भारत में 2047 तक इस्लामिक हुकूमत लाने की थी तैयारी, PFI की बड़ी साजिश का पर्दाफाश
पीएफआई की साजिश का बड़ा खुलासा हुआ है. NIA ने दावा किया है कि देश में 2047 तक इस्लामिक हुकूमत लाने की बड़ी साजिश रची जा रही थी. जांच एजेंसी ने ये खुलासा आरएसएस कार्यकर्ता श्रीनिवासन की हत्या मामले में अदालत में किया. बता दें कि 11 जून को एनआईए की एर्नाकुलम कोर्ट ने मोहम्मद बिलाल, रियाऊश्दीन और अन्य आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. ये सभी उस केस में आरोपी हैं, जिसमें आरएसएस कार्यकर्ता श्रीनिवासन की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. केस की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने कोर्ट में जो बातें रखीं वह बेहद चौंकाने वाली हैं.
PFI की बड़ी साजिश का पर्दाफाश
एनआईए ने कोर्ट में कहा कि प्रतिबंधित संगठन PFI (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) के सदस्य और पदाधिकारी पिछले कई सालों से एक बड़ी साजिश में जुटे थे. उनका मकसद देश में दहशत फैलाना, सांप्रदायिक तनाव बढ़ाना और 2047 तक भारत में इस्लामिक शासन लागू करना है. NIA के मुताबिक, PFI के सदस्य पहले भी SIMI जैसे प्रतिबंधित आतंकी संगठनों से जुड़े रहे हैं . LeT, ISIS और अल-कायदा जैसे अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों से भी इनके संबंध हैं. संगठन के कई कैडर ऐसे हैं जो इन आतंकी संगठनों के भी सदस्य रहे हैं.
नया इस्लामिक संविधान लागू करने की योजना
PFI के लोगों ने केरल समेत देश के कई हिस्सों में हिंसा और हत्याओं को अंजाम दिया, जिससे आम लोगों में डर बैठ गया है. एनआईए का दावा है कि PFI न सिर्फ आतंक फैलाने की कोशिश कर रहा था, बल्कि देश के संविधान और लोकतंत्र को खत्म कर एक नया इस्लामिक संविधान लागू करने की योजना बना रहा था. उसके प्लान के चार फेज थे.
PFI के प्लान के चार फेज
पहले फेज़ में मुस्लिम समुदाय को एक झंडे के नीचे लाना था. फिर SDPI नाम की राजनीतिक पार्टी के ज़रिए दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को जोड़कर चुनाव जीतना था.उसके बाद समाज में फूट डालकर धीरे-धीरे सत्ता में घुसपैठ करनी थी.आखिरी स्टेज में योजना थी कि SDPI को पूरे मुस्लिम समाज का प्रतिनिधि बना दिया जाए, बाकी मुस्लिम संगठनों को किनारे कर दिया जाए.
देश में इस्लामिक कानून लागू करने की थी प्लानिंग
इसके बाद PFI की प्लानिंग न्यायपालिका, सेना और पुलिस में अपने वफादार लोगों को बिठाकर विरोधियों को रास्ते से हटाने और हथियारों का जखीरा तैयार कर देश में इस्लामिक कानून लागू करने की थी. एनआईए ने बताया कि PFI के पास एक खास रिपोर्टर विंग और सर्विस विंग था. रिपोर्टर विंग इलाके के हिंदू नेताओं की रेकी करता था और लिस्ट तैयार करता था, जिनमें से टारगेट चुनकर सर्विस विंग के जरिए हत्या करवाई जाती थी. श्रीनिवासन की हत्या भी इसी साजिश का हिस्सा थी.
श्रीनिवासन की हत्या क्यों हुई, खुल गया राज
NIA के अनुसार, यह कोई अचानक हुआ अपराध नहीं था, बल्कि एक सुनियोजित आतंकवादी हमला था. श्रीनिवासन को इसलिए मारा गया क्योंकि वह उनके निशाने पर था. पूरी तैयारी के बाद उसे मौका देखकर बेरहमी से मार डाला गया. बता दें कि इसी साल मार्च में ईडी ने SDPI के प्रमुख एमके फैज़ी को भी गिरफ्तार किया था, जो इस पूरी साजिश की एक अहम कड़ी माने जा रहे हैं. कुल मिलाकर, एनआईए ने कोर्ट में जो तथ्य रखे हैं, वहइस बात की ओर इशारा करते हैं कि PFI एक गंभीर आतंकी साजिश में शामिल था, जिसका मकसद केवल एक व्यक्ति की हत्या नहीं बल्कि पूरे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को खत्म करना था.