UP में बदल जाएगा सरकार और संगठन का स्वरूप

Update: 2025-06-27 10:12 GMT

उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी की रणनीति तैयार है, लेकिन इस बीच अगले प्रदेश अध्यक्ष का इंतजार है. अध्यक्ष के ऐलान में देरी का असर विधानसभा चुनावों की तैयारियों पर भी पड़ सकता है. बीजेपी के साथ-साथ प्रदेश की नजर समाजवादी पार्टी की तैयारियों पर भी है. बीजेपी नेताओं का मानना है कि बीजेपी लोकसभा चुनाव की गलतियों से बचने के लिए संगठन और सरकार पर जल्द फैसला लेना जरूरी है.

हालांकि ऐसा माना जा रहा है कि यूपी में जल्द ही संगठन और सरकार का नया स्वरूप नजर आएगा. इस नए स्वरूप पर 2024 लोकसभा चुनाव के खराब नतीजों से बीजेपी सबक लेती दिखेगी.

पार्टी की कोशिश है कि 2027 विधानसभा चुनाव में 2024 लोकसभा चुनाव की गलतियां न हो. इस समय बस प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष के नाम का इंतजार हो रहा है. राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति से पहले यूपी प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति होगी. सूत्रों के मुताबिक एक बार प्रदेश संगठन का चुनाव संपन्न होने के बाद संगठन और सरकार का स्वरूप बदलेगा.

कब होगा यूपी में मंत्रिमंडल का विस्तार?

सरकार की बात करें तो प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के बाद जल्द ही यूपी मंत्रिमंडल में विस्तार होगा. इस विस्तार में उन क्षेत्रों और जातियों को सरकार में जगह मिल सकती है, जिनका प्रदेश मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं है या कम है.

इन क्षेत्रों का बढ़ सकता है मंत्रिमंडल में कद

पिछले लोकसभा चुनाव में पासी और कुर्मी वोट का बड़ा हिस्सा बीजेपी के पक्ष में नहीं था. जाटव वोट का भी अच्छा खासा हिस्सा अखिलेश यादव के पाले में चला गया था. खासकर उन सीटों पर जहां पर समाजवादी पार्टी ने जाटव उम्मीदवार खड़ा किया था. इसके अलावा अवध, प्रतापगढ़ -प्रयागराज, अम्बेडकरनगर, ब्रज और काशी क्षेत्र से सरकार में और प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है या प्रतिनिधित्व बढ़ाया जा सकता है.

इसमें भी अवध क्षेत्र से पाशी -कुर्मी , प्रतापगढ़-अम्बेडकर नगर-प्रयागराज क्षेत्र से सैनी-मौर्य-शाक्य, ब्रज क्षेत्र से शाक्या, काशी से बिंद-कुर्मी को सरकार में प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है या फिर प्रतिनिधित्व बढ़ाया जा सकता है. इन क्षेत्रों में जातियों का समीकरण क्षेत्रवार एडजस्ट किया जाएगा.

सपा की रणनीति को काउंटर करने में जुटी बीजेपी

2024 लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने उम्मीदवारों के चयन में जिस तरह से सोशल इंजीनियरिंग की और उसका फायदा अखिलेश को हुआ था. बीजेपी उसको काउंटर करने की अभी से रणनीति बनाने में जुट चुकी है. पार्टी का मानना है कि विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी औसतन 130 से 140 सीट अपने कोर वोटर मुस्लिम और यादव के उम्मीदवारों को दे रही है.

ओबीसी वोटरों पर बीजेपी की नजर

बीजेपी को लगता है कि 2027 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी इनमें से आधे सीटों पर इस समुदाय से अलग मसलन ब्राह्मण, कुर्मी जैसी जातियों को टिकट देती है, तो पार्टी के लिये उससे पार पाने में बहुत मुश्किल हो सकती है. समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव में यह नुस्खा आजमा चुकी है. इसका असर ये हुआ कि लोकसभा चुनाव में यूपी में हर लोकसभा सीट पर बीजेपी का वोट 6 से 7 फीसदी कम हुआ.

इसलिये बीजेपी प्रदेश नेतृत्व का मानना है कि हमे वो रणनीति बनानी ही होगी, जिससे गैर यादव ओबीसी वोट अखिलेश के पाले में न जा पाए. ब्राह्मण कथावाचकों को लेकर समाजवादी पार्टी जो विरोध प्रदर्शन कर रही है, उसको लेकर बीजेपी वेट एंड वॉच की भूमिका में है. पार्टी का मानना है कि समाजवादी पार्टी और उसके कोर वोटर जितना इस मसले पर उग्र प्रदर्शन करेंगे, वो उनके खिलाफ और बीजेपी के पक्ष में जाएगा

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