रिपोर्ट : विजय तिवारी
नई दिल्ली :
संसद के शीतकालीन सत्र का आज का दिन राजनीतिक रूप से बेहद अहम साबित हो रहा है। एक ओर लोकसभा में चुनाव सुधारों और Special Intensive Revision (SIR) को लेकर 10 घंटे की लंबी, तीखी बहस जारी है, वहीं दूसरी ओर राज्यसभा में राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम्’ पर विशेष चर्चा गूंज रही है। दोनों सदनों में बहस का तापमान इतना ऊँचा है कि इसे सत्र की निर्णायक बहस माना जा रहा है।
लोकसभा : SIR और चुनाव सुधारों पर जोरदार टकराव
आज लोकसभा में SIR के मुद्दे पर सरकार और विपक्ष आमने-सामने हैं।
विपक्ष ने SIR को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं और आरोप लगाया है कि वोटर-लिस्ट के पुनरीक्षण की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है।
विपक्ष का दावा है कि बड़ी संख्या में वास्तविक मतदाता सूची से बाहर किए जा सकते हैं, जिससे लोकतंत्र प्रभावित होगा।
बहस की शुरुआत विपक्ष की ओर से राहुल गांधी ने की, जिन्होंने कहा कि चुनाव सुधार जरूरी हैं, लेकिन “किसी भी सुधार की आड़ में मतदाता अधिकारों से समझौता नहीं होना चाहिए।”
सरकार की ओर से जवाब देते हुए नेताओं ने कहा कि -
SIR चुनाव आयोग द्वारा संचालित संवैधानिक प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य मतदाता सूची को सटीक, आधुनिक और त्रुटि-रहित बनाना है।
सरकार ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह देश की चुनाव प्रणाली और सुधार की जरूरत को राजनीतिक चश्मे से देख रहा है।
सत्ता पक्ष का कहना है कि “लोकतांत्रिक संरचना मजबूत करना, विवाद पैदा करना नहीं—इस बहस का लक्ष्य होना चाहिए।”
सदन में कई बार नारेबाजी और हंगामा भी हुआ, लेकिन बहस जारी रही।
राज्यसभा : वंदे मातरम् पर ऐतिहासिक विमर्श
राज्यसभा में आज राष्ट्रगीत “वंदे मातरम्” की 150वीं वर्षगांठ के मौके पर विशेष चर्चा हुई।
बहस की शुरुआत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने की। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् आज़ादी के आंदोलन का आत्मा स्वरूप गीत था और इसे राजनीतिक विवादों से ऊपर उठकर सम्मान मिलना चाहिए।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि वंदे मातरम् के साथ इतिहास ने अन्याय किया है, अब समय है कि इसे सही स्थान दिलाया जाए।
वहीं कुछ विपक्षी नेताओं ने कहा कि -
राष्ट्रीय गीत का सम्मान सब करते हैं, लेकिन इसे दबाव या राजनीतिक परीक्षा के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि किसी नागरिक को राष्ट्रभक्ति साबित करने का प्रमाणपत्र लेने की आवश्यकता नहीं।
सदन में अलग-अलग दृष्टिकोणों ने बहस को रोचक और संवेदनशील बना दिया।
क्यों महत्वपूर्ण है आज की दोहरी बहस
बहस का विषय महत्व -
SIR / चुनाव सुधार मतदाता सूची की शुचिता, लोकतंत्र की विश्वसनीयता, हर वोट की सुरक्षा
वंदे मातरम् राष्ट्रीय पहचान, सांस्कृतिक विरासत का सम्मान, इतिहास का मूल्यांकन
आज की बहस इस सवाल को केंद्र में लेकर आई है कि—
क्या हमारी लोकतांत्रिक प्रणाली मजबूत हो रही है या राजनीतिक ध्रुवीकरण बढ़ रहा है?
और
क्या राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान भावनाओं से होगा या राजनीतिक दांव-पेंच से?
आगे क्या?
SIR पर बहस के बाद सरकार और विपक्ष के बीच न्यूनतम आम सहमति बनने की कोशिश होगी।
क्या वंदे मातरम् पर सदन कोई प्रस्ताव या सर्वसम्मति बना पाएगा—इस पर सबकी नजरें टिक गई हैं।
विपक्ष का इशारा था कि सरकार भावनात्मक मुद्दों से मूल प्रश्नों को ओवरशैडो कर रही है, जबकि सरकार इसे राष्ट्र-निर्माण का अवसर बता रही है।
आज संसद में कानून, लोकतंत्र, संस्कृति और इतिहास—सब एक साथ टकराते दिखाई दिए।
एक ओर वोट के अधिकार की बहस, दूसरी ओर राष्ट्र मन की धड़कन का प्रतीक वंदे मातरम्—देश दोनों मोर्चों पर जवाब चाहता है और संसद उसके केंद्र में है।