स्वदेशी जागरण मंच काशी प्रांत के विचार वर्ग का उद्घाटन समारोह गाजीपुर में महाराणा प्रताप न्यास तुलसीपुर में आयोजित

Update: 2025-06-29 02:32 GMT

गाजीपुर, 29 जून 2025 — स्वदेशी जागरण मंच, काशी प्रांत के तीन दिवसीय विचार वर्ग का भव्य उद्घाटन समारोह आज गाजीपुर स्थित महाराणा प्रताप न्यास, तुलसीपुर में संपन्न हुआ। इस अवसर पर मंच के प्रांत स्तरीय पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं एवं आमंत्रित विशिष्ट अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति रही।

कार्यक्रम का शुभारंभ वैदिक मंत्रोच्चार और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। विचार वर्ग का उद्देश्य स्वदेशी विचारधारा का प्रसार, आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को सशक्त बनाना तथा युवाओं को स्वदेशी आंदोलन से जोड़ना बताया गया।

समारोह में मंच के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने स्वदेशी अर्थव्यवस्था, विदेशी पूंजी निवेश की चुनौतियाँ, और ग्राम स्वावलंबन जैसे विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि ने अपने संबोधन में कहा, “स्वदेशी केवल एक आर्थिक आंदोलन नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण का आधार है।”

जिसमें निम्न बिन्दुओं

विदेशी पूंजी बनाम स्वदेशी उत्पादन

WTO और भारतीय कृषि पर प्रभाव

प्राकृतिक संसाधनों पर बहुराष्ट्रीय नियंत्रण

डिजिटल उपनिवेशवाद और समाधान

युवाओं में स्वदेशी चेतना का जागरण

पर विभिन्न सत्रों में विद्वान वक्ताओं द्वारा स्वदेशी कार्यकर्ताओं को मार्गदर्शन मिला।

उद्घाटन समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला संघचालक, जिला प्रचारक एवं स्वदेशी जागरण मंच के क्षेत्र संयोजक अनुपम श्रीवास्तव, अखिल भारतीय प्रचार विभाग के सदस्य प्रो वीके सिंह ,क्षेत्र सह संपर्क प्रमुख सत्येन्द्र जी,काशी महानगर संयोजिका कविता मालवीय, प्रो माधवी तिवारी ,कन्हैयालाल भारती,आकाश आनंद, कृपाशंकर सिंह, स्वदेशी जागरण मंच के काशी प्रांत संयोजक डा अखिलेश त्रिपाठी,शैलेन्द्र जी संघर्ष वाहिनी प्रमुख, व्यापार मंडल के पदाधिकारी जन एवं विभिन्न जनपदों से आये स्वदेशी के दायित्ववान आन्दोलनधर्मी उपस्थित रहे।उद्घाटन सत्र का संचालन प्रांत संयोजक अखिलेश त्रिपाठी जी ने किया। तीन सत्रो में चले इस विचार वर्ग में तीसरा सत्र मातृ शक्ति को समर्पित था।जिसकी अध्यक्षता काशी महानगर संयोजिका कविता मालवीय ने की उन्होने कहा।

स्वदेशी जागरण मंच पृष्ठभूमि में उपनिषद से स्व महिम्नि स्थित: को लेते हुए स्व के भाव से आत्मनिर्भरता पूर्वक सुरक्षा संभव है कहते अपनी बात रखना शुरू किया।

वैदिक काल के महिला स्वावलंबन को बताते हुए गार्गी द्वारा विद्यालय स्थापना, मैत्रेयी द्वारा आश्रम स्थापना, पद्मावती द्वारा विभिन्न व्यवसाय का संचालन किया गया।

नेतृत्व, कृतित्व एवं मातृत्व के लिए रानी लक्ष्मी बाई, अहिल्याबाई एवं जीजाबाई का उदाहरण देते हुए।

वर्तमान में राष्ट्र की प्रथम नागरिक द्रौपदी मुर्मू, वित्तमंत्री सीता रमण एवं आतंकवाद की नस्तोनामुदगी के क्रम में कर्नल सोफिया कुरैशी का उदाहरण दिया।

भारतीय परिवार की रीढ़ स्त्री ही राष्ट्र की आधारशिला है जो सहज ही एक उद्यमी, निदेशक, प्रबंधक की भूमिकाएं निर्वहन करती है।

गृह एवं कुटीर उद्योग सिलाई, कढ़ाई , बुनाई , पाक कला आदि अनेक रूप में भारतीय स्त्री के जीवन का स्वाभाविक अंग है ।

भारत में देवी देवताओं के कार्य का उदाहरण देते हुए ज्ञान की देवी, धन की देवी, अन्न की देवी की भूमिका को भी जोड़ते हुए स्वदेशी से महिला उद्यमिता के विषय को स्थापित किया।

पूर्णकालिक स्वयंसेवक विवेक जी,गंगेश जी ,अंकित जी ने संपूर्ण कार्यक्रम की व्यवस्था सरल और अनुशासित बनाये रखा।

डा अवनीन्द्र कुमार

प्रचार प्रमुख

काशी प्रांत

स्वदेशी जागरण मंच।

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