सिर्फ स्वास्थ्य कारण या फिर कुछ और, जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के पीछे की क्या है कहानी?

Update: 2025-07-22 08:41 GMT

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत दिया गया उनका इस्तीफा राष्ट्रपति ने तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया है. गृहमंत्रालय ने इसको लेकर गजट नोटिफिकेशन भी जारी कर दी है. हालांकि इस्तीफे का कारण ‘स्वास्थ्य’ बताया गया है, लेकिन सियासी संकेत और घटनाक्रम कुछ और ही कहानी बयान कर रहे हैं.

धनखड़ न सिर्फ अचानक इस्तीफा देकर चले गए, बल्कि परंपरा के विपरीत उन्होंने कोई विदाई भाषण भी नहीं दिया. इस पूरे घटनाक्रम में सबसे उल्लेखनीय बात रही कि प्रधानमंत्री मोदी के अलावा बीजेपी के शीर्ष नेताओं में (राजनाथ सिंह, अमित शाह और जेपी नड्डा) से किसी ने सार्वजनिक रूप से न तो कोई बयान दिया, और न ही कोई भावनात्मक प्रतिक्रिया जताई. यह चुप्पी खुद एक राजनीतिक संकेत बन गई.

इस्तीफे पर पीएम ने क्या कहा?

प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट कर बहुत ही नपे तुले अंदाज में लिखा कि जगदीप धनखड़ जी को भारत के उपराष्ट्रपति सहित कई भूमिकाओं में देश की सेवा करने का अवसर मिला है. मैं उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं. लेकिन पीएम के इस शालीन संदेश के इतर पार्टी के बाकी शीर्ष नेताओं का मौन, अटकलों को और बल देता है.

धनखड़ के इस्तीफे की एक अहम वजह मानी जा रही है उनका हालिया रुख, जो बीजेपी की रणनीति से मेल नहीं खा रहा था. खासकर जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव को जिस तत्परता से उन्होंने स्वीकार कर लिया,वह सत्ता पक्ष के लिए चौंकाने वाला था.

क्या महाभियोग नोटिस बना कारण?

सूत्र बताते हैं कि जगदीप धनखड़ ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग नोटिस को राज्यसभा में लेने से पहले सत्ता पक्ष में किसी से बातचीत नहीं की. उन्होंने न प्रधानमंत्री कार्यालय से बात की, न संसदीय कार्य मंत्रालय से और न ही सदन के नेता जेपी नड्डा को कोई पूर्व सूचना दी. इस कदम ने न सिर्फ बीजेपी को असहज किया बल्कि उच्च सदन की गरिमा और उसकी प्रक्रिया को लेकर भीतर ही भीतर विवाद की स्थिति भी पैदा की. केंद्र सरकार से बिना मशविरा ही 63 विपक्षी सांसदों का प्रस्ताव राज्यसभा के सभापति जगदीप धनकड़ को विपक्ष ने सौंप दिया और संसदीय कार्य मंत्रालय और नेता सदन को इसकी भनक तक नहीं लगी. सरकार कठघरे में खड़ी थी और स्तब्ध थी.

सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार राज्यसभा में जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव नहीं लाना चाहती थी इसके पीछे एक बड़ा कारण था कि राज्यसभा में जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाते ही इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस यादव के खिलाफ पहले से ही लंबित महाभियोग प्रस्ताव विपक्ष उठाना चाहता था.

‘जस्टिस यादव के मुद्दे पर सरकार घेरना चाहती थी’

जस्टिस यादव विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में जाकर जो प्रो हिंदुत्व बयान दिए थे उसके विरोध में विपक्ष ने पहले से ही महाभियोग का प्रस्ताव राज्यसभा में दिया हुआ है. जहां जस्टिस वर्मा के बहाने विपक्ष जस्टिस यादव के मुद्दे पर सरकार घेरना चाहती थी. राज्यसभा में विपक्षी दलों के नामी गिरामी वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी सरीखे सांसद जस्टिस यादव के खिलाफ मामला उठाना चाहते थे, जिससे केंद्र सरकार बचना चाहती थी.

खबर ये भी है कि धनखड़ बीजेपी नेतृत्व से कुछ समय से असंतुष्ट थे. सोमवार को उन्होंने राज्यसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक बुलाई, लेकिन न तो बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा पहुंचे, और न ही केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू. धनखड़ इससे खासे दुखी और नाराज बताए गए. हालांकि जेपी नड्डा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इसकी जानकारी उपराष्ट्रपति कार्यालय को दे दी गई थी.

कई टिप्पणियों को गैर-जरूरी और अति-आक्रामक माना गया

सूत्रों के मुताबिक बीते कुछ महीनों से उपराष्ट्रपति धनखड़ के रवैये से सरकार असहज थी. धनखड़ द्वारा जजों और न्यायपालिका पर की गई कई टिप्पणियों को गैर-जरूरी और अति-आक्रामक माना गया. विपक्ष के प्रति अचानक ‘नरमी’ और उनके सुझावों को महत्व देने का रुझान. सदन की कार्यवाही में चेयर की भूमिका निभाते हुए धनखड़ की अतिसक्रियता, बिना सलाह के फैसले लेना, ये सब सरकार को खटकने लगे थे.

सिर्फ संवैधानिक नहीं, राजनीतिक चुनौती भी है

धनखड़ ने ऐसे समय पर इस्तीफा दिया है, जब मानसून सत्र के दूसरे हफ्ते में सत्ता और विपक्ष के बीच टकराव बढ़ने की संभावना है. ऐसे में उपराष्ट्रपति का जाना सरकार के लिए सिर्फ संवैधानिक नहीं, राजनीतिक चुनौती भी है. धनखड़ का इस्तीफा सिर्फ व्यक्तिगत कारणों का नतीजा नहीं लगता. यह सत्ता के भीतर मतभेद, असहमति और असंतुलन की ओर भी इशारा करता है. अब सबकी निगाह इस पर है कि एनडीए अगला उपराष्ट्रपति किसे बनाता है. क्या वह एक भरोसेमंद पार्टी लाइन चेहरा होगा, या फिर कोई ऐसा व्यक्ति जो विपक्ष को भी साध सके?

Similar News