भारत-रूस संबंधों में नया आयाम — राष्ट्रपति पुतिन दो दिवसीय दौरे पर दिल्ली पहुंचे

Update: 2025-12-05 05:41 GMT

रिपोर्ट : विजय तिवारी

नई दिल्ली।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका एयरपोर्ट पर गर्मजोशी से स्वागत किया। दोनों नेताओं के बीच यह मुलाकात ऐसे समय पर हो रही है जब दुनिया तेज़ी से बदलते भू-राजनीतिक समीकरणों से गुजर रही है, ऊर्जा बाज़ार पुनर्गठित हो रहे हैं और शक्ति-संतुलन का नया दौर शुरू हो चुका है।

इस दौरे को रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इसमें रक्षा, ऊर्जा, व्यापार और हाई-टेक सहयोग जैसे संवेदनशील मुद्दों पर बड़े फैसले होने की उम्मीद है।

पुतिन का स्पष्ट संदेश — “भारत भरोसेमंद मित्र, पीएम मोदी किसी दबाव में नहीं आते”

रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि भारत आज एक शक्तिशाली देश है और वैश्विक मंच पर निर्णायक भूमिका निभा रहा है।

उन्होंने दो टूक कहा—

“भारत आज किसी के दबाव में नहीं आता। प्रधानमंत्री मोदी स्वतंत्र निर्णय लेते हैं और यह भारत की ताकत है। जो देश वर्षों पहले भारत से आदेश की मुद्रा में बात करते थे, वह अब सम्मान की भाषा में बात करने पर मजबूर हैं।”

पुतिन ने कहा कि विश्व व्यवस्था में तेज़ बदलाव के बीच रूस और भारत की साझेदारी स्थिरता और शांति के लिए महत्वपूर्ण है।

ऊर्जा सहयोग — विश्व तेल बाज़ार में भारत का प्रभाव बढ़ा

रूस के साथ ऊर्जा साझेदारी पर पुतिन ने कहा कि दोनों देशों के संबंध किसी राजनीतिक दबाव से प्रभावित नहीं होते।

उन्होंने बताया :

भारत रूस से किफायती कीमतों पर तेल खरीदकर यूरोपीय बाजारों में सप्लाई कर रहा है।

यह कई देशों को असहज कर रहा है क्योंकि भारत ऊर्जा बाजार में अग्रणी सप्लायर बन चुका है।

भारत में रूसी कंपनी द्वारा अधिग्रहीत रिफाइनरी में 20 बिलियन डॉलर से अधिक निवेश सबसे बड़े विदेशी निवेशों में से एक है।

यह स्पष्ट संकेत है कि भारत-रूस संबंध आज आर्थिक स्वायत्तता के नए मॉडल प्रस्तुत कर रहे हैं।

रक्षा साझेदारी — केवल खरीद नहीं, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की मिसाल

पुतिन ने कहा कि रूस-भारत रक्षा सहयोग दुनिया में अपनी तरह का अनोखा मॉडल है।

दोनों देश मिलकर बना रहे हैं —

ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल

टी-90 टैंक

कलाश्निकोव राइफल

जंगी जहाज, पनडुब्बियाँ और एयरक्राफ्ट सिस्टम -

“हम केवल हथियार नहीं बेचते, बल्कि भारत को टेक्नोलॉजी सौंपते हैं — यह विश्वास की गहराई का संकेत है।”

रक्षा विश्लेषकों के अनुसार, बातचीत में S-400 एयर डिफेंस सिस्टम, Su-57 स्टेल्थ फाइटर जेट और संयुक्त फाइटर प्रोजेक्ट पर भी चर्चा की संभावना है।

व्यापार और मुद्रा प्रणाली — डॉलर निर्भरता से बाहर नया आर्थिक ढाँचा

दोनों देशों के बीच 90% से अधिक लेन-देन राष्ट्रीय मुद्राओं (रुपया-रूबल) में हो रहा है।

बैंक-टू-बैंक ट्रांज़ैक्शन सिस्टम को मजबूत बनाने पर कार्य चल रहा है ताकि पश्चिमी प्रतिबंधों या डॉलर आधारित दबावों का प्रभाव खत्म किया जा सके।

यह वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है।

ग्लोबल साउथ के लिए 100 बिलियन डॉलर निवेश प्लेटफॉर्म का प्रस्ताव

पुतिन ने उभरते देशों के लिए ग्लोबल साउथ डेवलपमेंट फंड का प्रस्ताव दिया — जिसकी क्षमता 100 बिलियन डॉलर होगी और जो इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली के आधार पर व्यापार का नया मॉडल प्रस्तुत करेगा।

भारत-चीन पर बयान — “दोनों मित्र देश, हस्तक्षेप का प्रश्न नहीं”

उन्होंने साफ कहा कि भारत और चीन दोनों रूस के करीबी मित्र हैं और वे सीमा व विवादों को संवाद से हल कर सकते हैं।

“दोनों नेता बुद्धिमान हैं और समाधान खोज निकालेंगे। हमें हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है।”

भूराजनीति का संकेत — विश्व शक्ति संरचना में भारत निर्णायक

विश्लेषकों का कहना है कि यह दौरा तीन बड़े संदेश देता है।

1. भारत अब वैश्विक संतुलन का केंद्रीय स्तंभ बन चुका है

2. पश्चिमी दबाव के बावजूद रूस-भारत साझेदारी अडिग

3. एशिया-केंद्रित भविष्य का नया शक्ति-मानचित्र तैयार हो रहा है

प्रधानमंत्री मोदी का वक्तव्य

प्रधानमंत्री ने कहा—

“मेरे मित्र राष्ट्रपति पुतिन का भारत में स्वागत कर प्रसन्न हूं। हमारी बातचीत भविष्य में प्रगति और सहयोग के नए अवसर खोलेगी। भारत-रूस मित्रता ने हमेशा दोनों देशों के लोगों को लाभ पहुंचाया है।”

भारत और रूस की साझेदारी अब भविष्य-निर्माण की वैश्विक रणनीति बन चुकी है

ऊर्जा, रक्षा, व्यापार और टेक्नोलॉजी में बड़े समझौते संभव

पुतिन का स्पष्ट संदेश — भारत विश्व नेतृत्व के केंद्र में है

प्रधानमंत्री मोदी की नीति — दबाव नहीं, निर्णय-स्वतंत्रता और राष्ट्रीय हित प्रथम

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