'हलफनामा दें या देश से माफी मांगें; तीसरा कोई रास्ता नहीं', CEC की राहुल गांधी को चेतावनी
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी बड़ा हमला बोला है। सीईसी ने लोकसभा में विपक्ष के नेता के आरोपों को सिरे से खारिज किया। उन्होंने कहा कि सिर्फ पीपीटी दिखाने से, वो भी जिसमें आंकड़े चुनाव आयोग के नहीं हैं, झूठ सच नहीं हो जाता। आपको सबूत देना होगा। उन्होंने राहुल गांधी पर बड़ा हमला बोलते हुए चेतावनी दी कि हलफनामा दें या देश से माफी मांगें? तीसरा कोई रास्ता नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि सात दिन में हलफनामा नहीं दिया तो आरोप निराधार मान लिए जाएंगे।
उन्होंने बिहार एसआईआर की कवायद में जल्दबाजी के आरोप पर कहा कि कुछ लोग गुमराह कर रहे हैं कि एसआईआर की कवायद इतनी जल्दी क्यों की जा रही है? आप बताइए कि मतदाता सूची को चुनाव से पहले दुरुस्त करना चाहिए या बाद में? ऐसे में चुनाव आयोग अपना काम ही कर रहा है। जनप्रतिनिधित्व कानून कहता है कि आपको हर चुनाव से पहले मतदाता सूची को दुरुस्त करना होगा। यह चुनाव आयोग की कानूनी जिम्मेदारी है। फिर सवाल उठा कि क्या चुनाव समिति बिहार के सात करोड़ से ज्यादा मतदाताओं तक पहुंच पाएगी? सच्चाई यह है कि यह काम 24 जून को शुरू हुआ था। पूरी प्रक्रिया लगभग 20 जुलाई तक पूरी हो गई थी।
डुप्लिकेट EPIC के आरोपों पर दिया जवाब
दो एपिक वाले मतदाता कार्ड पर मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, 'डुप्लिकेट EPIC दो तरह से हो सकते हैं। एक तो ये कि एक व्यक्ति जो पश्चिम बंगाल में है, जो अलग व्यक्ति है, उसके पास एक EPIC नंबर है और दूसरा व्यक्ति जो हरियाणा में है, उसके पास वही EPIC नंबर है। मार्च 2025 के आसपास जब ये सवाल आया तो हमने इस पर चर्चा की और हमने देशभर में इसका समाधान किया। लगभग तीन लाख ऐसे लोग मिले, जिनके EPIC नंबर एक जैसे थे, इसलिए उनके EPIC नंबर बदल दिए गए। दूसरे तरह का डुप्लिकेशन तब आता है, जब एक ही व्यक्ति का नाम एक से ज्यादा जगहों पर वोटर लिस्ट में होता है और उसका EPIC नंबर अलग-अलग होता है। यानी एक व्यक्ति, कई EPIC...
कई जगहों पर एक ही नाम जोड़े जाने पर क्या कहा?
उन्होंने कहा कि 2003 से पहले अगर आपको पुरानी जगह से अपना नाम हटवाना होता था, तो चुनाव आयोग की कोई वेबसाइट नहीं थी, जिसमें सारा डेटा एक ही जगह पर होता था। चूंकि 2003 से पहले तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं, तो बहुत से ऐसे लोग जो अलग-अलग जगहों पर चले गए, उनके नाम कई जगहों पर जोड़ दिए गए। फिर सवाल उठा कि आज वेबसाइट है, अगर आप कंप्यूटर पर हैं, तो आप उसे चुनकर हटा सकते हैं। चुनाव आयोग मतदाताओं के साथ चट्टान की तरह खड़ा है। इसलिए अगर यह जल्दबाजी में किया गया तो किसी भी मतदाता का नाम गलत तरीके से हटाया जा सकता है। आपकी जगह किसी और का नाम हटा दिया जाएगा।