मुंबई : आरटीआई एक्टिविस्ट अनिल गालगली ने बांद्रा फेयर में किया माउंट मैरी बेसिलिका का दर्शन
रिपोर्ट : विजय तिवारी
मुंबई। आरटीआई एक्टिविस्ट और वरिष्ठ पत्रकार अनिल गालगली ने बांद्रा स्थित ऐतिहासिक माउंट मैरी बेसिलिका का दर्शन किया। इस दौरान उन्होंने मां मरियम की प्रतिमा के समक्ष प्रार्थना की और श्रद्धांजलि अर्पित की। वर्तमान में यहां मदर मैरी का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है, जो विश्वप्रसिद्ध बांद्रा फेयर के रूप में जाना जाता है।
301 साल पुरानी परंपरा
बांद्रा फेयर की शुरुआत लगभग 1700 के दशक में हुई मानी जाती है। स्थानीय मान्यता के अनुसार, पुर्तगाली काल में यहां मदर मैरी की लकड़ी की प्रतिमा स्थापित की गई थी। कहा जाता है कि 1700 में समुद्र की लहरों ने यह प्रतिमा तट पर बहाकर ला दी थी। बाद में इस प्रतिमा को श्रद्धा और विश्वास के साथ बेसिलिका में स्थापित किया गया।
इतिहासकार बताते हैं कि प्रतिमा को “Our Lady of the Mount” के नाम से पुकारा जाने लगा और तभी से यह स्थल आस्था का प्रमुख केंद्र बन गया। आज भी माना जाता है कि मां मरियम के चरणों में सच्चे मन से की गई प्रार्थना अवश्य पूरी होती है।
श्रद्धा और मान्यता
मेले के दौरान भक्त अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए अलग-अलग आकार की मोमबत्तियाँ अर्पित करते हैं—कोई मकान के रूप में, तो कोई गाड़ी या बच्चे की आकृति में। यह परंपरा इस विश्वास से जुड़ी है कि मां मरियम भक्तों की हर सच्ची मनोकामना को पूरा करती हैं।
सांस्कृतिक और धार्मिक एकता
हर साल सितंबर के दूसरे रविवार से शुरू होकर आठ दिनों तक चलने वाला यह मेला केवल ईसाई समुदाय तक सीमित नहीं है, बल्कि हिंदू, मुस्लिम, सिख और अन्य धर्मों के लोग भी इसमें शामिल होते हैं। यही वजह है कि बांद्रा फेयर मुंबई की गंगा-जमुनी तहज़ीब और सांस्कृतिक सौहार्द्र का प्रतीक माना जाता है।
मेले में न केवल धार्मिक अनुष्ठान होते हैं, बल्कि सैकड़ों स्टॉल, झूले, खानपान और लोक कला की झलक भी देखने को मिलती है। इसे मुंबई का सबसे बड़ा सांस्कृतिक उत्सव कहा जाता है, जहां हर वर्ग और हर उम्र के लोग बड़ी संख्या में उमड़ते हैं।
अनिल गालगली की प्रतिक्रिया
दर्शन के बाद अनिल गालगली ने कहा, “माउंट मैरी फेयर गहरी आस्था का केंद्र होने के साथ-साथ मुंबई की सांस्कृतिक पहचान और परंपरा का प्रतीक है। यहां हर धर्म और वर्ग के लोग बिना भेदभाव के आते हैं, यही मुंबई की असली ताकत और खूबसूरती है।”