सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी ने जल शक्ति मंत्रालय को निर्देश दिया है कि जहां-जहां गड़बड़ी की शिकायतें आई हैं. वहां सख्त कार्रवाई की जाए. साथ ही, पीएम मोदी ने यह भी निर्देश दिया है कि जब तक संबंधित राज्य सरकारें ऐसे मामलों में कार्रवाई नहीं करती, तब तक केंद्र सरकार अपनी ओर से इस मिशन के लिए एक पैसा भी जारी न करे.

प्रधानमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस के साथ आगे बढ़ा जाए और जो भी दोषी हों उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. वहीं जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल भी कह चुके हैं कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.

दरअसल, जल जीवन मिशन में गड़बड़ी की शिकायतें मिलने के बाद पूरे देश में ऑडिट के लिए सीएनओ यानी सेंट्रल ऑडिट ऑफिसर्स को ट्रेनिंग देकर भेजा गया था. उन्होंने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. इनकी रिपोर्ट आधार पर राज्य सरकारों से कार्रवाई करने को कहा गया था. अभी तक 20 राज्यों असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, लद्दाख, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, ओडिशा, राजस्थान, त्रिपुरा, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पंजाब और पश्चिम बंगाल ने ऐसी शिकायतों पर ऐक्शन टेकन रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी है.

इन राज्यों में गड़बड़ी के 607 मामले पाए गए, जिनमें विभाग के 621 अधिकारियों, 969 ठेकेदार और 153 थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई की गई है. राजस्थान में तो एक पूर्व मंत्री महेश जोशी की गिरफ्तारी भी की गई है. अभी तक 20 अफसरों, 10 ठेकेदारों और एक टीपीआईए के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई है. इन मामलों में एक पूर्व मंत्री, दस अधिकारियों और आठ ठेकेदारों की गिरफ्तारी भी हुई है.

आला सूत्रों के अनुसार, ये कार्रवाई महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, हरियाणा और मिजोरम में की गई हैं. इसके अलावा कई राज्यों में जुर्माने के जरिए करीब 12 करोड़ रुपए की वसूली भी की गई है. ऐसे 12 राज्य हैं, जहां से किसी गड़बड़ी की बात सामने नहीं आई है. ये हैं अंडमान निकोबार द्वीप समूह, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, बिहार, दमन दीव और दादर नागर हवेली, गोवा, हिमाचल प्रदेश, लक्षद्वीप, मिजोरम, पुड्डुचेरी, सिक्किम और तेलंगाना.

जल जीवन मिशन

पीएम मोदी ने कहा था कि केवल बस्ती में पानी देने से काम नहीं चलेगा, सबके घर में पानी जाना चाहिए. इसी के बाद केंद्र सरकार ने 15 अगस्त 2019 को जल जीवन मिशन की शुरुआत की थी. इस काम को पूरा करने के लिए राज्यों के पास संसाधनों की कमी थी. वैसे 2019 से पहले भी कुछ कार्यक्रम थे, जैसे स्वजलधारा, राजीव गांधी पेयजल मिशन आदि.

तब ट्यूबवेल लगाने की बात थी सौ डेढ़ सौ घरों के बीच एक. लेकिन यह तय हुआ कि काम देश का है. इसलिए किया जाएगा. इस मिशन को लागू राज्यों को करना है. केंद्र मदद कर रहा है. यह मिशन 3.6 लाख करोड़ रुपए का था, जिसमें केंद्र सरकार ने 2.08 लाख करोड़ रुपए दिए. अब इसे 2028 तक बढ़ाया गया है, जिसके लिए केंद्र सरकार और मदद देगा. लेकिन यह स्पष्ट कर दिया गया है कि जब तक दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती है, तब तक केंद्र सरकार की ओर से एक पैसा भी नहीं दिया जाएगा. इस बारे में की गई कार्रवाई की जानकारी मिलने के बाद ही कैबिनेट आगे के पैसे को मंजूरी देगी.

मन की बात में पीएम मोदी ने इसका ज़िक्र किया था और कहा था कि चाहे बहुत ही सुदूर का इलाका या कठिन भौगोलिक क्षेत्र हो, वहां पानी पहुंचाना होगा. हालांकि कोविड के कारण काम में देरी हुई है. ताजा आंकड़ों के अनुसार 81% घरों में कनेक्शन पहुंच गया है. इस मिशन में शर्त यह है कि कनेक्शन फ़ंक्शनल हो- रेग्युलर पानी हो, 55 प्रति व्यक्ति प्रति दिन मिले और बीआईएस 10500 स्टैंडर्ड पानी की शुद्धता सुनिश्चित की जाए.

कई राज्यों ने केवल कनेक्शन दे दिए. इसके बाद केंद्र सरकार ने चेकिंग की। यह 2022-24 तक की गई. इसमें 14-16% जगह फ़ंक्शनलिटी नहीं रही है. पीएम ने पांच साल में इस मिशन को पूरा करने को कहा था. स्पीड और स्केल पर काम करने को कहा था.

राज्य अतिरिक्त फंड मांग रहे थे, लेकिन इसी बीच शिकायतें मिलनी शुरू हुईं. इसके बाद जांच करने का फैसला किया गया. पीएम का निर्देश था कि और सपोर्ट करने से पहले जो शिकायतें आ रही हैं, उन्हें देखा जाए. पीएम ने कहा कि मिशन पीरियड पूरा हो चुका है. पहले जांच करो. फिर निर्णय करेंगे. यह भी कहा गया कि केंद्र सरकार आगे सपोर्ट करेगी, लेकिन पहले शिकायतें दूर की जाएं. राज्यों को भी सीएनओ की रिपोर्ट शेयर की गई. राज्य भी मानते हैं कि शिकायतें दूर होना जरूरी है. राज्यों से पूछा गया कि क्या कार्रवाई हुई.

आला सूत्रों के मुताबिक, यह अच्छी बात है कि सभी राज्यों ने राजनीतिक विचारधारा के बावजूद सहयोग किया, क्योंकि इनमें ऐसे कई राज्य हैं जहां विपक्षी दलों का शासन है. अब केंद्र सरकार ने गड़बडी दूर करने के साथ ही अगले 30 साल के लिए ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस का तंत्र बनाने का निर्देश भी दिया है. अब निर्माण में तकनीक की मदद लेनी है. डेटा शेयरिंग करनी है. ओएंडएम के लिए 19 पैमाने तय किए गए हैं. 24 राज्यों ने इस पॉलिसी को अडॉप्ट कर लिया है. हर गांव की पाइप सप्लाई की आईडी बनाई जाएगी. डिजिटल पब्लिक इन्फ़्रास्ट्रक्चर बन जाएगा, जिसके आधार पर काम होगा. उदाहरण के लिए जो असेट बने हैं. ठेकेदार के कितने पैकेज यूज हुए हैं, यह पता रहेगा.

अभी तक 4.33 लाख करोड़ का खर्चा हो चुका है. अतिरिक्त 73 हजार करोड़ खर्च किया गया. कुछ राज्यों ने काम जारी रखा है. जब राज्यों से ऐक्शन टेकन रिपोर्ट मिल जाएगी, तब पीएम के सामने रखी जाएंगी. कुछ राज्यों ने अभी तक नहीं दी है. फिर रिव्यू होगा और आगे के फंड के बारे में फैसला होगा. केंद्र सरकार ने यह भी तय किया है कि अब स्कीम के हिसाब से पैसा देंगे, लंपसम नहीं देंगे. राज्यों को डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर डेटा डालना होगा और वह डेटा आने के बाद पैसा दिया जाएगा.

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