बस्ती जिले के रुधौली थाना क्षेत्र के नटाईकला गांव जहां बीते 9 मई को गांव के रहने वाले गब्बूलाल के जीवन में अचानक अंधेरा छा गया. अज्ञात कारणों से उनकी कच्ची रिहायशी झोपड़ी में भीषण आग लग गई. यह आग इतनी तेजी से फैली कि परिवार को संभलने का मौका भी नहीं मिला. किसी तरह गब्बूलाल और उनका परिवार जान बचाकर बाहर तो आ गया, लेकिन उनका सब कुछ, उनका पूरा संसार, उस आग में जलकर खाक हो गया.
इस अग्निकांड ने गब्बूलाल के घर का सारा सामान, कपड़े-लत्ते, बिस्तर, और जो कुछ भी उनके पास था, सब कुछ छीन लिया. लेकिन सबसे बड़ा आघात था, उनकी बेटी बिंदु की शादी के लिए जुटाया गया सामान और नकदी का जलकर भस्म हो जाना. बिंदु की शादी 27 मई को तय थी, और गब्बूलाल ने अपनी जमापूंजी, पाई-पाई जोड़कर यह शादी धूमधाम से करने का सपना देखा था. आग ने न केवल उनके घर को जलाया था, बल्कि उनकी बेटी के सपनों को भी राख कर दिया था. अब गब्बूलाल को यह समझ नहीं आ रहा था कि इस विषम परिस्थिति में, जब उनके पास कुछ भी नहीं बचा, तो वह अपनी बेटी की शादी कैसे कराएंगे. उनका पूरा परिवार सदमे और निराशा में डूब गया था.
रुधौली थाने में तैनात दारोगा ने की आर्थिक सहायता
इसी बीच, इस दर्दनाक घटना की जानकारी रुधौली थाने में तैनात दारोगा विजय दुबे को हुई. दारोगा दुबे ने बिना देर किए अपने दलबल के साथ तत्काल दलित गब्बूलाल के घर जा पहुंचे. उन्होंने देखा कि परिवार पूरी तरह से टूट चुका है. गब्बूलाल ने दारोगा को अपनी सारी व्यथा सुनाई, बेटी की शादी की चिंता, उसकी आंखों में उतर आई निराशा, और अपने टूटते सपनों का जिक्र किया. पिता की इस असहनीय पीड़ा को महसूस करते हुए, दारोगा विजय दुबे ने उन्हें ढांढस बंधाया. उन्होंने गब्बूलाल को यह विश्वास दिलाया कि उनकी बेटी की शादी तय तारीख पर ही होगी, और वह भी पूरे धूमधाम से होगी. यह सिर्फ एक वादा नहीं था, यह एक बेबस पिता को दी गई उम्मीद की सबसे बड़ी किरण थी
इस वादे को निभाने के लिए दारोगा विजय दुबे ने तत्काल कदम उठाए. उन्होंने अपने साथी पुलिस कर्मियों से इस विषय पर बात की और सभी ने मिलकर बिंदु की शादी का पूरा खर्च उठाने का बीड़ा उठाया. यह सिर्फ वित्तीय सहायता नहीं थी, बल्कि यह एक परिवार के प्रति कर्तव्य का वो भाव था, जो खाकी के अंदर के इंसान को दर्शाता है. पुलिसकर्मियों ने शादी की तैयारियों में खुद को पूरी तरह से झोंक दिया. उन्होंने कपड़े, गहने, खाने-पीने का इंतजाम, टेंट, और अन्य सभी आवश्यक वस्तुओं की व्यवस्था की. एक टीम के रूप में काम करते हुए, रुधौली थाने के इन जांबाज सिपाहियों ने सुनिश्चित किया कि बिंदु की शादी में कोई कमी न रहे. वे अब सिर्फ पुलिसकर्मी नहीं थे, बल्कि वे बिंदु के घराती बन चुके थे.
पुलिसकर्मियों ने किया कन्यादान
फिर आया वो दिन, 27 मई का जब बरात रुधौली थाना क्षेत्र के नटाईकला गांव पहुंची, तो बाराती यह देखकर हैरान रह गए कि उनका स्वागत कोई और नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश पुलिस के वर्दीधारी कर रहे थे. एक तरफ जहां बैंड-बाजे बज रहे थे, वहीं दूसरी तरफ पुलिसकर्मी बारातियों को बड़े आदर और सम्मान के साथ भीतर ले जा रहे थे. जयमाला से लेकर बरातियों को स्वादिष्ट भोजन कराने तक का सारा जिम्मा इन वर्दीधारियों ने ही उठा रखा था. पुलिस चौकी किसी शादी के मंडप में तब्दील हो गई थी, जहां हर तरफ उत्साह और खुशी का माहौल था. पुलिस वालों का यह आवभगत देखकर बाराती भी भावुक हो गए. उन्होंने इस शादी को अपने जीवन का एक यादगार अनुभव बताया और पुलिस की इस पहल की दिल खोलकर सराहना की.
शादी की रस्में पूरी हो रही थीं. जब कन्यादान का पवित्र क्षण आया, तो दुल्हन के पिता गब्बूलाल अपने आंसुओं को रोक नहीं पाए. उनकी आंखों में खुशी के साथ-साथ कृतज्ञता के भी आंसू थे. भावनाओं में भरकर उन्होंने दारोगा विजय दुबे और अन्य पुलिसकर्मियों से कहा, "मेरी बेटी का कन्यादान पुलिस वाले ही करेंगे." यह सिर्फ एक बात नहीं थी, यह एक बेबस पिता का विश्वास था, उसकी आंखों में छलकती उम्मीद थी. पिता की इन मार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए, दारोगा विजय दुबे स्वयं मंडप में बैठे. उन्होंने विधि-विधान से, पूरे रीति-रिवाज के साथ, दुल्हन बिंदु का कन्यादान किया. यह क्षण उस शादी का सबसे भावनात्मक और हृदयस्पर्शी पल था. दारोगा विजय दुबे ने सिर्फ एक अनुष्ठान पूरा नहीं किया, बल्कि उन्होंने एक पिता की भूमिका निभाई, एक बेटी को विदा किया और खाकी के अंदर छिपे एक संवेदनशील इंसान का परिचय दिया. शादी संपन्न होने के बाद, पुलिसकर्मियों ने बिंदु को भावभीनी विदाई दी, जैसे कोई परिवार का सदस्य अपनी बेटी को विदा करता है.
शादी की वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल
इस शादी का वीडियो और तस्वीरें तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. लोग उत्तर प्रदेश पुलिस की 'मित्र पुलिसिंग' की भूमिका की जमकर सराहना कर रहे हैं. यह घटना एक बार फिर यह साबित करती है कि पुलिस न केवल कानून व्यवस्था बनाए रखने का काम करती है, बल्कि वह समाज में एक संरक्षक, एक मददगार और एक मित्र की भूमिका भी निभा सकती है. रुधौली थाने के इन पुलिसकर्मियों ने सिर्फ एक शादी नहीं कराई, बल्कि एक परिवार को खुशिया दीं. एक बेटी के सपनों को टूटने से बचाया, और समाज में सेवा तथा मानवता का एक अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया.
यह कहानी हमें प्रेरित करती है कि विपरीत परिस्थितियों में भी इंसानियत की मशाल जलाई जा सकती है. यह दिखाता है कि जब वर्दी और इंसानियत का मेल होता है, तो समाज में कैसे सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं. हम उम्मीद करते हैं कि ऐसे और भी उदाहरण हमें देखने को मिलेंगे, जो पुलिस और जनता के बीच के रिश्ते को और मजबूत करेंगे. यह वाकई एक ऐसा पल है, जो हर किसी के दिल में उतर गया है.